जयपुर. प्रताप सिंह खाचरियावास और प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया रविवार दोपहर को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक ली. उन्होंने अलग-अलग विभागों की समीक्षा कर दिशा निर्देश दिए. खाचरियावास ने कहा कि कोरोना से लंबी जंग लड़ने के बाद अब जिंदगी को पटरी पर लाने का वक्त है. लॉकडाउन के बाद अब प्रदेश धीरे-धीरे अनलॉक की ओर बढ़ेगा. इसके अलावा बैठक में चिरंजीवी योजना, ब्लैक फंगस, फ्री वैक्सीन आदि पर भी चर्चा हुई.
बैठक के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए खाचरियावास ने कहा कि कोविड-19 के दौरान देश और प्रदेश ने कोरोना से लंबी जंग लड़ी है और पूरी दुनिया में भारत आगे रहा है. राजस्थान मॉडल स्टेट के रूप में जाना जाता है. अब प्रदेश को इस तरह अनलॉक की ओर बढ़ाना चाहिए कि संक्रमण भी न बढ़े और ब्लैक फंगस को भी वर्तमान स्थिति में ही रोक दिया जाए. खाचरियावास ने कहा कि यह लड़ाई भाजपा और कांग्रेस की नहीं, हिंदुस्तान की है. हिंदुस्तान की एक ही आवाज है कि हमें फ्री वैक्सीन दी जाए. फ्री वैक्सीन देश के हर नागरिक का कानूनी अधिकार है.
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अब मोदी सरकार ने वैक्सीन की तीन-तीन दरें निर्धारित कर दी हैं. सुप्रीम कोर्ट खुद केंद्र सरकार से पूछ रहा है कि फ्री वैक्सीन के लिए केंद्र सरकार ने 35000 करोड़ रुपए निर्धारित किए थे, वह पैसा कहां है. केंद्र सरकार वैक्सीन को लेकर भेदभाव कर रही है. 45 से अधिक उम्र वालों को फ्री वैक्सीन और 18 साल से अधिक उम्र वालों के लिए पैसे लिए जा रहे हैं. वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए भी समय को आगे बढ़ाया जा रहा है. वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह से फेल है और वह प्रदेश की सरकारों को कह रही है कि फ्री वैक्सीन लगाएं. ग्लोबल टेंडर में भी कंपनियां वैक्सीन के लिए प्रदेश की सरकारों से ज्यादा पैसे मांग रहीं है. भारत सरकार ने अभी तक वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर नहीं किया है. प्रदेश की गहलोत सरकार ने 100 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं. इसके बावजूद प्रदेश की जनता के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है.
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खाचरियावास ने कहा कि हमारी पहली मांग यह है कि केंद्र सरकार हमें फ्री में वैक्सीन दे, नहीं तो पैसे लेकर दे. चिरंजीवी योजना में शामिल प्राइवेट हॉस्पिटल को चेतावनी देते हुए खाचरियावास ने कहा कि यदि वे मरीज को परेशान करेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
खाचरियावास ने बताया कि कुल 1054 ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं इनमें से 535 की सर्जरी हो चुकी है, 426 डिस्चार्ज हो चुके हैं और 44 मरीजों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कोरोना से मौत होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत की वजह कोरोना नहीं लिखे जाने को भी गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं. आने वाले समय में यदि मुआवजा दिया जाता है तो इसमें परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. कोविड से माता-पिता की मौत के बाद अनाथ हुए बच्चों के लिए भी एक योजना तैयार की जा रही है और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले को देख रहे हैं. समीक्षा बैठक के बाद मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि कोविड काल में सरकार ने जो काम किए हैं उसे लेकर वे पूरी तरह से संतुष्ट हैं. बैठक के दौरान उन्होंने भी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए.