जयपुर. IPL का सीजन शुरू होते ही राजधानी जयपुर में बड़ी तादाद में सटोरिए सक्रिय हो गए हैं. ऐसे में पुलिस सटोरियों पर नकेल कसने के लिए नया हथकंडा अपना रही है. अब सटोरियों को आईटी एक्ट और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ ही गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है.
सटोरियों के खिलाफ कमिश्नरेट स्पेशल टीम और चारों जिलों की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है. वहीं पुलिस से खुद को बचाने के लिए सटोरियों होटल किराए से लेकर, कमरों में छिपकर और चलती हुई कार में सट्टा खिलवा रहे हैं. ऐसे में सटोरियों पर अंकुश लगाने के लिए अब जयपुर पुलिस ने एक नया हथकंडा अपनाया है.
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डीसीपी ईस्ट राहुल जैन ने बताया कि आईपीएल के सीजन में सटोरियों पर लगाम लगाने के लिए और सख्त कार्रवाई करने के लिए पुलिस गुंडा एक्ट में सटोरियों पर कार्रवाई करने जा रही है. जिसके तहत 4 से अधिक प्रकरण सामने आने पर आरोपी की हिस्ट्रीशीट खोली जा रही है. सीसीटीएनएस पर रिकॉर्ड चढ़ने के बाद आरोपी की हिस्ट्रीशीट खोल उसे जिला बदर करने का काम पुलिस कर रही है.
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इसके साथ ही सटोरियों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए IPC की विभिन्न गैर जमानती धाराओं के तहत आरोपी को गिरफ्तार किया जा रहा है. सट्टे की कार्रवाई के साथ ही जुआरी और अवैध रूप से हुक्का बार का संचालन करने वाले लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है.
क्या है Goonda Act?
सट्टा खिलाने वाले बुकी और सटोरियों, मानव तस्करी, पशु तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी, जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार अवैध खनन और गौ हत्या आदि विभिन्न तरह के अपराध में लिप्त लोगों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. गुंडा एक्ट में गिरफ्तार किए गए आरोपियों को जमानत आसानी से नहीं मिलती है.
इसके साथ ही गुंडा एक्ट में गिरफ्तार किए गए अपराधियों की संपत्ति भी जब्त करने का अधिकार होता है. इस एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए आरोपियों को 2 माह के लिए जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाता है. राजस्थान गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1975 के तहत आरोपी को डेढ़ माह के लिए उसके जिले से निष्कासित कर दिया जाता है.