जयपुर. अनलॉक-1 के शुरू होते ही गर्मी की दौर भी शुरू हो चुका है. हालात ऐसे है कि गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुका है. इसके चलते अब प्रदेश में बिजली की खपत भी तेजी से शुरू हो गई है. आलम यह है कि बीते 1 सप्ताह में प्रदेश में बिजली की खपत के पुराने सभी रिकॉर्ड टूट चुके हैं. हालांकि, बिजली की खपत तो बढ़ी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि इस बार एसी और कूलरों की बिक्री पहले के मुकाबले काफी कम हो रही है.
दरअसल, इस साल गर्मी में पिछली गर्मी के मुकाबले बिजली की खपत शुरुआती दौर में काफी कम ही रही, उसके पीछे का भी एक बड़ा लॉकडाउन रहा. क्योंकि, उस दौरान लगभग सभी उद्योग धंधे बंद रहे, जिससे बिजली की खपत काफी कम रही. लेकिन अब अनलॉक-1 के शुरू होते ही उद्योग-धंधे, सरकारी व प्राइवेट दफ्तर खुले, जिससे एक बार फिर से बिजली की खपत बढ़ने लगी.
इसके साथ ही गर्मी भी इन दिनों अपनी चरम पर है. इसके चलते सूरज की बढ़ती तपिश ने भी बिजली की खपत को काफी हद तक बढ़ाया. प्रदेश में जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के बिजली खपत से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन करें तो बिजली की खपत में पिछले साल की तुलना में इस बार यह इजाफा पिछले 1 सप्ताह में ही हुआ है.
आइएं आंकड़ों के जरिए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि प्रदेश में पिछले साल की तुलना में इस बार बिजली की खपत में बढ़ोतरी 16 जून से शुरू हुई और लगातार जारी है. ये बढ़ोतरी प्रतिदिन 750 लाख यूनिट से अधिक तक पहुंची और औसत निकाले तो पिछले साल की तुलना में रोजाना 200 से 250 लाख यूनिट प्रतिदिन है. खैर बिजली की खपत में बढ़ोतरी का बड़ा कारण गर्मी भी है. क्योंकि, गर्मी के कारण घरों में कूलर, पंखे और एसी चल रहे हैं, इससे बिजली की खपत होना तो लाजमी है.
पढ़ें: स्पेशल: पैसों की कमी के चलते PWD में लॉकडाउन, प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए चाहिए 773 करोड़ रुपए
इस बीच एक चौंकाने वाली बात भी सामने आई, वह यह कि बिजली की खपत भले ही बढ़ गई हो. लेकिन इस साल कूलर, एसी व फ्रिज आदि की बिक्री में कोई इजाफा नहीं हुआ. आलम यह है कि जो विक्रेता लाखों रुपए खर्च कर यह इलेक्ट्रॉनिक सामान अपने शोरूम और दुकानों में बेचने के लिए लाए, उन्हें इसके खरीदार भी नहीं मिल रहे.
एसी, कूलर व फ्रिज की बिक्री क्यों नहीं हुई
दरअसल, कोरोना के संकट काल के चलते लोगों की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है. अब ऐसी स्थिति में कुछ ही ऐसे लोग है जो आर्थिक रूप से संपन्न है, जिन्होंने कुछ हद तक इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीददारी की. वहीं, मध्यम एवं निम्न तबके के लोगों को इस कदर आर्थिक तंगी छाई है कि इन हालातों में उनके जेब नए एसी, कूलर खरीदने की इजाजत नहीं देती.
इन दिनों गर्मी के साथ ही एग्रीकल्चर का लोड भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. क्योंकि, किसान बुवाई के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहा है और उसमें पानी की भी आवश्यकता होती है, जिसके लिए मोटर भी चल रही है और बिजली की खपत संभवत: जून के अंत तक इसी तरह बढ़ती रहेगी. वहीं, जुलाई के पहले सप्ताह से बिजली की खपत में गिरावट आने की संभावना है. क्योंकि, जुलाई तक प्रदेश के लगभग हर जिले में मानसून सक्रिय हो जाएगा.