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जयपुर बम धमाकों का एक आरोपी कैसे हुआ दोषमुक्त, जानें कोर्ट रूम में जज ने क्या कहा - शहबाज हुसैन आरोप मुक्त

जयपुर बम धमाकों की विशेष अदालत ने बुधवार को 4 आतंकियों को दोषी करार दिया है. वहीं, एक आरोपी शहबाज हुसैन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. साल 2008 को परकोटे में 8 जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. जिसमें 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 186 लोग जख्मी हुए थे.

Jaipur bomb blasts case, 13 मई 2008
accused shahbaz hussain Jaipur bomb blasts case acquitted
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Published : Dec 18, 2019, 9:12 PM IST

जयपुर. बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आठ मामलों में चार अभियुक्तों मोहम्मद सैफ, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को दोषसिद्ध किया है. वहीं अदालत ने शहबाज हुसैन को सभी धाराओं से दोषमुक्त कर दिया है. अदालत चारों दोषसिद्ध अभियुक्तों की ओर से गुरुवार को सजा के बिन्दु पर बहस सुनने के बाद संभवत: बीस दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी.

जयपुर बम धमाकों के एक आरोपी को अदालत ने किया दोषमुक्त, जानें क्यों

अदालत ने अपने आदेश में माना कि मोहम्मद सैफ ने माणक चौक थाने के पास, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान में फूलों के खंदे में, सलमान ने सांगानेर गेट हनुमान मंदिर के पास और आरोपी सरवर आजमी ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखा था. वहीं अदालत ने चार अन्य जगहों पर हुए बम धमाकों में फरार आरोपियों भी भूमिका मानते हुए इन चारों अभियुक्तों का आपराधिक षडयंत्र में शामिल होना माना है.

अदालत ने कहा कि षडयंत्र में अभियुक्तों के साथ फरार आरोपियों के अलावा बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आरोपी भी शामिल रहे हैं. अदालत ने बाटला हाऊस में मारे गए आतिफ अमीन को प्रकरण का मुख्य सरगना मानते हुए कहा कि इंडियन मुजाहिद्दीन के इशारों पर यह बम धमाके किए गए थे.

पढ़ेंः जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट में 11 साल बाद 4 आतंकी दोषी करार...

जेहाद की आड़ में अभियुक्तों ने बम धमाके कर न सिर्फ 71 लोगों की जान ली बल्कि घटना में 186 लोग भी घायल हुए. इन अभियुक्तों की जेहादी मानसिकता जयपुर ब्लास्ट तक ही नहीं रुकी, बल्कि ये 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद और 13 दिसंबर 2008 को दिल्ली में हुए बम धमाकों के षडयंत्र में भी शामिल रहे. अदालत ने अनुसंधान के दौरान मोहम्मद सैफ की ओर से दी गई सूचनाओं को पुख्ता साक्ष्य माना है.

इन आधारों पर बरी हुआ शहबाज हुसैन
अदालत ने पिछले 11 साल से जेल में बंद शहबाज हुसैन को दोष मुक्त करते हुए मामले के अनुसंधान पर प्रश्न चिन्ह् लगाया है. अदालत ने कहा कि साहिबाबाद के जिस साइबर कैफे से 14 मई 2008 की रात टीवी चैनल्स को ई-मेल कर घटना की जिम्मेदारी आईएम ने ली थी, उसके ग्राहक रजिस्टर को ही जब्त नहीं किया गया. जिससे यह साबित नहीं होता कि उस समय वहां कोई ग्राहक आया हो.

इसके अलावा यह भी साबित नहीं है कि ई-मेल में गुरु अल हिन्दी के नाम से किए गए हस्ताक्षर शहबाज हुसैन ने किए हों. क्योंकि इस संबंध में शहबाज की हैंड राइटिंग लेकर उसकी जांच नहीं कराई गई. वहीं शहबाज की ओर से पूर्व में अपना नारको टेस्ट कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, उससे भी उसकी सद्भावना का अंदाजा लगाता है.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका, कहा- जांच में कोई खामी नहीं

इन धाराओं में किया दोषसिद्ध और दोष मुक्त
अभियुक्त मोहम्मद सैफ को आईपीसी की धारा 302, 307, 324, 326, 427, 121ए, 124ए, 153ए, विस्फोटक अधिनियम की धारा 3 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13, 16(1)ए और 18 के तहत दोष सिद्ध किया गया. जबकि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5, 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है.

