जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरटी-पीसीआर टेस्ट की दर लागत से कम रखने के मामले में राज्य सरकार को कहा है कि प्रकरण में पैथ लैब का पक्ष सुनकर टेस्ट की दर तय की जानी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने महाधिवक्ता को कहा है कि वे 15 मई तक अदालत को बताएं कि लैब संचालक क्या किसी अधिकारी के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश कर सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह मौखिक आदेश एक दर्जन पैथ लैब संचालकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
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याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता संदीप पाठक ने बताया कि आरटी-पीसीआर जांच की दर गत वर्ष अप्रैल माह में चार हजार पांच सौ रुपए तय की गई थी. वहीं समय-समय पर जांच दर कम करते हुए इसे पांच सौ रुपए कर दिया गया. इस पर याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश कर जांच दर बढ़ाने की गुहार की. इसके बावजूद राज्य सरकार ने एक बार फिर मशीनी अंदाज में दर घटाकर सिर्फ तीन सौ पचास रुपए कर दी.
जबकि मशीन, प्रशासनिक खर्च और रखरखाव आदि के अलावा हर जांच में कम से कम 620 रुपए की लागत आती है. इसके अलावा दर कम करने से पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष भी नहीं सुना गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि एक हजार जांच करने में औसत लागत 208 रुपए प्रति जांच आती है. ऐसे में आमजन पर आर्थिक भार न पडे़ और लैब संचालकों के हितों को ध्यान में रखकर ही दर तय की गई है.