ETV Bharat / city

हथियारों के रख-रखाव के मामले में प्रतापगढ़ जिला न्यायाधीश की राज्य सरकार से नाराजगी

गृह विभाग की ओर से कलेक्टरों को पत्र जारी किया गया. विभाग की ओर से जारी पत्र में कलेक्टर को अभियोजन स्वीकृति जारी करने से पहले कुछ सुझाव दिए गए हैं.

गृह विभाग ने लिखा पत्र, आयुध अधिनियम न्यूज, गृह विभाग ने कलेक्टर को पत्र, गृह विभाग ने गिनाई खामियां, जयपुर न्यूज, Home department writes letter, letter to district collector and police commissioner, jaipur news
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 11:26 AM IST

Updated : Sep 10, 2019, 12:26 PM IST

जयपुर. प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत अदालत में पेश किए जाने वाले अभियोजन स्वीकृति के मामलों में कई जिला कलेक्टर खामियां छोड़ रहे हैं. इसे लेकर प्रतापगढ़ डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने बकायदा राज्य सरकार से नाराजगी जताई है.

गृह विभाग ने कई कलेक्टरों को लिखा पत्र

ऐसे में गृह विभाग ने सभी जिला कलेक्टर और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सुझाव दिए हैं. प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत पकड़े जाने वाले मामलों में कोर्ट ने चालान पेश करने की स्वीकृति का अधिकार कलेक्टर और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को दिया हुआ है.

यह भी पढ़ें- विवादित ढांचा मामले में दोबारा आरोपी बनाए जा सकते हैं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह

ऐसे प्रकरणों की अभियोजन स्वीकृति देने के दौरान जिला कलेक्टर कई खामियां छोड़ रहे हैं. इसका फायदा कोर्ट में आरोपियों को मिल रहा है. इसे लेकर प्रतापगढ़ के जिला और सेशन न्यायाधीश ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन खामियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया. मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने अतिरक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा. इसके बाद गृह विभाग ने दो दिन पहले सभी जिला कलेक्टरों, जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को पत्र लिखकर इन कमियों को सुधारने के निर्देश दिए. विभाग की ओर से जारी पत्र में कलेक्टर को अभियोजन स्वीकृति जारी करने से पहले कुछ सुझाव दिए हैं.

ये कहा गया निर्देशों में...

  • कलेक्टर फाइल का परीक्षण कर खुद की राय नहीं प्रकट करते
  • आयुध का निरीक्षण नहीं कर यांत्रिक तौर पर स्वीकृति देते हैं
  • स्वीकृति जारी करते हैं, लेकिन गवाही के लिए नहीं पेश होते
  • लोक अभियोजक तर्क देते हैं या कलेक्ट्रेट की न्यायिक शाखा का कर्मचारी परीक्षण करता है
  • केवल जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर को ही कर्तव्य का निर्वहन मान लेते हैं

ऐसे में मामलों में लोक अभियोजक और सहायक लोक अभियोजकों से कलेक्टर से ज्यादा सवाल नहीं पूछकर उनके बयान दर्ज कर लेने के निर्देश दिए हैं. गृह विभाग ने गृह ग्रुप 10 की ओर से जारी सर्कुलर की भी कॉपी जारी की है.

जयपुर. प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत अदालत में पेश किए जाने वाले अभियोजन स्वीकृति के मामलों में कई जिला कलेक्टर खामियां छोड़ रहे हैं. इसे लेकर प्रतापगढ़ डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने बकायदा राज्य सरकार से नाराजगी जताई है.

गृह विभाग ने कई कलेक्टरों को लिखा पत्र

ऐसे में गृह विभाग ने सभी जिला कलेक्टर और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सुझाव दिए हैं. प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत पकड़े जाने वाले मामलों में कोर्ट ने चालान पेश करने की स्वीकृति का अधिकार कलेक्टर और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को दिया हुआ है.

यह भी पढ़ें- विवादित ढांचा मामले में दोबारा आरोपी बनाए जा सकते हैं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह

ऐसे प्रकरणों की अभियोजन स्वीकृति देने के दौरान जिला कलेक्टर कई खामियां छोड़ रहे हैं. इसका फायदा कोर्ट में आरोपियों को मिल रहा है. इसे लेकर प्रतापगढ़ के जिला और सेशन न्यायाधीश ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन खामियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया. मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने अतिरक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा. इसके बाद गृह विभाग ने दो दिन पहले सभी जिला कलेक्टरों, जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को पत्र लिखकर इन कमियों को सुधारने के निर्देश दिए. विभाग की ओर से जारी पत्र में कलेक्टर को अभियोजन स्वीकृति जारी करने से पहले कुछ सुझाव दिए हैं.