अभियुक्त सरवर आजमी, सलमान और सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान को धारा 302, 307, 326, 324, 427, 121ए, 124ए, 153ए (सभी के साथ सपठित धारा 120बी), विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13 और 18 में दोषसिद्ध किया है. वहीं तीनों अभियुक्तों को लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4 और 5 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है.

अभी ये गुनाहागार बाकी
चारों आरोपियों की दोषसिद्धि के अलावा अभी आरोपी साजिद बडा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार चल रहे हैं. जबकि सरगना मोहम्मद आतिफ सहित छोटा साजिद एनकांउटर में मारे जा चुके हैं. वहीं आरिज उर्फ जुनैद, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी और अहमद सिद्दी उर्फ यासीन भटकल जेल में बंद हैं.

पढ़ेंः कोटा : बीएड कॉलेज का डायरेक्टर ट्रैप, छात्र से 10 हजार की घूस लेते गिरफ्तार

कोर्ट छावनी में बदला
प्रकरण में आईएम आतंकियों की भूमिका को देखते हुए पुलिस ने अदालत खुलते ही परिसर को अपने कब्जे में ले लिया. करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मी मुख्य परिसर के दरवाजों पर सुरक्षा में मौजूद रहे. इस दौरान अनावश्यक लोगों को कोर्ट परिसर में आने से रोका गया, वहीं कोर्ट स्टाफ सहित अन्य लोगों को भी तलाशी लेकर ही अंदर प्रवेश दिया गया. पीठासीन अधिकारी को भी विशेष सुरक्षा के साथ अदालत कक्ष तक पहुंचाया गया.

गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शाम 7 बजकर बीस मिनट से शुरू हुए सिलसिलेवार शुरू हुए आठ बम धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी और 186 लोग घायल हुए थे. जबकि चांदपोल बाजार में एक बम को धमाके से पहले बरामद कर डिफ्यूज किया गया था.

जयपुर. बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आठ मामलों में चार अभियुक्तों मोहम्मद सैफ, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को दोषसिद्ध किया है. वहीं अदालत ने शहबाज हुसैन को सभी धाराओं से दोषमुक्त कर दिया है. अदालत चारों दोषसिद्ध अभियुक्तों की ओर से गुरुवार को सजा के बिन्दु पर बहस सुनने के बाद संभवत: बीस दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी.

जयपुर बम धमाकों के एक आरोपी को अदालत ने किया दोषमुक्त, जानें क्यों

अदालत ने अपने आदेश में माना कि मोहम्मद सैफ ने माणक चौक थाने के पास, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान में फूलों के खंदे में, सलमान ने सांगानेर गेट हनुमान मंदिर के पास और आरोपी सरवर आजमी ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखा था. वहीं अदालत ने चार अन्य जगहों पर हुए बम धमाकों में फरार आरोपियों भी भूमिका मानते हुए इन चारों अभियुक्तों का आपराधिक षडयंत्र में शामिल होना माना है.

अदालत ने कहा कि षडयंत्र में अभियुक्तों के साथ फरार आरोपियों के अलावा बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आरोपी भी शामिल रहे हैं. अदालत ने बाटला हाऊस में मारे गए आतिफ अमीन को प्रकरण का मुख्य सरगना मानते हुए कहा कि इंडियन मुजाहिद्दीन के इशारों पर यह बम धमाके किए गए थे.

पढ़ेंः जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट में 11 साल बाद 4 आतंकी दोषी करार...

जेहाद की आड़ में अभियुक्तों ने बम धमाके कर न सिर्फ 71 लोगों की जान ली बल्कि घटना में 186 लोग भी घायल हुए. इन अभियुक्तों की जेहादी मानसिकता जयपुर ब्लास्ट तक ही नहीं रुकी, बल्कि ये 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद और 13 दिसंबर 2008 को दिल्ली में हुए बम धमाकों के षडयंत्र में भी शामिल रहे. अदालत ने अनुसंधान के दौरान मोहम्मद सैफ की ओर से दी गई सूचनाओं को पुख्ता साक्ष्य माना है.

