जयपुर. शहरवासियों के लिए यह सुकून की बात हो सकती है कि साल 2020 में अपराधों की संख्या तेजी से गिरी. औसत अपराधों की तुलना में साल 2020 में आधे ही अपराध हुए. कहने के मायने हैं कि जयपुर कमिश्नरेट एरिया में साल 2020 में अपराध का ग्राफ 50 फीसदी तक गिरा है. पुलिस ने ईमानदारी से यह स्वीकार भी किया है कि अपराध का ग्राफ गिरने में कोरोना की भूमिका मुख्य है.
कोरोना में हम लोग उस लॉकडाउन को भला कैसे भूल सकते है जिसकी वजह से सड़कें, शहर, कस्बे, महानगर तक सब कुछ वीरान पड़ गए. उसी लॉकडाउन की अनदेखी कर सड़क पर निकलने वालों को पुलिस ने सबक सिखाया. कहीं पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर लाठियां भांजी तो कहीं घुमक्कड़ों की आरती भी उतारी.
ये कहानियां भी सालों तक याद रखी जाएंगी. इन्ही लम्हों के बीच जयपुर पुलिस के लिए सुखद रहा शहर में आपराधिक घटनाओं का कम होना. शहर में पिछले साल की तुलना में इस साल अपराधों की संख्या में 50% की कमी आई है.
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कोरोना और लॉकडाउन के कारण अपराध में कमी
राजस्थान में मार्च में शुरू हुआ लॉकडाउन काफी लंबे अरसे तक चला. जयपुर में कोरोना विस्फोट हुआ. ऐसे में संपूर्ण लॉकडाउन चला. इस दौरान बाहरी लोग शहर नहीं आ सके. हर वक्त पुलिस का पहरा रहने लगा. पुलिस की मौजूदगी और कर्फ्यू जैसे हालात ने निश्चित रूप से अपराध पर जबरदस्त तरीके से अंकुश लगाया. अपराध तो तब भी हुए लेकिन उनकी दर आधी रह गई.
ऑपरेशन आग का असर
पुलिस ने अवैध हथियारों की धरपकड़ के लिए ऑपरेशन आग चला रखा है. साल 2020 में इस ऑपरेशन के तहत जगह-जगह दबिश दी गई और बड़ी मात्रा में अवैध हथियार बरामद किए गए. अवैध हथियार बनाने वाले लोगों और फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ होने लगा. इन हथियारों का इस्तेमाल आदतन अपराधी या संगठित अपराधी वारदातों को अंजाम देने में किया करते थे. ऑपरेशन आग ने अपराध पर अंकुश लगाया
ऑपरेशन क्लीन स्वीप का असर
साल 2020 में अपराध की दर आधी होने की मुख्य वजह ऑपरेशन क्लीन स्वीप भी रहा. इस ऑपरेशन के तहत पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी के तंत्र पर हमला बोल दिया. पुलिस ने ऑपरेशन के तहत कार्रवाई कर 550 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया.
मादक पदार्थों का सेवन कर अपराधी अपराध को अंजाम देते हैं, यह युवा पीढ़ी को भी अपराध की तरफ धकेलता है. पुलिस के कड़े एक्शन को देखते हुए अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में जुड़े लोगों में दहशत हो गई.
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पुलिस की ओर से इस साल नए नाके बनाए गए. जगह-जगह नाकेबंदी कर शहर के चारों रीजन में सुरक्षा व्यवस्था का कड़क रखा. ऐसे में अपराधियों को अपराध के बाद भागकर निकलने की जगह मिलना मुश्किल हो गया.
पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था के आगे अपराधी सहमे ही रहे. वहीं, पुलिस की ओर से जिला स्तर पर भी जिला स्पेशल पुलिस टीमों का गठन किया गया. जिससे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के साथ साथ सुपरविजन में भी मदद मिली.
अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल ने रोके अपराध
जयपुर पुलिस हर कदम पर अपडेट होती रही. समय और जरूरत के हिसाब से उपकरणों के इस्तेमाल और तकनीक पर ध्यान दिया. शहर में सीसीटीवी के जाल, घरों और दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी, पुलिसिंग और गश्त में ड्रोन कैमरा की मदद और अभय कमांड का उच्च तकनीक से जुड़ना, पेट्रोलिंग के लिए नए वाहनों का बेडे़ में शामिल होना, ये सब वे वजहें रहीं जिनसे साल 2020 में अपराध पर कुछ अंकुश लगा.
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जयपुर पुलिस कमिश्नरेट इस साल अपराध पर लगाम लगाने में सक्षम हुई है. जिसके चलते गंभीर श्रेणी के अपराध भी कम हुआ है. इसकी मुख्य वजह कोरोना और लॉकडाउन रहा. हालांकि पुलिसकर्मियों और माफियाओं की सांठगांठ से भी इस बार पर्दा उठा. जिसमें हाल ही में बदमाशों से गठजोड़ करने का खुलासा हुआ, तो पुलिसकर्मीयों के खिलाफ एक्शन भी लिया गया.
वहीं साल 2020 की बात की जाए तो इस साल के भीतर आईपीएस से लेकर थानाधिकारी और सिपाही स्तर के हजारों पुलिसकर्मियों के तबादले हुए और कुछ पुलिसकर्मियों की पोल भी खुलकर सामने आई. साथ ही ऑपरेशन आग, ऑपरेशन क्लीन स्वीप सहित अन्य ऑपरेशन जयपुर पुलिस ने छेड़े. जिसकी वजह से अपराधिक घटनाएं कम हुईं और अपराधी हवालात में दिखाई दिए.
क्या कहते हैं 2020 के आंकड़े
साल 2020 में 17 हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे, जबकि पिछले साल 31 हजार से ज्यादा मुकदमे थानों में दर्ज किए गए.
- हत्या व हत्या के प्रयास की 76 FIR
- लूट के 76, अपहरण के 469, डकैती के 2 मुकदमे
- बलात्कार की 372 शिकायतें
- चोरी के 11399 और अन्य अपराध के 9480 मुकदमे हुए दर्ज
- ऑपरेशन क्लीन स्वीप के 437 प्रकरणों में 564 आरोपियों पर हुई कार्रवाई
- पिछले साल की तुलना में 50% अपराधों में आई कमी
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साल 2020 में त्वरित पुलिस गश्त व्यवस्था हुई मजबूत
इस साल जयपुर शहर में अपराधों की रोकथाम और कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए त्वरित पुलिस गश्त व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये अत्याधुनिक चेतक और सिग्मा वाहन जयपुर पुलिस बेड़े में शामिल हुए.
पुलिस कमिश्नरेट बेड़े में 127 मोटरसाइकिल सिग्मा और 70 चौपहिया वाहन चेतक शामिल किए गए. जिससे शहर की तंग गलियों में गश्त व्यवस्था प्रभावी रूप से की जा रही है. नए पीसीआर वाहनों के उपलब्ध होने से और कंट्रोल रूम पर प्राप्त शिकायत का इन वाहनों पर स्वचालित उपकरणों के माध्यम से स्वत ही प्रसारित होने से वर्तमान में पुलिस रिस्पांस टाइम काफी कम हुआ है. वारदात स्थल पर पुलिस की रीच जल्दी हुई है. इन सब वजहों से अपराधों में गिरावट आई है.
ऐसे में अब नए साल में इस उपलब्धि को बरकरार रखने की जिम्मेदारी जयपुर पुलिस के कंधों पर होगी. साथ ही अपराधियों के साथ-साथ खाकी के दागदारों के खिलाफ सख्त कदम भी उठाने होंगे, ताकि कोई भी खाकी का नुमाइंदा किसी अपराध या अपराधी के साथ साठगांठ नहीं कर सके.