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अवांछित टिप्पणी करने पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट जज और रीडर से मांगा स्पष्टीकरण - न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह

जयपुर में महिला की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने अदालती आदेश के बावजूद प्रार्थना पत्र को स्वीकार नहीं करने और हाईकोर्ट पर अवांछित टिप्पणी करने पर फैमिली कोर्ट क्रम-2 के पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है.

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Published : Oct 22, 2019, 11:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण-पोषण की बकाया राशि के संबंध में अदालती आदेश के बावजूद प्रार्थना पत्र को स्वीकार नहीं करने और हाईकोर्ट पर अवांछित टिप्पणी करने पर फैमिली कोर्ट क्रम-2 के पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश महिला की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसका अपने पति से भरण पोषण की बकाया राशि को लेकर विवाद चल रहा है. हाईकोर्ट ने गत 27 सितंबर को आदेश जारी कर इस संबंध में याचिकाकर्ता को फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था.

पढ़ें- सीएम अशोक गहलोत ने SMS अस्पताल पहुंच कर जाना सीपी जोशी का हालचाल

वहीं, याचिकाकर्ता गत 3 अक्टूबर को हाईकोर्ट के आदेश के साथ फैमिली कोर्ट गई. लेकिन, पीठासीन अधिकारी और रीडर ने प्रार्थना पत्र लेने से ही इंकार कर दिया. वहीं, रीडर की ओर से हाईकोर्ट के खिलाफ टिप्पणी भी की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण-पोषण की बकाया राशि के संबंध में अदालती आदेश के बावजूद प्रार्थना पत्र को स्वीकार नहीं करने और हाईकोर्ट पर अवांछित टिप्पणी करने पर फैमिली कोर्ट क्रम-2 के पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश महिला की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसका अपने पति से भरण पोषण की बकाया राशि को लेकर विवाद चल रहा है. हाईकोर्ट ने गत 27 सितंबर को आदेश जारी कर इस संबंध में याचिकाकर्ता को फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था.

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वहीं, याचिकाकर्ता गत 3 अक्टूबर को हाईकोर्ट के आदेश के साथ फैमिली कोर्ट गई. लेकिन, पीठासीन अधिकारी और रीडर ने प्रार्थना पत्र लेने से ही इंकार कर दिया. वहीं, रीडर की ओर से हाईकोर्ट के खिलाफ टिप्पणी भी की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण-पोषण की बकाया राशि के संबंध में अदालती आदेश के बावजूद प्रार्थना पत्र को स्वीकार नहीं करने और हाईकोर्ट पर अवांछित टिप्पणी करने पर फैमिली कोर्ट क्रम-2 के पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह की खंडपीठ ने यह आदेश महिला की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।
Body:प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसका अपने पति से भरण पोषण की बकाया राशि को लेकर विवाद चल रहा है। हाईकोर्ट ने गत 27 सितंबर को आदेश जारी कर इस संबंध में याचिकाकर्ता को फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था। याचिकाकर्ता गत 3 अक्टूबर को हाईकोर्ट के आदेश के साथ फैमिली कोर्ट गई, लेकिन पीठासीन अधिकारी और रीडर ने प्रार्थना पत्र लेने से ही इंकार कर दिया। वहीं रीडर की ओर से हाईकोर्ट के खिलाफ टिप्पणी भी की गई। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पीठासीन अधिकारी और रीडर से स्पष्टीकरण मांगा है। Conclusion:
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