ये कहा गया निर्देशों में...

  • कलेक्टर फाइल का परीक्षण कर खुद की राय नहीं प्रकट करते
  • आयुध का निरीक्षण नहीं कर यांत्रिक तौर पर स्वीकृति देते हैं
  • स्वीकृति जारी करते हैं, लेकिन गवाही के लिए नहीं पेश होते
  • लोक अभियोजक तर्क देते हैं या कलेक्ट्रेट की न्यायिक शाखा का कर्मचारी परीक्षण करता है
  • केवल जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर को ही कर्तव्य का निर्वहन मान लेते हैं

ऐसे में मामलों में लोक अभियोजक और सहायक लोक अभियोजकों से कलेक्टर से ज्यादा सवाल नहीं पूछकर उनके बयान दर्ज कर लेने के निर्देश दिए हैं. गृह विभाग ने गृह ग्रुप 10 की ओर से जारी सर्कुलर की भी कॉपी जारी की है.

Intro:गृह विभाग की ओर से कलेक्टरों को जारी किया गया पत्र, आयुध अधिनियम अभियोजन स्वीकृति जारी करने से पहले दिए सुझाव गृह विभाग ने स्वीकृति के दौरान सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के समय समय पर दिए गए निर्देशों की पालना करने, ऐसे में मामलों में लोक अभियोजक व सहायक लोक अभियोजकों से स्वीकृति जारीकर्ता कलेक्टर से ज्यादा सवाल नहीं पूछकर उनके बयान दर्ज कर लेने के निर्देश दिए हैं।Body:
प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत अदालत में पेश किए जाने वाले अभियोजन स्वीकृति के मामलों में कई जिला कलेक्टर खामियां छोड़ रहे हैं। इसे लेकर का प्रतापगढ़ डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज ने बकायदा राज्य सरकार से नाराजगी जताई है। इसके बाद गृह विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सुझाव दिए हैं।प्रदेश में आयुध अधिनियम के तहत पकड़े जाने वाले मामलों में कोर्ट में चालान पेश करने की स्वीकृति का अधिकार जिला कलेक्टरों और जयपुर-जोधपुर पुलिस कमिश्नरों को दिया हुआ है। ऐसे प्रकरणों की अभियोजन स्वीकृति देने के दौरान जिला कलेक्टर कई खामियां छोड़ रहे हैं। इसका फायदा कोर्ट में आरोपियों को मिल रहा है। इसे लेकर प्रतापगढ़ के जिला व सेशन न्यायाधीश ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन खामियों की ओर ध्यान आकर्षित कराया। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने अतिरक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा। इसके बाद गृह विभाग ने दो दिन पहले सभी जिला कलेक्टरों-जयपुर जाेधपुर पुलिस कमिश्नरों को पत्र लिखकर इन कमियों को सुधारने के निर्देश दिए।गृह विभाग की ओर से जारी पत्र में कलेक्टरों को अभियोजन स्वीकृति जारी करने से पहले कुछ सुझाव दिए हैं। गृह विभाग ने स्वीकृति के दौरान सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के समय समय पर दिए गए निर्देशों की पालना करने, ऐसे में मामलों में लोक अभियोजक व सहायक लोक अभियोजकों से स्वीकृति जारीकर्ता कलेक्टर से ज्यादा सवाल नहीं पूछकर उनके बयान दर्ज कर लेने के निर्देश दिए हैं। गृह विभाग ने गृह ग्रुप 10 की ओर से जारी सर्कुलर की भी कॉपी जारी की है। 
ये कहा गया निर्देशो में

- कलेक्टर फाइल का परीक्षण कर खुद की राय नहीं प्रकट करते

- आयुध का निरीक्षण नहीं कर यांत्रिक तौर पर स्वीकृति देते हैं

- स्वीकृति जारी करते हैं, लेकिन गवाही के लिए नहीं पेश होते

- लोक अभियोजक तर्क देते हैं या कलेक्ट्रेट की न्यायिक शाखा का कर्मचारी परीक्षण करता है

- केवल जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर को ही कर्तव्य का निर्वहन मान लेते हैं







Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2019, 12:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.