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किसान आंदोलन में शामिल होने महाराष्ट्र से सैंकड़ों किसान जयपुर पहुंचे

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में भाग लेने महाराष्ट्र से किसान पहुंच रहे हैं. गुरुवार को सैंकड़ों की संख्या में किसान जयपुर पहुंचे. किसानों ने कहा कि वो दिल्ली में किसान आंदोलन में भाग लेंगे और जब तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं ले लेती वो आंदोलन करते रहेंगे.

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किसान आंदोलन में शामिल होने महाराष्ट्र से सैंकड़ों किसान जयपुर पहुंचे
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Published : Dec 25, 2020, 4:38 AM IST

जयपुर. दिल्ली में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. सरकार और किसानों के बीच में लगातार कृषि कानून को लेकर माथापच्ची चल रही है. देश के कई प्रदेशों से किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र से सैकड़ों की संख्या में किसान राजधानी जयपुर पहुंचे हैं. महाराष्ट्र के किसान गुरुवार रात को जयपुर पहुंचे, जिनके लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्थाएं की गई. शुक्रवार को सभी किसान दिल्ली किसान आंदोलन में शामिल होंगे.

किसान आंदोलन

महाराष्ट्र से जयपुर आए किसानों के लिए दिल्ली रोड पर धोबी घाट के पास गुरुद्वारों में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई. गुरुद्वारे की ओर से किसानों के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गई. किसानों को सर्दी से बचाव के लिए भी गुरुद्वारे में विशेष व्यवस्थाएं की गई. किसानों ने कृषि कानून को वापस लेने की मांग की है. किसान चाहते हैं मंडी बरकरार रहे और किसानों से एमएसपी पर अधिक से अधिक फसल भी खरीद की जा जाए.

पढ़ें: जाटों को आरक्षण मामले पर सरकार चिट्ठी लिखने को हुई तैयार, समाज महापड़ाव को लेकर 25 दिसंबर को करेगा अंतिम फैसला

किसानों ने कहा कि नए कृषि कानून के तहत वे उनके पास आने वाली कंपनियों पर किसके भरोसे विश्वास करें. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान पर किसानों ने कहा कि इससे पूंजीपति कंपनियों को फायदा होगा. कॉरपोरेट हाउसेस को बढ़ावा देने के लिए किसानों से कम दाम पर फसल खरीद करके ऊंचे दामों पर लोगों को बेचा जाएगा. बड़े कॉर्पोरेट हाउस छोटे किसानों से जमीन लेकर कॉन्ट्रैक्ट से किसानों को गुलाम बना लेंगे.

किसानों का कहना है कि तीसरे कानून में कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. जिसके तहत कितना भी स्टॉक बढ़ाने पर कोई सीमा नहीं है. स्टॉक की मर्यादा को हटा दिया गया है. ऐसे ब्लैक मार्केटिंग होगी. इससे किसानों की बर्बादी होगी. महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के सचिव डॉ. अजीत नवले ने बताया कि महाराष्ट्र से सैकड़ों किसान कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए जयपुर आए हैं, यहां से दिल्ली जाकर किसान आंदोलन में शामिल होंगे. तीनों कृषि कानून को वापस लेने के साथ ही बिजली बिलों को रोकने की भी मांग की जा रही है. किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए.

जयपुर. दिल्ली में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. सरकार और किसानों के बीच में लगातार कृषि कानून को लेकर माथापच्ची चल रही है. देश के कई प्रदेशों से किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र से सैकड़ों की संख्या में किसान राजधानी जयपुर पहुंचे हैं. महाराष्ट्र के किसान गुरुवार रात को जयपुर पहुंचे, जिनके लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्थाएं की गई. शुक्रवार को सभी किसान दिल्ली किसान आंदोलन में शामिल होंगे.

किसान आंदोलन

महाराष्ट्र से जयपुर आए किसानों के लिए दिल्ली रोड पर धोबी घाट के पास गुरुद्वारों में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई. गुरुद्वारे की ओर से किसानों के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गई. किसानों को सर्दी से बचाव के लिए भी गुरुद्वारे में विशेष व्यवस्थाएं की गई. किसानों ने कृषि कानून को वापस लेने की मांग की है. किसान चाहते हैं मंडी बरकरार रहे और किसानों से एमएसपी पर अधिक से अधिक फसल भी खरीद की जा जाए.

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किसानों ने कहा कि नए कृषि कानून के तहत वे उनके पास आने वाली कंपनियों पर किसके भरोसे विश्वास करें. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान पर किसानों ने कहा कि इससे पूंजीपति कंपनियों को फायदा होगा. कॉरपोरेट हाउसेस को बढ़ावा देने के लिए किसानों से कम दाम पर फसल खरीद करके ऊंचे दामों पर लोगों को बेचा जाएगा. बड़े कॉर्पोरेट हाउस छोटे किसानों से जमीन लेकर कॉन्ट्रैक्ट से किसानों को गुलाम बना लेंगे.

किसानों का कहना है कि तीसरे कानून में कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. जिसके तहत कितना भी स्टॉक बढ़ाने पर कोई सीमा नहीं है. स्टॉक की मर्यादा को हटा दिया गया है. ऐसे ब्लैक मार्केटिंग होगी. इससे किसानों की बर्बादी होगी. महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के सचिव डॉ. अजीत नवले ने बताया कि महाराष्ट्र से सैकड़ों किसान कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए जयपुर आए हैं, यहां से दिल्ली जाकर किसान आंदोलन में शामिल होंगे. तीनों कृषि कानून को वापस लेने के साथ ही बिजली बिलों को रोकने की भी मांग की जा रही है. किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए.

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