इन आधारों पर बरी हुआ शहबाज हुसैन
अदालत ने पिछले 11 साल से जेल में बंद शहबाज हुसैन को दोष मुक्त करते हुए मामले के अनुसंधान पर प्रश्न चिन्ह् लगाया है. अदालत ने कहा कि साहिबाबाद के जिस साइबर कैफे से 14 मई 2008 की रात टीवी चैनल्स को ई-मेल कर घटना की जिम्मेदारी आईएम ने ली थी, उसके ग्राहक रजिस्टर को ही जब्त नहीं किया गया. जिससे यह साबित नहीं होता कि उस समय वहां कोई ग्राहक आया हो.

इसके अलावा यह भी साबित नहीं है कि ई-मेल में गुरु अल हिन्दी के नाम से किए गए हस्ताक्षर शहबाज हुसैन ने किए हों. क्योंकि इस संबंध में शहबाज की हैंड राइटिंग लेकर उसकी जांच नहीं कराई गई. वहीं शहबाज की ओर से पूर्व में अपना नारको टेस्ट कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, उससे भी उसकी सद्भावना का अंदाजा लगाता है.

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इन धाराओं में किया दोषसिद्ध और दोष मुक्त
अभियुक्त मोहम्मद सैफ को आईपीसी की धारा 302, 307, 324, 326, 427, 121ए, 124ए, 153ए, विस्फोटक अधिनियम की धारा 3 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13, 16(1)ए और 18 के तहत दोष सिद्ध किया गया. जबकि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5, 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है.

अभियुक्त सरवर आजमी, सलमान और सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान को धारा 302, 307, 326, 324, 427, 121ए, 124ए, 153ए (सभी के साथ सपठित धारा 120बी), विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13 और 18 में दोषसिद्ध किया है. वहीं तीनों अभियुक्तों को लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4 और 5 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है.

अभी ये गुनाहागार बाकी
चारों आरोपियों की दोषसिद्धि के अलावा अभी आरोपी साजिद बडा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार चल रहे हैं. जबकि सरगना मोहम्मद आतिफ सहित छोटा साजिद एनकांउटर में मारे जा चुके हैं. वहीं आरिज उर्फ जुनैद, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी और अहमद सिद्दी उर्फ यासीन भटकल जेल में बंद हैं.

पढ़ेंः कोटा : बीएड कॉलेज का डायरेक्टर ट्रैप, छात्र से 10 हजार की घूस लेते गिरफ्तार

कोर्ट छावनी में बदला
प्रकरण में आईएम आतंकियों की भूमिका को देखते हुए पुलिस ने अदालत खुलते ही परिसर को अपने कब्जे में ले लिया. करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मी मुख्य परिसर के दरवाजों पर सुरक्षा में मौजूद रहे. इस दौरान अनावश्यक लोगों को कोर्ट परिसर में आने से रोका गया, वहीं कोर्ट स्टाफ सहित अन्य लोगों को भी तलाशी लेकर ही अंदर प्रवेश दिया गया. पीठासीन अधिकारी को भी विशेष सुरक्षा के साथ अदालत कक्ष तक पहुंचाया गया.

गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शाम 7 बजकर बीस मिनट से शुरू हुए सिलसिलेवार शुरू हुए आठ बम धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी और 186 लोग घायल हुए थे. जबकि चांदपोल बाजार में एक बम को धमाके से पहले बरामद कर डिफ्यूज किया गया था.

