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उद्योग विभाग का नाम अब होगा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, CM ने दी प्रस्ताव को मंजूरी - उद्योग एवं वाणिज्य विभाग

राज्य सरकार के उद्योग विभाग का नाम बदलकर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग किया जाएगा. इसी प्रकार, संयुक्त आयुक्त उद्योग, उप आयुक्त उद्योग और सहायक आयुक्त उद्योग पदों के नए नाम क्रमशः संयुक्त आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य, उप आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य और सहायक आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य हो जाएंगे. राज्य एवं केन्द्र के संबंधित विभागों के नाम में एकरूपता होने से राज्य में वाणिज्यिक एवं निर्यात संबंधित गतिविधियों के विस्तार के काम में अधिक गति आएगी.

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उद्योग विभाग का नाम अब होगा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग
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Published : Mar 27, 2021, 2:30 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार के उद्योग विभाग का नाम बदलकर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में एक प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है. इसके साथ ही, इस विभाग के अधिकारियों के पदनाम भी विभाग के नए नाम के अनुरूप परिवर्तित हो जाएंगे.

दरअसल, बीते कुछ वर्षों के दौरान उद्योग विभाग और इससे जुड़े जिला उद्योग केन्द्रों की कार्यप्रणाली में बदलाव हुआ है. इसके साथ ही, विभाग के कार्याें का दायरा भी बढ़ गया है. लघु, सूक्ष्म, मध्यम एवं वृहद उद्यमों के विकास के साथ-साथ सेवा क्षेत्र एवं वाणिज्यिक क्षेत्र की गतिविधियों का विकास भी इस विभाग के कार्यकलापों एवं गतिविधियों में शामिल हो गया है. भारत सरकार सहित 18 राज्यों में भी तत्संबंधित विभाग का नाम उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ही है. इसी क्रम में राज्य सरकार ने विभाग का नाम परिवर्तित करने का निर्णय लिया है. गहलोत की ओर से स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, विभाग के नाम परिवर्तन के साथ ही प्रमुख शासन सचिव, उद्योग एमएसएमई का नाम बदलकर प्रमुख शासन सचिव, उद्योग एमएसएमई एवं वाणिज्य और आयुक्त उद्योग का नाम बदलकर आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य हो जाएगा.

पढ़ें: गहलोत सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार, इससे लगेगी तबादला उद्योग पर रोक, जानें इसकी खास बातें

इसी प्रकार, संयुक्त आयुक्त उद्योग, उप आयुक्त उद्योग और सहायक आयुक्त उद्योग पदों के नए नाम क्रमशः संयुक्त आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य, उप आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य और सहायक आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य हो जाएंगे. राज्य एवं केन्द्र के संबंधित विभागों के नाम में एकरूपता होने से राज्य में वाणिज्यिक एवं निर्यात संबंधित गतिविधियों के विस्तार के काम में अधिक गति आएगी. विभाग भारत सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का बेहतर प्रचार-प्रसार हो सकेगा. इस निर्णय से प्रदेश में निर्यात संवर्धन, वाणिज्यिक गतिविधियों एवं लाॅजिस्टिक सेवा क्षेत्रों और इनके उप-क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही, प्रदेश में रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे और राजस्व में भी वृद्धि होगी.

जयपुर. राज्य सरकार के उद्योग विभाग का नाम बदलकर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में एक प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है. इसके साथ ही, इस विभाग के अधिकारियों के पदनाम भी विभाग के नए नाम के अनुरूप परिवर्तित हो जाएंगे.

दरअसल, बीते कुछ वर्षों के दौरान उद्योग विभाग और इससे जुड़े जिला उद्योग केन्द्रों की कार्यप्रणाली में बदलाव हुआ है. इसके साथ ही, विभाग के कार्याें का दायरा भी बढ़ गया है. लघु, सूक्ष्म, मध्यम एवं वृहद उद्यमों के विकास के साथ-साथ सेवा क्षेत्र एवं वाणिज्यिक क्षेत्र की गतिविधियों का विकास भी इस विभाग के कार्यकलापों एवं गतिविधियों में शामिल हो गया है. भारत सरकार सहित 18 राज्यों में भी तत्संबंधित विभाग का नाम उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ही है. इसी क्रम में राज्य सरकार ने विभाग का नाम परिवर्तित करने का निर्णय लिया है. गहलोत की ओर से स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, विभाग के नाम परिवर्तन के साथ ही प्रमुख शासन सचिव, उद्योग एमएसएमई का नाम बदलकर प्रमुख शासन सचिव, उद्योग एमएसएमई एवं वाणिज्य और आयुक्त उद्योग का नाम बदलकर आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य हो जाएगा.

पढ़ें: गहलोत सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार, इससे लगेगी तबादला उद्योग पर रोक, जानें इसकी खास बातें

इसी प्रकार, संयुक्त आयुक्त उद्योग, उप आयुक्त उद्योग और सहायक आयुक्त उद्योग पदों के नए नाम क्रमशः संयुक्त आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य, उप आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य और सहायक आयुक्त उद्योग एवं वाणिज्य हो जाएंगे. राज्य एवं केन्द्र के संबंधित विभागों के नाम में एकरूपता होने से राज्य में वाणिज्यिक एवं निर्यात संबंधित गतिविधियों के विस्तार के काम में अधिक गति आएगी. विभाग भारत सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का बेहतर प्रचार-प्रसार हो सकेगा. इस निर्णय से प्रदेश में निर्यात संवर्धन, वाणिज्यिक गतिविधियों एवं लाॅजिस्टिक सेवा क्षेत्रों और इनके उप-क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही, प्रदेश में रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे और राजस्व में भी वृद्धि होगी.

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