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ब्लैक फंगस पर HC : मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं होने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं मिल पा रहा है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी भी हो रही है. इसे लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव और प्रमुख वित्त सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court Black Fungus
ब्लैक फंगस पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : May 25, 2021, 6:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं करने और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर मुख्य सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव और प्रमुख वित्त सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश सिद्धार्थ जैन की जनहित याचिका पर दिए.

ब्लैक फंगस पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता चित्रांक शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी तो घोषित कर दिया, लेकिन अस्पतालों में इस बीमारी का उचित इलाज मुहैया नहीं हो रहा. बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शन लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बाजार में मिल ही नहीं रहे हैं.

पढ़ें- कोरोना की दूसरी लहर : राजस्थान में 34 चिकित्सकों की मौत, देशभर में आंकड़ा 400 से ज्यादा

जबकि डॉक्टर्स मरीजों के परिजनों को 40 से 50 इंजेक्शन लाने के लिए पर्ची थमा रहे हैं. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगने के कारण उनकी मौत हो रही है. इसलिए ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शनों को राज्य सरकार अस्पतालों में ही मुहैया कराए.

याचिका में गुहार की गई है कि ब्लैक फंगस के इलाज की सभी दवाईयों की कालाबाजारी को रोकते हुए इसे मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही ब्लैक फंगस से स्थाई दिव्यांगता या मौत होने पर मरीज के आश्रितों को पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं करने और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर मुख्य सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव और प्रमुख वित्त सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश सिद्धार्थ जैन की जनहित याचिका पर दिए.

ब्लैक फंगस पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता चित्रांक शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी तो घोषित कर दिया, लेकिन अस्पतालों में इस बीमारी का उचित इलाज मुहैया नहीं हो रहा. बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शन लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बाजार में मिल ही नहीं रहे हैं.

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जबकि डॉक्टर्स मरीजों के परिजनों को 40 से 50 इंजेक्शन लाने के लिए पर्ची थमा रहे हैं. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगने के कारण उनकी मौत हो रही है. इसलिए ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शनों को राज्य सरकार अस्पतालों में ही मुहैया कराए.

याचिका में गुहार की गई है कि ब्लैक फंगस के इलाज की सभी दवाईयों की कालाबाजारी को रोकते हुए इसे मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही ब्लैक फंगस से स्थाई दिव्यांगता या मौत होने पर मरीज के आश्रितों को पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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