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हाईकोर्ट: नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के सरकार के आदेश पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रबोधकों को पूर्व में दिए नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश देवीप्रसाद मीणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक
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Published : Jul 11, 2020, 6:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रबोधकों को पूर्व में दिए नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश देवीप्रसाद मीणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: MLA हार्स ट्रेडिंग केस: ACB ने 3 निर्दलीय विधायकों के खिलाफ शुरू की जांच

याचिका में अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 में शिक्षा विभाग में प्रबोधक पद पर नियुक्त हुए थे. परिवीक्षा काल पूरा करने के बाद याचिकाकर्ताओं का स्थायीकरण किया गया. वहीं बाद याचिकाकर्ता ने वरिष्ठता और नोशनल परिलाभों के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद विभाग ने जुलाई 2017 में याचिकाकर्ताओं को नोशनल परीलाभ दे दिए.

वहीं राज्य सरकार ने गत 15 जून को आदेश जारी कर दिए गए परिलाभ को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकाल दी. याचिका में कहा गया विभाग ने नोशनल परिलाभों को गलत तरीके से अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकाली है. ऐसे में रिकवरी आदेशों को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रबोधकों को पूर्व में दिए नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश देवीप्रसाद मीणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिका में अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 में शिक्षा विभाग में प्रबोधक पद पर नियुक्त हुए थे. परिवीक्षा काल पूरा करने के बाद याचिकाकर्ताओं का स्थायीकरण किया गया. वहीं बाद याचिकाकर्ता ने वरिष्ठता और नोशनल परिलाभों के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद विभाग ने जुलाई 2017 में याचिकाकर्ताओं को नोशनल परीलाभ दे दिए.

वहीं राज्य सरकार ने गत 15 जून को आदेश जारी कर दिए गए परिलाभ को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकाल दी. याचिका में कहा गया विभाग ने नोशनल परिलाभों को गलत तरीके से अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकाली है. ऐसे में रिकवरी आदेशों को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रिकवरी आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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