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चांदी के झूले पर विराजमान ठाकुर जी के चरणों में भेंट की गई 108 गांठों की पवित्रा

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Published : Jul 31, 2020, 9:12 PM IST

प्रदेश में कोरोना को लेकर सभी धार्मिक स्थल बंद है. ऐसे में शुक्रवार को जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में नियमित अभिषेक और पूजा-अर्चना की गई. जिसके बाद ठाकुरजी और राधा रानी सहित अन्य सभी विग्रहों को पवित्रा धारण कराई गई.

Thakurji holds purity, ठाकुरजी को पवित्रता कराई धारण
ठाकुर जी को पवित्रता कराई धारण

जयपुर. श्रावण शुक्ला द्वादशी शुक्रवार को छोटी कांशी जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में नियमित अभिषेक और पूजा-अर्चना के बाद ठाकुर जी और राधा रानी सहित अन्य सभी विग्रहों को पवित्रा धारण कराई गई. महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में चमकीले रेशम से बनाई दो मुख्य पवित्रा ठाकुर जी की पोशाक के ऊपर पहनाई गई.

वहीं 108 गांठ वाली पीले और केसरिया सूत की पांच अन्य पवित्रा ठाकुरजी के चरणों में समर्पित की गई. मंदिर के जगमोहन में सजे चांदी के झूले पर 216 पवित्रा बांधी गई. इस मौके पर ठाकुर जी आम्र निकुंज में झूले पर विराजमान रहे.

पढ़ेंः विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण: संजय जैन ने वॉयस सैंपल देने से किया इंकार

मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने ठाकुर जी को झुलाया. वहीं धूप झांकी से शयन झांकी तक ठाकुर जी पवित्रा धारण किए रहे. हालांकि कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के तहत श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट बंद होने के कारण भक्तों ने ऑनलाइन ही इस झांकी के दर्शन किए.

मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि, पवित्रा वैष्णवों की सालभर की सेवा का प्रतीक है. पवित्रा धारण नहीं कराने पर साल भर की सेवा निष्फल मानी जाती है. शुभ तिथियों में कभी भी ठाकुर जी को पवित्रा धारण कराई जा सकती है. लेकिन यह ध्यान रखें कि, पवित्रा का उत्तम होने के साथ शोभायमान होना भी अत्यावश्यक है.

पढ़ेंः अजमेरः एक ही रात दो घरों में लाखों की हुई चोरी, जांच में जुटी पुलिस

उसकी ग्रंथियां सुंदर लंबी गोलाई वाली हों, जो प्रभु को चुभे नहीं. वहीं पवित्रा सुंदर उत्तम और सुगंधित केसर से रंगी होनी चाहिए. पवित्रा समर्पण प्रभु के भक्ति रत्न देता है. स्त्रियों और पुरुषों को कीर्ति और पुण्यजनक है. साथ ही सुख संपत्ति और धन देता है. सभी वैष्णवों को अपने घर के सेव्य ठाकुर जी को पवित्रा धारण कराने की परंपरा है.

जयपुर. श्रावण शुक्ला द्वादशी शुक्रवार को छोटी कांशी जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में नियमित अभिषेक और पूजा-अर्चना के बाद ठाकुर जी और राधा रानी सहित अन्य सभी विग्रहों को पवित्रा धारण कराई गई. महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में चमकीले रेशम से बनाई दो मुख्य पवित्रा ठाकुर जी की पोशाक के ऊपर पहनाई गई.

वहीं 108 गांठ वाली पीले और केसरिया सूत की पांच अन्य पवित्रा ठाकुरजी के चरणों में समर्पित की गई. मंदिर के जगमोहन में सजे चांदी के झूले पर 216 पवित्रा बांधी गई. इस मौके पर ठाकुर जी आम्र निकुंज में झूले पर विराजमान रहे.

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मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने ठाकुर जी को झुलाया. वहीं धूप झांकी से शयन झांकी तक ठाकुर जी पवित्रा धारण किए रहे. हालांकि कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के तहत श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट बंद होने के कारण भक्तों ने ऑनलाइन ही इस झांकी के दर्शन किए.

मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि, पवित्रा वैष्णवों की सालभर की सेवा का प्रतीक है. पवित्रा धारण नहीं कराने पर साल भर की सेवा निष्फल मानी जाती है. शुभ तिथियों में कभी भी ठाकुर जी को पवित्रा धारण कराई जा सकती है. लेकिन यह ध्यान रखें कि, पवित्रा का उत्तम होने के साथ शोभायमान होना भी अत्यावश्यक है.

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उसकी ग्रंथियां सुंदर लंबी गोलाई वाली हों, जो प्रभु को चुभे नहीं. वहीं पवित्रा सुंदर उत्तम और सुगंधित केसर से रंगी होनी चाहिए. पवित्रा समर्पण प्रभु के भक्ति रत्न देता है. स्त्रियों और पुरुषों को कीर्ति और पुण्यजनक है. साथ ही सुख संपत्ति और धन देता है. सभी वैष्णवों को अपने घर के सेव्य ठाकुर जी को पवित्रा धारण कराने की परंपरा है.

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