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Internet Gaming Disorder : कोरोना के बाद बच्चों में बढ़े इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले, बढ़ सकता है खतरा... - Internet gaming disorder symptoms

कोरोना काल में लॉकडाउन और स्कूलों की पढ़ाई ऑनलाइन होने के चलते बच्चों में गेमिंग डिसऑर्डर के मामले देखने में आ रहे हैं. इस डिसऑर्डर के चलते बच्चे को बात-बात पर गुस्सा आना, आउटडोर गेम्स के प्रति उदा​सीनता और रोमांच के प्रति अ​त्यधिक लगाव होने (Internet gaming disorder symptoms) लगता है. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसी समस्या में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

Internet gaming disorder
कोरोना के बाद बच्चों में बढ़े इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले
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Published : Feb 14, 2022, 8:03 PM IST

Updated : Feb 14, 2022, 11:22 PM IST

जयपुर. प्रदेश में जब करीब 2 साल पहले कोरोना के मामले सामने आने लगे तब लॉकडाउन लगाया गया और इस दौरान इंटरनेट, व्यवसाय, शिक्षा संस्थान, मनोरंजन और सूचनाओं के आदान-प्रदान का एकमात्र साधन रहा. कोरोना के दौरान बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन के माध्यम से होने लगी और धीरे-धीरे बच्चों को इंटरनेट की लत लगने लगी और इंटरनेट के माध्यम से बच्चे इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का भी शिकार होने लगे. अब इस तरह से डिसऑर्डर के मामलों में एकाएक बढ़ोतरी (Increase in Internet gaming disorder patients) हुई है.

चिकित्सकों की मानें तो कोरोना के दौरान बच्चे इंटरनेट का उपयोग अधिक करने लगे, तो इंटरनेट गेमिंग ने भी बच्चों को अपनी जकड़ में ले लिया. हाल ही में इंटरनेट गेमिंग के कारण हुई घटनाएं पेरेंट्स और समाज के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ रही हैं. मामले को लेकर ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि कोरोना काल के दौरान बच्चों में इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले सामने आ रहे हैं. कुछ दिनों से गेमिंग डिसऑर्डर के शिकार बच्चों की संख्या में भी अचानक वृद्धि हुई है.

पढ़ें: Safer Internet Day 2022: इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने से सुरक्षा में लग रही सेंध, सेफ एप्लीकेशन और ब्राउजर करें यूज

क्या हैं लक्षण...
डॉक्टर जैन का कहना है कि जो बच्चा इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है, वह अधिकांश समय सिर्फ गेमिंग के बारे में ही सोचता है. उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगता है और छोटी-छोटी बातों पर बच्चा गुस्सा करना शुरू कर देता है. इस दौरान बच्चा आउटडोर गेम्स खेलना छोड़ देता है. ऐसे बच्चों में हाइपरएक्टिविटी और रोमांच के प्रति लगाव हो जाता है और वह इन गेम्स से भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाता है. इसके बाद समस्याएं सामने आना शुरू होती हैं.

कोरोना के बाद बच्चों में बढ़े इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले, बढ़ सकता है खतरा...

पढ़ें : राजस्थान में बढ़ रहा है मासूमों का शोषण...POCSO ACT प्रकरणों में लगातार हो रही बढ़ोतरी

कुछ समय पहले नागौर के लाडनूं में एक ऐसा ही मामला सामने आया था. इसमें इंटरनेट गेम्स की उधारी चुकाने के लिए एक 16 साल के नाबालिग ने अपने चचेरे भाई का गला दबाकर हत्या कर दी थी. इसके अलावा जयपुर में कई ऐसे मामले सामने आए थे, जहां परिजनों ने ऑनलाइन गेम्स खेलने से बच्चों को रोका तो उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की. इसके अलावा इंटरनेट गेम्स के चक्कर में बच्चों के घर में चोरी के मामले भी सामने आए थे.

