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प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गिरी, सीएम गहलोत ने कहा- मोदी सरकार में मीडिया के दमन का चला कुचक्र

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (Press Freedom Indesk) में भारत की रैंकिंग आठ अंक गिरी है. इस बार भारत की रैंकिंग 150वीं आई है. इस सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते (gehlot targeted modi government) हुए कहा कि मोदी सरकार में मीडिया के दमन का कूचक्र चला है.

India ranking fell down Press Freedom Index
सीएम गहलोत का मोदी सरकार पर हमला
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Published : May 6, 2022, 4:39 PM IST

जयपुर. लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले प्रेस की आजादी और स्वतंत्रता को लेकर तमाम बातें की जाती हैं, लेकिन भारत में इसकी स्थिति ठीक नहीं है. 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' की ओर से जारी रिपोर्ट कह रही है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (Press Freedom Indesk) में भारत 150वें नंबर पर है. पिछले साल भारत इसमें 142वें नंबर पर था. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गिरने पर सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार को निशाने (gehlot targeted modi government) पर लेते हुए कहा कि मोदी सरकार में मीडिया के दमन का कुचक्र चला है.

150 वें स्थान पर गिरी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2022 में भारत की रैंकिंग 180 देशों में 150वें स्थान पर पहुंच गई है. यह भारतीय मीडिया की दुर्दशा का प्रतीक है. 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही प्रेस के दमन का ऐसा कुचक्र चला कि मीडिया पूरी तरह केन्द्र सरकार, भाजपा एवं RSS के इशारे पर नाच रही है.

पढ़ें. 'चिंतन' के बाद राजस्थान कांग्रेस में बड़ा बदलाव संभव, यहां समझिए मिशन 2023 का Micromanagement

मीडिया भय में है
गहलोत ने कहा कि मीडिया में इतना भय व्याप्त है कि निष्पक्षता एवं तर्क के साथ सच दिखाने की बजाय ऐसी कवरेज की जाती है जिससे इनकी नाराजगी न मोल लेनी पड़े. आज महंगाई और बेरोजगारी के कारण जनता में हाहाकार मचा है, परन्तु इस पर मीडिया में कोई चर्चा नहीं हो रही है. सिर्फ धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण की ही बहस चलती रहती है. मीडिया को केन्द्र सरकार के दबाव में न आकर जनता का साथ देना चाहिए. जब मीडिया आमजन के हित की बात करेगा तो जनता भी मीडिया का साथ देगी और केन्द्र सरकार की हिम्मत नहीं होगी कि वह इस पर अंकुस लगा सके.

पड़ोसी देशों में भी वही स्थिति
जारी की गई रिपोर्ट में कई और हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं. इसमें नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग भी काफी गिरी है. पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यानमार 176वें स्थान पर है. यह रैंकिंग कुल 180 देशों की है.

पढ़ें. राजस्थान में सत्ता की चाबी तलाश रहा भाजपा आलाकमान, एसटी बाहुल्य सीटों पर कसरत शुरू

नेपाल की स्थिति में सुधार
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल वह 106 नंबर पर था. वहीं पाकिस्तान को 145वें, श्रीलंका को 127वें, बांग्लादेश को 152वें और म्यानमार 140वें स्थान पर था.

ये हैं टॉप-5 देश
प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में इस साल नॉर्वे पहले नंबर पर, डेनमार्क दूसरे नंबर पर, स्वीडन तीसरे नंबर पर, एस्टोनिया चौथे नंबर पर और फिनलैंड पांचवें नंबर पर है. रैंकिंग में उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है. वहीं यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस को इस रैंकिंग में 155वें नंबर पर रखा गया है, जबकि पिछले साल वह 150वें स्थान से नीचे था. वहीं चीन इस बार 175वें स्थान पर आ गया है, पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था.

जयपुर. लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले प्रेस की आजादी और स्वतंत्रता को लेकर तमाम बातें की जाती हैं, लेकिन भारत में इसकी स्थिति ठीक नहीं है. 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' की ओर से जारी रिपोर्ट कह रही है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (Press Freedom Indesk) में भारत 150वें नंबर पर है. पिछले साल भारत इसमें 142वें नंबर पर था. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गिरने पर सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार को निशाने (gehlot targeted modi government) पर लेते हुए कहा कि मोदी सरकार में मीडिया के दमन का कुचक्र चला है.

150 वें स्थान पर गिरी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2022 में भारत की रैंकिंग 180 देशों में 150वें स्थान पर पहुंच गई है. यह भारतीय मीडिया की दुर्दशा का प्रतीक है. 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही प्रेस के दमन का ऐसा कुचक्र चला कि मीडिया पूरी तरह केन्द्र सरकार, भाजपा एवं RSS के इशारे पर नाच रही है.

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मीडिया भय में है
गहलोत ने कहा कि मीडिया में इतना भय व्याप्त है कि निष्पक्षता एवं तर्क के साथ सच दिखाने की बजाय ऐसी कवरेज की जाती है जिससे इनकी नाराजगी न मोल लेनी पड़े. आज महंगाई और बेरोजगारी के कारण जनता में हाहाकार मचा है, परन्तु इस पर मीडिया में कोई चर्चा नहीं हो रही है. सिर्फ धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण की ही बहस चलती रहती है. मीडिया को केन्द्र सरकार के दबाव में न आकर जनता का साथ देना चाहिए. जब मीडिया आमजन के हित की बात करेगा तो जनता भी मीडिया का साथ देगी और केन्द्र सरकार की हिम्मत नहीं होगी कि वह इस पर अंकुस लगा सके.

पड़ोसी देशों में भी वही स्थिति
जारी की गई रिपोर्ट में कई और हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं. इसमें नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग भी काफी गिरी है. पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यानमार 176वें स्थान पर है. यह रैंकिंग कुल 180 देशों की है.

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नेपाल की स्थिति में सुधार
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल वह 106 नंबर पर था. वहीं पाकिस्तान को 145वें, श्रीलंका को 127वें, बांग्लादेश को 152वें और म्यानमार 140वें स्थान पर था.

ये हैं टॉप-5 देश
प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में इस साल नॉर्वे पहले नंबर पर, डेनमार्क दूसरे नंबर पर, स्वीडन तीसरे नंबर पर, एस्टोनिया चौथे नंबर पर और फिनलैंड पांचवें नंबर पर है. रैंकिंग में उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है. वहीं यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस को इस रैंकिंग में 155वें नंबर पर रखा गया है, जबकि पिछले साल वह 150वें स्थान से नीचे था. वहीं चीन इस बार 175वें स्थान पर आ गया है, पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था.

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