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बड़ी खबरः पूर्व मुख्यमंत्रियों की आजीवन सुविधा पर राजस्थान हाईकोर्ट का ब्रेक...सरकारी बंगला भी करना होगा खाली

राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका दिया है. हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली आजीवन सुविधाओं वाले संशोधित एक्ट को अवैध करार दिया है. आजीवन सुविधाएं पाने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया शामिल हैं.

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देना अवैध : हाईकोर्ट
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Published : Sep 4, 2019, 4:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने के संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 के प्रावधानों को मनमाना और अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

संशोधन अधिनियम के जरिये पूर्व मुख्यमंत्रियों आवास, वाहन और करीब 9 लोगों के स्टाफ की सुविधाएं मिल रही हैं. अदालत ने कहा की प्रदेश की आर्थिक हालत को देखते हुए इस तरह का खर्च उचित नहीं है. याचिकाओ में कहा गया है कि संशोधन अधिनियम, 2017 में धारा 7बीबी और धारा 11(2) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन निवास, कार, टेलीफोन और स्टाफ सहित अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है.

पढ़ेंः राजस्थान में कम कटेगा चालान...

जबकि संविधान में ऐसी सुविधाएं देने का कोई प्रावधान ही नहीं है. संविधान में सिर्फ वर्तमान मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विधायकों को वेतन आदि का प्रावधान किया गया है. यहां तक की राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता पद से अलग होने के बाद किराए के मकान में रह चुके हैं. ऐसे में इस प्रावधान को रद्द किया जाए.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को संशोधन अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत सुविधाएं दी जा रही है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सिर्फ आवास देने को गलत माना है. पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनकी गरिमा बनाए रखने के लिए सुविधाएं दी जाती हैं. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आए मामले में सरकार ने सिर्फ बंगला ही आवंटित किया था, सुविधाएं नहीं दी थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आवास आवंटन को गलत माना था. सुविधाओं के नाम पर मासिक करोड़ों रुपए का अनावश्यक खर्चा नहीं किया जा सकता.

पढ़ेंः जब पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधा पर राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई रोक तो बोले घनश्याम तिवाड़ी...कहा- सरकार को इसे तुरंत लागू करना चाहिए


यह मिल रही हैं सुविधाएं

  • पूर्व मुख्यमंत्री के नाते वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को मिल रही हैं सुविधाएं.
  • एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की मिल रही सुविधा.
  • 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर.
  • रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा.

सुप्रीम कोर्ट में भी राहत मिलना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों से पक्ष रखने को कहा था इस पर अटॉर्नी जनरल की ओर से सभी राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की जानकारी दी गई, लेकिन राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष ही नहीं रखा गया. ऐसे में अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने पर राज्य सरकार को शायद ही कोई राहत मिले.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने के संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 के प्रावधानों को मनमाना और अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

संशोधन अधिनियम के जरिये पूर्व मुख्यमंत्रियों आवास, वाहन और करीब 9 लोगों के स्टाफ की सुविधाएं मिल रही हैं. अदालत ने कहा की प्रदेश की आर्थिक हालत को देखते हुए इस तरह का खर्च उचित नहीं है. याचिकाओ में कहा गया है कि संशोधन अधिनियम, 2017 में धारा 7बीबी और धारा 11(2) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन निवास, कार, टेलीफोन और स्टाफ सहित अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है.

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जबकि संविधान में ऐसी सुविधाएं देने का कोई प्रावधान ही नहीं है. संविधान में सिर्फ वर्तमान मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विधायकों को वेतन आदि का प्रावधान किया गया है. यहां तक की राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता पद से अलग होने के बाद किराए के मकान में रह चुके हैं. ऐसे में इस प्रावधान को रद्द किया जाए.

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को संशोधन अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत सुविधाएं दी जा रही है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सिर्फ आवास देने को गलत माना है. पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनकी गरिमा बनाए रखने के लिए सुविधाएं दी जाती हैं. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आए मामले में सरकार ने सिर्फ बंगला ही आवंटित किया था, सुविधाएं नहीं दी थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आवास आवंटन को गलत माना था. सुविधाओं के नाम पर मासिक करोड़ों रुपए का अनावश्यक खर्चा नहीं किया जा सकता.

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यह मिल रही हैं सुविधाएं

  • पूर्व मुख्यमंत्री के नाते वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को मिल रही हैं सुविधाएं.
  • एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की मिल रही सुविधा.
  • 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर.
  • रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा.

सुप्रीम कोर्ट में भी राहत मिलना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों से पक्ष रखने को कहा था इस पर अटॉर्नी जनरल की ओर से सभी राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की जानकारी दी गई, लेकिन राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष ही नहीं रखा गया. ऐसे में अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने पर राज्य सरकार को शायद ही कोई राहत मिले.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने के संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 के प्रावधानों को मनमाना और अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। संशोधन अधिनियम के जरिये पूर्व मुख्यमंत्रियों आवास, वाहन और करीब 9 लोगों के स्टाफ की सुविधाएं मिल रही हैं। अदालत ने कहा की प्रदेश की आर्थिक हालत को देखते हुए इस तरह का खर्च उचित नहीं है।Body:याचिकाओ में कहा गया है कि संशोधन अधिनियम, 2017  में धारा 7बीबी और धारा 11(2) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन निवास, कार, टेलीफोन और स्टाफ सहित अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है। जबकि संविधान में ऐसी सुविधाएं देने का कोई प्रावधान ही नहीं है। संविधान में सिर्फ वर्तमान मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विधायकों को वेतन आदि का प्रावधान किया गया है। यहाँ तक की राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता पद से अलग होने के बाद किराए के मकान में रह चुके हैं। ऐसे में इस प्रावधान को रद्द किया जाए।

वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को संशोधन अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत सुविधाएं दी जा रही है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सिर्फ आवास देने को गलत माना है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनकी गरिमा बनाए रखने के लिए सुविधाएं दी जाती है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आए मामले में सरकार ने सिर्फ बंगला ही आवंटित किया था, सुविधाएं नहीं दी थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आवास आवंटन को गलत माना था। सुविधाओं के नाम पर मासिक करोड़ों रुपए का अनावश्यक खर्चा नहीं किया जा सकता।


यह मिल रही हैं सुविधाएं

- पूर्व मुख्यमंत्री के नाते वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को मिल रही हैं सुविधाएं

- एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक की मिल रही सुविधा

- 2 सूचना सहायक, चालक और 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात रहते हैं आवास पर

- रहने के लिए प्रदेश में मनचाही जगह पर आवास और देशभर में भ्रमण के लिए कार की भी सुविधा


सुप्रीम कोर्ट में भी राहत मिलना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों से पक्ष रखने को कहा था इस पर अटॉर्नी जनरल की ओर से सभी राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की जानकारी दी गई, लेकिन राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष ही नहीं रखा गया। ऐसे में अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने पर राज्य सरकार को शायद ही कोई राहत मिले।

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