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कैंसर इलाज के नाम पर 12 करोड़ के क्लेम मामले में मानवाधिकार आयोग सख्त

एक निजी अस्पताल द्वारा कैंसर इलाज के नाम पर 12 करोड़ रुपए का क्लेम लेने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने मामले की जांच रिपोर्ट 18 सितम्बर तक मांगी है.

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Published : Aug 19, 2019, 8:21 PM IST

जयपुर. इलाज के नाम पर फर्जी क्लेम उठाने के मामले पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. मामले में आयोग ने चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव से 18 सितंबर तक तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.

दरअसल, कैंसर इलाज के नाम पर पैसे लेने का मामला जोधपुर के पारा कैंसर से जुड़ा है. इसमें 12 करोड़ रुपए का क्लेम लिया गया है. जोधपुर शहर की पाल रोड स्थित पारा कैंसर कैंसर की ओर से मई 2018 से 1 मई 2019 के बीच भामाशाह योजना के तहत कैंसर मरीज के इलाज के नाम पर क्लेम लिया गया है. 12 करोड़ रुपए का क्लेम 6621 कैंसर मरीजों के इलाज के नाम पर उठा लिया गया. मामले में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में यह खुलासा हुआ है.

कैंसर इलाज के नाम पर 12 करोड़ के क्लेम मामले में मानवाधिकार आयोग सख्त

मामला सामने आने के बाद सरकार ने जांच के लिए कमेटी बना दी है. साथ ही मानव अधिकार आयोग ने भी इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है. आयोग ने सरकार से पूछा है कि रोगियों का उपचार दिया गया था. उसके इलाज के लिए क्या मरीजों को भर्ती करना आवश्यक था. एम्स अस्पताल जोधपुर में होने के बावजूद निजी सेंटर पर इलाज के लिए क्यों मरीज रेफर किया गया. इसके साथ ही आयोग ने कहा कि किसी निजी सेंटर को भामाशाह योजना के तहत इससे अधिक आंकड़े मिल रहे हैं तो अधिकारियों ने क्यों नहीं ध्यान दिया. आयोग ने इन सभी पहलुओं की जांच रिपोर्ट 18 सितम्बर तक पेश करने के आदेश दिए हैं.

यह भी पढ़ें: कारगिल युद्ध में शहीद दयाचंद की पत्नी ने दी अनशन की चेतावनी, सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप

बता दें कि मानव अधिकार आयोग ने भामाशाह योजना के तहत उठाए गए फर्जी बिलों को लेकर गंभीर नाराजगी जाहिर की. आयोग ने माना कि इस तरह के मामले प्रदेश में और भी कई हुए होंगे. अगर इस तरीके से किसी भी निजी अस्पताल द्वारा अगर क्लेम उठाए जा रहे हैं तो विभाग के अधिकारी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं .

जयपुर. इलाज के नाम पर फर्जी क्लेम उठाने के मामले पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. मामले में आयोग ने चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव से 18 सितंबर तक तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.

दरअसल, कैंसर इलाज के नाम पर पैसे लेने का मामला जोधपुर के पारा कैंसर से जुड़ा है. इसमें 12 करोड़ रुपए का क्लेम लिया गया है. जोधपुर शहर की पाल रोड स्थित पारा कैंसर कैंसर की ओर से मई 2018 से 1 मई 2019 के बीच भामाशाह योजना के तहत कैंसर मरीज के इलाज के नाम पर क्लेम लिया गया है. 12 करोड़ रुपए का क्लेम 6621 कैंसर मरीजों के इलाज के नाम पर उठा लिया गया. मामले में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में यह खुलासा हुआ है.

कैंसर इलाज के नाम पर 12 करोड़ के क्लेम मामले में मानवाधिकार आयोग सख्त

मामला सामने आने के बाद सरकार ने जांच के लिए कमेटी बना दी है. साथ ही मानव अधिकार आयोग ने भी इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है. आयोग ने सरकार से पूछा है कि रोगियों का उपचार दिया गया था. उसके इलाज के लिए क्या मरीजों को भर्ती करना आवश्यक था. एम्स अस्पताल जोधपुर में होने के बावजूद निजी सेंटर पर इलाज के लिए क्यों मरीज रेफर किया गया. इसके साथ ही आयोग ने कहा कि किसी निजी सेंटर को भामाशाह योजना के तहत इससे अधिक आंकड़े मिल रहे हैं तो अधिकारियों ने क्यों नहीं ध्यान दिया. आयोग ने इन सभी पहलुओं की जांच रिपोर्ट 18 सितम्बर तक पेश करने के आदेश दिए हैं.

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बता दें कि मानव अधिकार आयोग ने भामाशाह योजना के तहत उठाए गए फर्जी बिलों को लेकर गंभीर नाराजगी जाहिर की. आयोग ने माना कि इस तरह के मामले प्रदेश में और भी कई हुए होंगे. अगर इस तरीके से किसी भी निजी अस्पताल द्वारा अगर क्लेम उठाए जा रहे हैं तो विभाग के अधिकारी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं .

Intro:
जयपुर

कैंसर इलाज के नाम पर पैसे उठाने के ममलें पर मानवाधिकार आयोग लिया संज्ञान , अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा विभाग से 18 सितंबर तक मांगा जवाब ,

एंकर:- इलाज के नाम पर फर्जी क्लेम उठाने के मामले पर राज्य मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है , आयोग ने मामले पर चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव से 18 सितंबर तक तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है , मामला जोधपुर के पारा कैंसर से जुड़ा है इसमें 12 करोड रुपए का क्लेम उठा लिया गया है ।


Body:VO:- जोधपुर शहर की पाल रोड स्थित पारा कैंसर कैंसर की ओर से मई 2018 से 1 मई 2019 के बीच भामाशाह योजना के तहत कैंसर मरीज के इलाज के नाम पर क्लेम लिया गया है , 6621 कैंसर मरीजों के इलाज के नाम पर 12 करोड़ का पैसा उठा लिया है , अब आरटीआई में मांगी गई सूचना के तहत मामला सामने आने के बाद सरकार ने जांच के लिए कमेटी बना दी है , इसके साथ ही मानव अधिकार आयोग ने भी इस पूरे मामले पर संज्ञान लिया है आयोग ने सरकार से पूछा है कि रोगियों को उपचार दिया गया था उसके इलाज के लिए क्या मरीजों को भर्ती करना आवश्यक था , एम्स अस्पताल जोधपुर में होने के बावजूद निजी सेंटर पर इलाज के लिए क्यों मरीज रेफर किया गया , इसके साथ ही आयोग ने कहा कि किसी निजी सेंटर को भामाशाह योजना के तहत इससे अधिक आंकड़े मिल रहे है , तो अधिकारियों ने क्यों नहीं ध्यान दिया सभी पहलुओं की जांच रिपोर्ट 18 सितम्बर तक आजोग के समक्ष पेश हो ,


Conclusion:VO:- दरअसल मानव अधिकार आयोग ने भामाशाह योजना के तहत उठाए गए फर्जी बिलों को लेकर गंभीर नाराजगी जाहिर की आयोग ने माना कि इस तरह के मामले प्रदेश में और भी कई हुए होंगे अगर इस तरीके से किसी भी निजी अस्पताल द्वारा अगर क्लेम उठाए जा रहे हैं तो विभाग के अधिकारी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं ।
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