नई दिल्ली: शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिए जाने की निंदा की. दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "शरद पवार ने शिंदे का नहीं बल्कि महाराष्ट्र का बंटवारा करने वाले अमित शाह का अभिनंदन किया. देशद्रोहियों को ऐसा सम्मान देना महाराष्ट्र की अस्मिता पर आघात है. पवार को शिंदे के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था."
क्या है मामलाः पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को दिल्ली में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्रदान किया. इस कार्यक्रम में शरद पवार ने महायुति नेता एकनाथ शिंदे की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने कहा था, "एकनाथ शिंदे एक ऐसे नेता हैं जो हाल के समय के नागरिक मुद्दों से अवगत हैं. उन्होंने ठाणे नगर निगम, नवी मुंबई नगर निगम और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सही दिशा देने का काम किया. उन्होंने अपनी सोच को पार्टी तक सीमित न रखते हुए सभी दलों के नेताओं के साथ सामंजस्यपूर्ण संवाद बनाए रखते हुए राज्य और लोगों की समस्याओं का समाधान किया. उनके काम निश्चित रूप से महाराष्ट्र के इतिहास में दर्ज किए जाएंगे."
शरद पावर को शामिल नहीं होना चाहिएः सांसद राउत ने कहा कि राजधानी दिल्ली में महाराष्ट्र का घोर अपमान किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, "शरद पवार को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए था, यह हमारी भावना है. हम महाराष्ट्र के लोगों के सामने खुद को कैसे पेश करेंगे? राजनीति में कोई भी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है, यह ठीक है. लेकिन, जिन लोगों ने महाराष्ट्र को तकलीफ में डाला है, जिन्हें हम महाराष्ट्र का दुश्मन मानते हैं, उन्हें पुरस्कार देना राज्य की पहचान पर आघात है."
अजित पवार के संबंध पर तंजः संजय राउत ने शरद पवार से कहा कि आपने उन लोगों को सम्मानित किया जिन्होंने शिवसेना को तोड़कर महाराष्ट्र को कमजोर किया. महाराष्ट्र को इसका खामियाजा जरूर भुगतना पड़ा है. दिल्ली में आपकी राजनीति हम समझते हैं. अजीत पवार के साथ आपकी बातचीत व्यक्तिगत या पारिवारिक कारणों से हुई होगी. लेकिन, चूंकि उन्होंने राष्ट्रवादी पार्टी को तोड़ दिया है, इसलिए हम अपनी अंतरात्मा को दरकिनार करने का कदम उठा रहे हैं."
साहित्यिक सम्मेलन पर सवालः संजय राउत ने कहा कि हमने पवार के बारे में अपनी पार्टी की भावनाएं व्यक्त की हैं. दिल्ली में कोई साहित्यिक सम्मेलन नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलाली है. उन्होंने कहा कि मेरा साहित्यिक सम्मेलन आयोजकों से एक सवाल है. आप मराठी की क्या सेवा कर रहे हैं? जो मराठी की गर्दन पर पैर रख रहे हैं, उनका सत्कार किया जा रहा है. मुझे साहित्य सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है, लेकिन मैं सम्मेलन में नहीं जाऊंगा. अगर आयोजकों के पास पैसे की कमी थी, तो उन्हें महाराष्ट्र आना चाहिए था.
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