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सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कोटा और जोधपुर सहित अन्य  सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत को लेकर मुख्य सचिव, एसीएस स्वास्थ्य, नेशनल काउंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, कोटा कलेक्टर, जेके लोन अस्पताल कोटा के अधीक्षक, कोटा, बूंदी और जोधपुर के सीएमएचओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jan 28, 2020, 9:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कोटा और जोधपुर सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत को लेकर मुख्य सचिव, एसीएस स्वास्थ्य, नेशनल काउंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, कोटा कलेक्टर, जेके लोन अस्पताल कोटा के अधीक्षक, कोटा, बूंदी और जोधपुर के सीएमएचओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिए.

सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

पढ़ें- कॉन्स्टेबल भर्ती-2019ः गृह सचिव पेश होकर आयु सीमा में छूट का आदेश स्पष्ट करें

याचिका में अधिवक्ता हिमांशु जैन और अधिवक्ता ऋषिराज माहेश्वरी ने अदालत को बताया कि बीते दिनों कोटा और जोधपुर सहित अन्य जगहों पर बच्चों के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की बड़ी संख्या में मौत हुई हैं. इन अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ही तय संसाधन भी नहीं है. यहां तक की अस्पताल के वेंटीलेटर और वार्मर तक खराब पड़े हैं. आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी भी झेलनी पड़ी.

याचिका में गुहार की गई है कि अस्पतालों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाने के साथ ही ऐसी गाइड लाइन बनाए जाए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो. इसके अलावा प्रकरण में दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कोटा और जोधपुर सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत को लेकर मुख्य सचिव, एसीएस स्वास्थ्य, नेशनल काउंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, कोटा कलेक्टर, जेके लोन अस्पताल कोटा के अधीक्षक, कोटा, बूंदी और जोधपुर के सीएमएचओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिए.

सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

पढ़ें- कॉन्स्टेबल भर्ती-2019ः गृह सचिव पेश होकर आयु सीमा में छूट का आदेश स्पष्ट करें

याचिका में अधिवक्ता हिमांशु जैन और अधिवक्ता ऋषिराज माहेश्वरी ने अदालत को बताया कि बीते दिनों कोटा और जोधपुर सहित अन्य जगहों पर बच्चों के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की बड़ी संख्या में मौत हुई हैं. इन अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ही तय संसाधन भी नहीं है. यहां तक की अस्पताल के वेंटीलेटर और वार्मर तक खराब पड़े हैं. आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी भी झेलनी पड़ी.

याचिका में गुहार की गई है कि अस्पतालों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाने के साथ ही ऐसी गाइड लाइन बनाए जाए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो. इसके अलावा प्रकरण में दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:बाईट - याचिकाकर्ता के वकील ऋषिराज माहेश्वरी

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कोटा और जोधपुर सहित अन्य  सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत को लेकर मुख्य सचिव, एसीएस स्वास्थ्य, नेशनल कौंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, कोटा कलक्टर, जेके लॉन अस्पताल कोटा के अधीक्षक और कोटा, बूंदी और जोधपुर के सीएमएचओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता हिमांशु जैन और अधिवक्ता ऋषिराज माहेश्वरी ने अदालत को बताया कि बीते दिनों कोटा और जोधपुर सहित अन्य जगहों पर बच्चों के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की बडी संख्या में मौत हुई हैं। इन अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ही तय संसाधन भी नहीं है। यहां तक की अस्पताल के वेंटीलेटर और वार्मर तक खराब पडे हैं। आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी भी झेलनी पड़ी। याचिका में गुहार की गई है कि अस्पतालों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाने के साथ ही ऐसी गाइड लाइन बनाए जाए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो। इसके अलावा प्रकरण में दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।Conclusion:
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