पढ़ें : जोधपुर के रहने वाले उत्कर्ष वैष्णव 19 साल की उम्र में बने डोमेन रजिस्ट्रार

चिकित्सकीय सलाह जरूरी...
डॉ. जैन का कहना है कि हाल ही में उनके सामने बच्चों में गेमिंग डिसऑर्डर के कुछ मामले सामने आए हैं. हालांकि, सीधे तौर पर बच्चों की यह लत छुड़वाना काफी मुश्किल है, लेकिन चिकित्सकीय सलाह ली जाए तो बच्चों को इस डिसऑर्डर से बाहर निकाला जा सकता है. ऐसे मामले कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा सामने आने लगे हैं.

जयपुर. प्रदेश में जब करीब 2 साल पहले कोरोना के मामले सामने आने लगे तब लॉकडाउन लगाया गया और इस दौरान इंटरनेट, व्यवसाय, शिक्षा संस्थान, मनोरंजन और सूचनाओं के आदान-प्रदान का एकमात्र साधन रहा. कोरोना के दौरान बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन के माध्यम से होने लगी और धीरे-धीरे बच्चों को इंटरनेट की लत लगने लगी और इंटरनेट के माध्यम से बच्चे इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का भी शिकार होने लगे. अब इस तरह से डिसऑर्डर के मामलों में एकाएक बढ़ोतरी (Increase in Internet gaming disorder patients) हुई है.

चिकित्सकों की मानें तो कोरोना के दौरान बच्चे इंटरनेट का उपयोग अधिक करने लगे, तो इंटरनेट गेमिंग ने भी बच्चों को अपनी जकड़ में ले लिया. हाल ही में इंटरनेट गेमिंग के कारण हुई घटनाएं पेरेंट्स और समाज के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ रही हैं. मामले को लेकर ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि कोरोना काल के दौरान बच्चों में इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले सामने आ रहे हैं. कुछ दिनों से गेमिंग डिसऑर्डर के शिकार बच्चों की संख्या में भी अचानक वृद्धि हुई है.

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क्या हैं लक्षण...
डॉक्टर जैन का कहना है कि जो बच्चा इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है, वह अधिकांश समय सिर्फ गेमिंग के बारे में ही सोचता है. उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगता है और छोटी-छोटी बातों पर बच्चा गुस्सा करना शुरू कर देता है. इस दौरान बच्चा आउटडोर गेम्स खेलना छोड़ देता है. ऐसे बच्चों में हाइपरएक्टिविटी और रोमांच के प्रति लगाव हो जाता है और वह इन गेम्स से भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाता है. इसके बाद समस्याएं सामने आना शुरू होती हैं.

कोरोना के बाद बच्चों में बढ़े इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले, बढ़ सकता है खतरा...

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कुछ समय पहले नागौर के लाडनूं में एक ऐसा ही मामला सामने आया था. इसमें इंटरनेट गेम्स की उधारी चुकाने के लिए एक 16 साल के नाबालिग ने अपने चचेरे भाई का गला दबाकर हत्या कर दी थी. इसके अलावा जयपुर में कई ऐसे मामले सामने आए थे, जहां परिजनों ने ऑनलाइन गेम्स खेलने से बच्चों को रोका तो उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की. इसके अलावा इंटरनेट गेम्स के चक्कर में बच्चों के घर में चोरी के मामले भी सामने आए थे.

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चिकित्सकीय सलाह जरूरी...
डॉ. जैन का कहना है कि हाल ही में उनके सामने बच्चों में गेमिंग डिसऑर्डर के कुछ मामले सामने आए हैं. हालांकि, सीधे तौर पर बच्चों की यह लत छुड़वाना काफी मुश्किल है, लेकिन चिकित्सकीय सलाह ली जाए तो बच्चों को इस डिसऑर्डर से बाहर निकाला जा सकता है. ऐसे मामले कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा सामने आने लगे हैं.

Last Updated : Feb 14, 2022, 11:22 PM IST
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