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जयपुर ब्लास्ट : पीड़ित परिवारों को अपनों को खोने के गम से ज्यादा गुनहगारों को 11 साल तक सजा नहीं मिलने की पीड़ा - स्पेशल रिपोर्ट

13 मई 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों को 11 साल बाद बुधवार को सजा मुकर्रर होगी. जिस पर सभी निगाहें टिकी हैं लेकिन पीड़ित परिजनों को अपनों को खोने के गम से ज्यादा आरोपियों को 11 साल तक सजा नहीं मिलने की पीड़ा है. इसिलिए गुनहगारों को सार्वजनिक स्थान पर फांसी देने की मांग पीड़ित परिजन कर रहे हैं.

serial blast 2008, 13 मई 2008 जयपुर बम विस्फोट
Eyewitnesses of serial bomb blast Jaipur
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Published : Dec 17, 2019, 11:59 PM IST

जयपुर. हर तरफ चीख-पुकार और इधर-उधर बिखरी पड़ी लाशें. ये मंजर था 13 मई 2008 की शाम का. मंगलवार का दिन होने के चलते हनुमान मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी हुई थी. तभी अचानक बम ब्लास्ट होना शुरू हुए. एक के बाद एक हुए आठ ब्लास्ट से गुलाबी नगरी कहे जाने वाले जयपुर की सड़कों का रंग लाल हो गया.

ये वह वक्त था जिसके बारे में कभी जयपुर वासियों ने कल्पना भी नहीं की होगी. आज एक दशक बाद भी अपनों को खोने वाले परिजनों की आंखें उस भयावह मंजर को याद कर नम हो जाती है. हालांकि अब जयपुर बम धमाकों के आरोपियों को सजा मुकर्रर होनी है. लेकिन बम ब्लास्ट के पीड़ितों को पीड़ा इस बात की है कि 11 साल तक आरोपियों को सजा क्यों नहीं मिली.

बम धमाकों के पीड़ित परिवारों की मांग- सार्वजनिक फांसी देने की सजा सुनाए कोर्ट

दोषियों को सजा मिलने के बाद ही मिलेगी आत्मा को शांति : पीड़ित
विजय गर्ग के बड़े भाई अजय गर्ग उस दिन अपनी शॉप से बड़ी चौपड़ स्थित गणेश मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे. लेकिन वापस नहीं लौटे. विजय ने बताया कि उस दिन हर तरफ चीख-पुकार मच रही थी. और बड़ी चौपड़ पर डेड बॉडीज पड़ी थी. इस हादसे के बाद उनका घर पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट में अबतक हुई जांच पर एक नजर

अजय के छोटे-छोटे बच्चे थे, और घर में कमाने वाला भी वही था. ऐसे में अचानक सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई. उन्होंने कहा कि 11 साल से आरोपियों की सजा का इंतजार कर रहे हैं. अजय की कमी तो पूरी नहीं होगी, लेकिन उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी और परिवार वालों को तसल्ली.

सार्वजनिक स्थान पर हो फांसी की सजा : पीड़ित
बम ब्लास्ट में पुरुषोत्तम भारती के दामाद और संबंधी भी काल का ग्रास बने. ये दोनों सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. इस दौरान उनका सर्वेंट भी उनके साथ था. जिसकी भी बम ब्लास्ट में मौत हुई. उन्होंने बताया कि इस ह्रदय विदारक हादसे को स्मरण करने से ही मन आहत हो जाता है. उन्होंने बुधवार को आरोपियों को होने वाली सजा को देर से आया हुआ न्याय बताया. साथ ही कहा कि न्याय में यदि समय लगता है तो न्याय मिलना नहीं मिलना बराबर है. उन्होंने मांग की कि आरोपियों को फांसी से कम सजा ना हो और फांसी भी सार्वजनिक स्थान पर हो.

पढ़ेंः सीरियल बम ब्लास्ट के 11 साल बाद भी जयपुर ना जागरूक ना सतर्क, देखें ईटीवी भारत का Reality Check

बहरहाल, बुधवार को सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत पांच आरोपियों पर फैसला सुनाएगी. जिस पर ना सिर्फ पीड़ित परिजन बल्कि जयपुर शहर के हर एक बाशिंदे की नजर रहेगी.

जयपुर. हर तरफ चीख-पुकार और इधर-उधर बिखरी पड़ी लाशें. ये मंजर था 13 मई 2008 की शाम का. मंगलवार का दिन होने के चलते हनुमान मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी हुई थी. तभी अचानक बम ब्लास्ट होना शुरू हुए. एक के बाद एक हुए आठ ब्लास्ट से गुलाबी नगरी कहे जाने वाले जयपुर की सड़कों का रंग लाल हो गया.

ये वह वक्त था जिसके बारे में कभी जयपुर वासियों ने कल्पना भी नहीं की होगी. आज एक दशक बाद भी अपनों को खोने वाले परिजनों की आंखें उस भयावह मंजर को याद कर नम हो जाती है. हालांकि अब जयपुर बम धमाकों के आरोपियों को सजा मुकर्रर होनी है. लेकिन बम ब्लास्ट के पीड़ितों को पीड़ा इस बात की है कि 11 साल तक आरोपियों को सजा क्यों नहीं मिली.

