ETV Bharat / city

परकोटे के बाजारों की पहचान बनाने वाले बरामदे बहा रहे बदहाली के आंसू, निगम प्रशासन पर अनदेखी का आरोप

शहर के बाजारों में बने बरामदे यहां की पहचान हैं. लेकिन इन बरामदों की जर्जर हालत इस पहचान को कलंकित कर रही है. यहां मेट्रो प्रशासन के बरामदे गिरने की आशंका से जगह-जगह लोहे के एंगल लगा रखे हैं. वहीं बरामदों के कई पिलर टूटे हुए हैं. हालात ये है कि बरामदों की छतों पर दरारे पड़ी हुई हैं और इसके गिरने के आसार बने हुए हैं. लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं. ऊपर से सुंदर दिखने वाले बरामदे अंदर से अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.

rooms parkota markets, markets damaged condition, jaipur news
author img

By

Published : Aug 7, 2019, 8:01 PM IST

जयपुर. परकोटे के बाजारों में खरीददारी करने जा रहे लोग और यहां की विरासत को निहार रहे पर्यटक. बाजारों में बने बरामदे को मजबूत समझने की भूल ना करें. ये भूल उनकी जान पर भारी पड़ सकती है. दरअसल, परकोटे के बरामदे ऊपर से स्मार्ट, लेकिन अंदर से जर्जर हैं. परकोटे में पहले मेट्रो और अभी चल रहे स्मार्ट सिटी के काम के चलते चांदपोल बाजार, त्रिपोलिया बाजार और किशनपोल बाजार के बरामदे क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

परकोटे के बाजारों की पहचान बनाने वाले बरामदे बहा रहे बदहाली के आंसू

फसाड़ वर्क के जरिए स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इन्हें ऊपर से तो चमका दिया गया. लेकिन अंदर से अभी भी ये जर्जर अवस्था में ही हैं. सही मरम्मत के अभाव में ये बरामदे कभी भी दरक सकते हैं. क्षेत्रीय व्यापारियों की मानें तो दो साल से निगम प्रशासन कई बार इसकी रिपोर्ट बना चुका है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आलम ये है की मेट्रो की खुदाई और स्मार्ट वर्क के काम के दौरान यहां पट्टियों तक में दरार पड़ गई हैं. उन्होंने बताया कि पूरे बरामदे में बारिश के दौरान पानी का रिसाव हो रहा है. हालत इतनी खराब है कि कभी भी ये बरामदे गिर सकते हैं और कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

यह भी पढ़ेंः बीसलपुर लाइन के नीचे कटाव को दुरुस्त करने में जुटा JDA और पीएचईडी विभाग, पानी सप्लाई जल्द शुरू होने की उम्मीद

कुछ जगहों पर करीब 1 साल पहले काम शुरू हुआ था, वो भी अधूरा ही पड़ा है. उधर, स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने कहा कि नगर निगम इस काम को देखता है. ऐसे में पहले काफी लिमिटेड स्कोप में बरामदों का काम लिया गया था. लेकिन अब यूडीएच मंत्री के निर्देश पर इसका सर्वे कराया गया है और जल्द बरामदों के रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा. इससे पानी के रिसाव, पट्टियों के टूटने, पिलर के धसने जैसी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने तर्क दिया कि ये बरामदे मिर्जा इस्माइल के समय के बने हुए चूने पत्थर के हैं. ऐसे में रिसाव की समस्या जरुर हो सकती है. लेकिन इससे इनकी मजबूती पर असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः फर्जी दस्तावेजों के साथ जयपुर एयरपोर्ट पर बांग्लादेशी युवक गिरफ्तार, पूछताछ में जुटे अधिकारी

आपको बता दें कि इन बरामदों का निर्माण बिना नींव के किया गया था. ऐसे में खुदाई के कारण बरामदों की छत में कई जगह दरार पड़ गई है. अधिकांश पिलर भी मशीनों के कंपन से हिल गए थे. ऐसे में जरुरत है की स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड और नगर निगम प्रशासन इस काम को प्रमुखता से ले. ताकि किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके.

जयपुर. परकोटे के बाजारों में खरीददारी करने जा रहे लोग और यहां की विरासत को निहार रहे पर्यटक. बाजारों में बने बरामदे को मजबूत समझने की भूल ना करें. ये भूल उनकी जान पर भारी पड़ सकती है. दरअसल, परकोटे के बरामदे ऊपर से स्मार्ट, लेकिन अंदर से जर्जर हैं. परकोटे में पहले मेट्रो और अभी चल रहे स्मार्ट सिटी के काम के चलते चांदपोल बाजार, त्रिपोलिया बाजार और किशनपोल बाजार के बरामदे क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

परकोटे के बाजारों की पहचान बनाने वाले बरामदे बहा रहे बदहाली के आंसू

फसाड़ वर्क के जरिए स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इन्हें ऊपर से तो चमका दिया गया. लेकिन अंदर से अभी भी ये जर्जर अवस्था में ही हैं. सही मरम्मत के अभाव में ये बरामदे कभी भी दरक सकते हैं. क्षेत्रीय व्यापारियों की मानें तो दो साल से निगम प्रशासन कई बार इसकी रिपोर्ट बना चुका है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आलम ये है की मेट्रो की खुदाई और स्मार्ट वर्क के काम के दौरान यहां पट्टियों तक में दरार पड़ गई हैं. उन्होंने बताया कि पूरे बरामदे में बारिश के दौरान पानी का रिसाव हो रहा है. हालत इतनी खराब है कि कभी भी ये बरामदे गिर सकते हैं और कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