Intro:जयपुर। बम कांड मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई 2008 को शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आठ मामलों में चार अभियुक्तों मोहम्मद सैफ, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान, सलमान और सरवर आजमी को दोषसिद्ध किया है। वहीं अदालत ने शहबाज हुसैन को सभी धाराओं से दोषमुक्त कर दिया है। अदालत चारों दोषसिद्ध अभियुक्तों की ओर से गुरुवार को सजा के बिन्दु पर बहस सुनने के बाद संभवत: बीस दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी।Body:अदालत ने अपने आदेश में माना कि मोहम्मद सैफ ने माणक चौक थाने के पास, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान में फूलों के खंदे में, सलमान ने सांगानेर गेट हनुमान मंदिर के पास और आरोपी सरवर आजमी ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखा था। वहीं अदालत ने चार अन्य जगहों पर हुए बम धमाकों में फरार आरोपियों भी भूमिका मानते हुए इन चारों अभियुक्तों का आपराधिक षडयंत्र में शामिल होना माना है।
अदालत ने कहा कि षडयंत्र में अभियुक्तों के साथ फरार आरोपियों के अलावा बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आरोपी भी शामिल रहे हैं। अदालत ने बाटला हाऊस में मारे गए आतिफ अमीन को प्रकरण का मुख्य सरगना मानते हुए कहा कि इंडियन मुजाहिद्दीन के इशारों पर यह बम धमाके किए गए थे। जेहाद की आड में अभियुक्तों ने बम धमाके कर न सिर्फ 71 लोगों की जान ली बल्कि घटना में 186 लोग भी घायल हुए। इन अभियुक्तों की जेहादी मानसिकता जयपुर ब्लास्ट तक ही नहीं रुकी, बल्कि ये 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद और 13 दिसंबर 2008 को दिल्ली में हुए बम धमाकों के षडयंत्र में भी शामिल रहे। अदालत ने अनुसंधान के दौरान मोहम्मद सैफ की ओर से दी गई सूचनाओं को पुख्ता साक्ष्य माना है।
इन आधारों पर हुआ बरी- अदालत ने पिछले 11 साल से जेल में बंद शहबाज हुसैन को दोषी मुक्त करते हुए मामले के अनुसंधान पर प्रश्न चिन्ह् लगाया है। अदालत ने कहा कि साहिबाबाद के जिस साइबर कैफे से 14 मई 2008 की रात टीवी चैनल्स को ई-मेल कर घटना की जिम्मेदारी आईएम ने ली थी, उसके ग्राहक रजिस्टर को ही जब्त नहीं किया गया। जिससे यह साबित होता कि उस समय वहां कोई ग्राहक आया हो। इसके अलावा यह भी साबित नहीं है कि ई-मेल में गुरु अल हिन्दी के नाम से किए गए हस्ताक्षर शहबाज हुसैन ने किए हो। क्योंकि इस संबंध में शहबाज की हैंड राइटिंग लेकर उसकी जांच नहीं कराई गई। वहीं शहबाज की ओर से पूर्व में अपना नारको टेस्ट कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, उससे भी उसकी सद्भावना का अंदाजा लगाता है।
इन धाराओं में किया दोषसिद्ध और दोष मुक्त
अभियुक्त मोहम्मद सैफ को आईपीसी की धारा 302, 307, 324, 326, 427, 121ए, 124ए, 153ए, विस्फोटक अधिनियम की धारा 3 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13, 16(1)ए और 18 के तहत दोष सिद्ध किया गया। जबकि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5, 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है।
अभियुक्त सरवर आजमी, सलमान और सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान को धारा 302, 307, 326, 324, 427, 121ए, 124ए, 153ए (सभी के साथ सपठित धारा 120बी), विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 13 और 18 में दोषसिद्ध किया है। वहीं तीनों अभियुक्तों को लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 4 और 5 सपठित 120बी, विस्फोटक अधिनियम की धारा 6 और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 3/10, 20 और 38 से बरी किया है।
गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शाम 7 बजकर बीस मिनट से शुरू हुए सिलसिलेवार शुरू हुए आठ बम धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी और 186 लोग घायल हुए थे। जबकि चांदपोल बाजार में एक बम को धमाके से पहले बरामद कर डिफ्यूज किया गया था।
अभी ये गुनाहागार बाकी
चारों आरोपियों की दोषसिद्धि के अलावा अभी आरोपी साजिद बडा, मोहम्मद खालिद और शादाब फरार चल रहे हैं। जबकि सरगना मोहम्मद आतिफ सहित छोटा साजिद एनकांउटर में मारे जा चुके हैं। वहीं आरिज उर्फ जुनैद, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी और अहमद सिद्दी उर्फ यासीन भटकल जेल में बंद हैं।  
कोर्ट छावनी में बदला
प्रकरण में आईएम आतंकियों की भूमिका को देखते हुए पुलिस ने अदालत खुलते ही परिसर को अपने कब्जे में ले लिया। करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मी मुख्य परिसर के दरवाजों पर सुरक्षा में मौजूद रहे। इस दौरान अनावश्यक लोगों को कोर्ट परिसर में आने से रोका गया, वहीं कोर्ट स्टाफ सहित अन्य लोगों को भी तलाशी लेकर ही अंदर प्रवेश दिया गया। पीठासीन अधिकारी को भी विशेष सुरक्षा के साथ अदालत कक्ष तक पहुंचाया गया।Conclusion:
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