बम धमाकों के पीड़ित परिवारों की मांग- सार्वजनिक फांसी देने की सजा सुनाए कोर्ट

दोषियों को सजा मिलने के बाद ही मिलेगी आत्मा को शांति : पीड़ित
विजय गर्ग के बड़े भाई अजय गर्ग उस दिन अपनी शॉप से बड़ी चौपड़ स्थित गणेश मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे. लेकिन वापस नहीं लौटे. विजय ने बताया कि उस दिन हर तरफ चीख-पुकार मच रही थी. और बड़ी चौपड़ पर डेड बॉडीज पड़ी थी. इस हादसे के बाद उनका घर पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट में अबतक हुई जांच पर एक नजर

अजय के छोटे-छोटे बच्चे थे, और घर में कमाने वाला भी वही था. ऐसे में अचानक सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई. उन्होंने कहा कि 11 साल से आरोपियों की सजा का इंतजार कर रहे हैं. अजय की कमी तो पूरी नहीं होगी, लेकिन उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी और परिवार वालों को तसल्ली.

सार्वजनिक स्थान पर हो फांसी की सजा : पीड़ित
बम ब्लास्ट में पुरुषोत्तम भारती के दामाद और संबंधी भी काल का ग्रास बने. ये दोनों सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. इस दौरान उनका सर्वेंट भी उनके साथ था. जिसकी भी बम ब्लास्ट में मौत हुई. उन्होंने बताया कि इस ह्रदय विदारक हादसे को स्मरण करने से ही मन आहत हो जाता है. उन्होंने बुधवार को आरोपियों को होने वाली सजा को देर से आया हुआ न्याय बताया. साथ ही कहा कि न्याय में यदि समय लगता है तो न्याय मिलना नहीं मिलना बराबर है. उन्होंने मांग की कि आरोपियों को फांसी से कम सजा ना हो और फांसी भी सार्वजनिक स्थान पर हो.

पढ़ेंः सीरियल बम ब्लास्ट के 11 साल बाद भी जयपुर ना जागरूक ना सतर्क, देखें ईटीवी भारत का Reality Check

बहरहाल, बुधवार को सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत पांच आरोपियों पर फैसला सुनाएगी. जिस पर ना सिर्फ पीड़ित परिजन बल्कि जयपुर शहर के हर एक बाशिंदे की नजर रहेगी.

Intro:नोट - खबर के साथ बाइट और करंट शॉट भेजे गए हैं। सीरियल बम धमाकों के फ़ाइल शॉट अजीत जी शेखावत की ओर से भेजे जा रहे हैं। ऐसे में इस खबर का पैकेज कृपया डेस्क स्तर पर तैयार करा लिया जाए।

जयपुर - 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों को 11 साल बाद बुधवार को सजा मुकर्रर होगी। लेकिन इस बम ब्लास्ट के पीड़ित परिजनों को अपनों को खोने के गम से ज्यादा आरोपियों को 11 साल तक सजा नहीं मिलने की पीड़ा है। पीड़ित इस न्याय को देरी से आया हुआ न्याय बता रहे हैं। साथ ही सार्वजनिक स्थान पर फांसी देने की मांग भी कर रहे हैं।


Body:हर तरफ चीख-पुकार और इधर-उधर बिखरी पड़ी लाशें। ये मंजर था 13 मई 2008 की शाम का। मंगलवार का दिन होने के चलते हनुमान मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी हुई थी। तभी अचानक बम ब्लास्ट होना शुरू हुए। एक के बाद एक हुए आठ ब्लास्ट से गुलाबी नगरी कहे जाने वाले जयपुर की सड़कों का रंग लाल हो गया। ये वह वक्त था जिसके बारे में कभी जयपुर वासियों ने कल्पना भी नहीं की होगी। आज एक दशक बाद भी अपनों को खोने वाले परिजनों की आंखें उस भयावह मंजर को याद कर नम हो जाती है। हालांकि अब जयपुर बम धमाकों के आरोपियों को सजा मुकर्रर होनी है। लेकिन बम ब्लास्ट के पीड़ितों को पीड़ा इस बात की है कि 11 साल तक आरोपियों को सजा क्यों नहीं मिली।

पीड़ित : विजय गर्ग
विजय गर्ग के बड़े भाई अजय गर्ग उस दिन अपनी शॉप से बड़ी चौपड़ स्थित गणेश मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे। लेकिन वापस नहीं लौटे। विजय ने बताया कि उस दिन हर तरफ चीख-पुकार मच रही थी। और बड़ी चौपड़ पर डेड बॉडीज पड़ी थी। इस हादसे के बाद उनका घर पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। अजय के छोटे-छोटे बच्चे थे, और घर में कमाने वाला भी वही था। ऐसे में अचानक सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई। उन्होंने कहा कि 11 साल से आरोपियों की सजा का इंतजार कर रहे हैं। अजय की कमी तो पूरी नहीं होगी, लेकिन उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी और परिवार वालों को तसल्ली।

पीड़ित : महंत पुरुषोत्तम भारती
बम ब्लास्ट में पुरुषोत्तम भारती के दामाद और संबंधी भी काल का ग्रास बने। ये दोनों सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। इस दौरान उनका सर्वेंट भी उनके साथ था। जिसकी भी बम ब्लास्ट में मौत हुई। उन्होंने बताया कि इस ह्रदय विदारक हादसे को स्मरण करने से ही मन आहत हो जाता है। उन्होंने बुधवार को आरोपियों को होने वाली सजा को देर से आया हुआ न्याय बताया। साथ ही कहा कि न्याय में यदि समय लगता है तो न्याय मिलना नहीं मिलना बराबर है। उन्होंने मांग की कि आरोपियों को फांसी से कम सजा ना हो और फांसी भी सार्वजनिक स्थान पर हो।


Conclusion:बहरहाल, बुधवार को सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत पांच आरोपियों पर फैसला सुनाएगी। जिस पर ना सिर्फ पीड़ित परिजन बल्कि जयपुर शहर के हर एक बाशिंदे की नजर रहेगी।
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