यह भी पढ़ेंः बीसलपुर लाइन के नीचे कटाव को दुरुस्त करने में जुटा JDA और पीएचईडी विभाग, पानी सप्लाई जल्द शुरू होने की उम्मीद

कुछ जगहों पर करीब 1 साल पहले काम शुरू हुआ था, वो भी अधूरा ही पड़ा है. उधर, स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने कहा कि नगर निगम इस काम को देखता है. ऐसे में पहले काफी लिमिटेड स्कोप में बरामदों का काम लिया गया था. लेकिन अब यूडीएच मंत्री के निर्देश पर इसका सर्वे कराया गया है और जल्द बरामदों के रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा. इससे पानी के रिसाव, पट्टियों के टूटने, पिलर के धसने जैसी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने तर्क दिया कि ये बरामदे मिर्जा इस्माइल के समय के बने हुए चूने पत्थर के हैं. ऐसे में रिसाव की समस्या जरुर हो सकती है. लेकिन इससे इनकी मजबूती पर असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः फर्जी दस्तावेजों के साथ जयपुर एयरपोर्ट पर बांग्लादेशी युवक गिरफ्तार, पूछताछ में जुटे अधिकारी

आपको बता दें कि इन बरामदों का निर्माण बिना नींव के किया गया था. ऐसे में खुदाई के कारण बरामदों की छत में कई जगह दरार पड़ गई है. अधिकांश पिलर भी मशीनों के कंपन से हिल गए थे. ऐसे में जरुरत है की स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड और नगर निगम प्रशासन इस काम को प्रमुखता से ले. ताकि किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके.

Intro:जयपुर - शहर के बाजारों में बने बरामदे यहां की पहचान है। लेकिन इन बरामदों की जर्जर हालत इस पहचान को कलंकित कर रही है। यहां मेट्रो प्रशासन ने बरामदे गिर ना जाए इसके लिए जगह-जगह लोहे के एंगल लगा रखे हैं, तो वहीं बरामदों के कई पिलर टूटे हुए हैं। हालात ये है कि बरामदों की छतों पर दरार पड़ रही है। और इसके गिरने के आसार बने हुए हैं। लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं। ऊपर से सुंदर दिखने वाले बरामदे अंदर से अपनी बदहाली के आंसू रो रहे हैं।


Body:परकोटे के बाजारों में खरीददारी करने जा रहे लोग, और यहां की विरासत को निहार रहे पर्यटक, बाजारों में बने बरामदे को मजबूत समझने की भूल ना करें। ये भूल उनकी जान पर भारी पड़ सकती है। दरअसल, परकोटे के बरामदे ऊपर से स्मार्ट, लेकिन अंदर से जर्जर है। परकोटे में पहले मेट्रो और अभी चल रहे स्मार्ट सिटी के काम के चलते चांदपोल बाजार, त्रिपोलिया बाजार और किशनपोल बाजार के बरामदे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। फसाड़ वर्क के जरिये स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इन्हें ऊपर से तो चमका दिया गया। लेकिन अंदर से अभी भी ये जर्जर अवस्था में ही है। सही मरम्मत के अभाव में ये बरामदे कभी भी दरक सकते हैं। क्षेत्रीय व्यापारियों की मानें तो 2 साल से निगम प्रशासन कई बार इसकी रिपोर्ट बना चुका है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आलम ये है की मेट्रो की खुदाई और स्मार्ट वर्क के काम के दौरान यहां पट्टियों तक में दरार पड़ गई है। उन्होंने बताया कि पूरे बरामदे में बारिश के दौरान पानी का रिसाव हो रहा है। हालत इतनी खराब है कि कभी भी ये बरामदे गिर सकते हैं। और कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
बाईट - सुरेंद्र मोहन सेठी, व्यापारी
बाईट - राजेंद्र कुमार, व्यापारी
बाईट - जयेश पारीक, व्यापारी

हां, कुछ एक जगह पर करीब 1 साल पहले काम शुरू हुआ था, वो भी अधूरा ही पड़ा है। उधर, स्मार्ट सिटी सीईओ आलोक रंजन ने कहा कि नगर निगम इस काम को देखता है। ऐसे में पहले काफी लिमिटेड स्कोप में बरामदों का काम लिया गया था। लेकिन अब यूडीएच मंत्री के निर्देश पर इसका सर्वे कराया गया है। और जल्द बरामदों के रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा। जिससे पानी के रिसाव, पट्टियों के टूटने, पिलर के धसने जैसी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। उन्होंने तर्क दिया कि ये बरामदे मिर्जा इस्माइल के समय के बने हुए चूने पत्थर के हैं। ऐसे में रिसाव की समस्या जरूर हो सकती है। लेकिन इससे इनकी मजबूती पर असर नहीं पड़ेगा।
बाईट - आलोक रंजन, सीईओ, स्मार्ट सिटी


Conclusion:आपको बता दें कि इन बरामदों का निर्माण बिना नींव के किया गया था। ऐसे में खुदाई के कारण बरामदों की छत में कई जगह दरार पड़ गई है। अधिकांश पिलर भी मशीनों के कंपन से हिल गए थे। ऐसे में जरूरत है की स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड और नगर निगम प्रशासन इस काम को प्रमुखता से ले। ताकि किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.