जयपुर. निर्धारित समय पर बकाया नहीं चुकाने पर अब हाउसिंग बोर्ड भी बकायादार की संपत्ति कुर्क कर सकेगा. इसके लिए बोर्ड को राजस्थान भू राजस्व अधिनियम के तहत शक्तियां प्रदान की जाएंगी. राजस्थान आवासन मण्डल के अधिनियम 1970 में इन प्रावधानों के लिए चार नई धाराएं जोड़ी गई है. गुरुवार को राजस्थान आवासन बोर्ड संशोधन अधिनियम 2020 विधानसभा में पारित किया गया.
इस दौरान हुई बहस का जवाब देते हुए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में बनाए गए 23000 हाउसिंग बोर्ड के मकानों की झर झर अवस्था के लिए भाजपा को जमकर कोसा. विधेयक के जरिए किए गए संशोधनों में अतिक्रमण की शिकायतों पर अंकुश लगाने के लिए बोर्ड में विजीलेंस विंग बनाया जाना भी सुनिश्चित किया गया. जिसमें पुलिस के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर काम करेंगे.
बता दें कि यह विंग नोटिस देकर सम्पत्ति के खिलाफ सील और तोड़फोड़ की कार्रवाई भी कर सकेगी. कानून की पालना नहीं करने पर कानून के जरिए व्यक्ति को जुर्माना और छह माह की जेल भी भेजा जा सकेगा. संशोधन विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि बोर्ड की ओर से लंबे समय से कानून में संशोधन की कवायद की जा रही थी.
संशोधन में किस धारा में क्या मिलेंगा अधिकार
-राजस्थान बोर्ड अधिनियम में नई धारा 51क जोड़ी जाएगी. इसके तहत बोर्ड को भू राजस्व अधिनियम 1956 की धाराओं के तहत बकाया वसूली के अधिकार मिलेंगे. इसमें नियत तिथि पर बकाया नहीं देने पर बोर्ड आवंटी के खिलाफ कानूनी सख्ती कर सकेगा. इसमें संपत्ति कुर्क भी की जा सकेगी.
-अधिनियम में नई धारा 51ख जोड़ी जाएगी. इस धारा के तहत बोर्ड की संपत्ति पर अतिक्रमण करने पर उसके खिलाफ जुर्माना और कारावास की सजा अर्थात दोनों से दण्डित किया जा सकेगा. कारावास कम से कम तीन माह और अधिकतम तीन साल का होगा, जबकि जुर्माना तीस हजार से पचास हजार रुपए तक हो सकेगा.
-बोर्ड अधिनियम में धारा 51ए को जोड़कर शक्तियां दी जाएंगी. इसमें बोर्ड का प्राधिकृत अधिकारी किसी भी समिति के पारित किए गए निर्णय की वैधता के बारे में निर्णय कर सकेगा. साथ ही भविष्य में भी निर्देशित करता रहेगा.
-पुलिस की शक्तियां देने के लिए कानून में 51घ की धारा जोड़ी जाएगी. इसके तहत बोर्ड में एक पुलिस अधिकारी जो निरीक्षक रैंक का होगा. एक विजीलेंस शाखा बनेगी. यह विंग समय समय पर आने वाली शिकायतों के संबंध में जांच कर निर्णय ले सकेगी और संबंधित पुलिस थाने में अपराध की प्रक्रिया के तहत दोषी को दण्ड दिलाने का कार्य कर सकेगी.
कानून में संशोधन की क्यों पड़ी जरूरत ?
बोर्ड को विभिन्न आवासीय योजनाएं बनाने और निष्पादित करने की शक्तियां दी गई हैं. योजनाओं को मूर्त रूप देने से लेकर उनके निस्तारण में काफी समय लगता है. इस दौरान भूमि पर माफियाओं की ओर से कब्जा कर लिया जाता है. इस बाधा को दूर करने के लिए और दोषी को दण्ड दिलाने के लिए अधिकारों की जरूरत पड़ती है. साथ ही किश्तों में आवंटित किए जाने वाले मकान की बकाया राशि वसूली के लिए भी बोर्ड को सख्त निर्णय लेने होते हैं, लेकिन कोर्ट प्रक्रिया में अड़चन के बाद आगे निर्णय नहीं हो पाता.
मंत्री ने की ये घोषणा
मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में विधेयक पर बोलते हुए यह भी कहा कि अब हाउसिंग बोर्ड से जुड़ी जमीन जो कि आवंटित हो चुकी है उस पर एक निर्धारित समय पर मकान बनाया जाना तय किया जाएगा. साथ ही हाउसिंग बोर्ड के समक्ष जो कानूनी विवाद लंबित है उसके निपटारे के लिए लोक अदालतों का भी सहारा लिया जाएगा. वहीं सरकार इस संबंध में समझौता समितियों के गठन पर भी विचार कर रही है.