जयपुर. भाजपा ने उपचुनाव के मद्देनजर तीनों विधानसभा सभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. तस्वीर अब साफ है. लेकिन इस साफ तस्वीर में वसुंधरा राजे कुछ धुंधली नजर आ रही हैं. सवाल यही की क्या अब वसुंधरा राजे भाजपा के लिए सक्रिय होंगी...
राजस्थान में उपचुनाव के सियासी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही नेता और कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर तैयारियों में जुट गए हैं. भाजपा ने तो उप चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही धरातल पर उप चुनाव क्षेत्रों में काम शुरू कर दिया था. लेकिन अब जब तारीखों का ऐलान हो चुका है और 17 अप्रैल को इन तीनों ही विधानसभा सीटों पर मतदान होना है. तो पार्टी के आला नेता इन क्षेत्रों में अपना रुख करेंगे.
लेकिन भाजपा के गलियारों में एक चर्चा इन दिनों जोरों पर है कि..क्या वसुंधरा राजे इन उपचुनाव में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाती दिखेगी या फिर नहीं. ये चर्चा होना लाजमी भी है क्योंकि उप चुनाव की तैयारियों में जुटी प्रदेश भाजपा ने इन क्षेत्रों में प्रदेश से जुड़े तमाम आला नेताओं को लगा दिया है. वहीं राजस्थान से आने वाले तीनों ही केंद्रीय मंत्री भी इन उप चुनाव क्षेत्रों में कहीं ना कहीं चुनावी दौरे और बैठक करके आ गए हैं. प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह उदयपुर और भीलवाड़ा जिले के दौरे हाल ही में कर चुके हैं.
अब तक इन विधानसभा क्षेत्रों में वसुंधरा राजे कहीं पर भी नजर नहीं आई. यह स्थिति तो तब है जब वसुंधरा राजे अन्य केंद्रीय नेताओं की तरह पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार में भी व्यस्त नहीं हैं.
ये तमाम चर्चाएं भाजपा के गलियारों में इन दिनों आम हैं. भाजपा ने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. तो क्या अब इन क्षेत्रों की ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का रूख होगा ? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया वसुंधरा राजे को पार्टी की सम्मानीय नेता भी बताते हैं और उनके सियासी कद का लाभ उपचुनाव में पार्टी को मिले ये भी चाहते हैं. पूनिया के अनुसार चुनावी कैंपेन के लिए राजे को आमंत्रित किया जाएगा और जैसा समय और सुविधा रहेगी वो निश्चित रूप से पार्टी के लिए काम करेंगी.
पिछले दिनों इन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के कोर ग्रुप में शामिल लगभग हर नेता को कोई ना कोई जिम्मेदारी प्रदेश संगठन ने दी थी. लेकिन इनमें वसुंधरा राजे के खेमे जुड़ा एक भी नेता शामिल नहीं था. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहते हैं कि पार्टी की दृष्टि से उनके जो चुनावी कार्यक्रम आएंगे तब ही बनेंगे. कटारिया के अनुसार चुनाव के दिनों में ही बड़े नेता पब्लिक मीटिंग के लिए जाते हैं. बाकी सामान्य ढांचा तैयार करने का काम संगठन से जुड़े कार्यकर्ता और नेताओं का होता है. जो वह कर रहे हैं. कटारिया को भी सुजानगढ़ विधानसभा की चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई थी.
फिलहाल प्रत्याशियों के नाम के ऐलान के बाद अब इलेक्शन कैंपेन के तहत क्षेत्रों में पार्टी के नेता पहुंचकर प्रचार में जुटेंगे. अब यदि वसुंधरा राजे का क्षेत्र में दौरा नहीं बनता तो फिर ये साफ हो जाएगा कि भाजपा के भीतर सब कुछ सही नहीं चल रहा है. फिलहाल राजे की अनुपस्थिति में यदि उपचुनाव लड़े गए और उसका परिणाम सकारात्मक रहा तो जीत का सेहरा प्रदेश नेतृत्व को बंधना तय है. लेकिन परिणाम विपरीत रहा तो राजे समर्थक इस बात को भुनाने में पीछे नहीं रहेंगे कि राजे को यदि इन उपचुनाव में फ्रंट लाइन पर रखा जता तो परिणाम कुछ और होते