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RAS Results 2018: अधिक अंक के बावजूद ओबीसी महिलाओं को सामान्य वर्ग के पद पर नहीं दी नियुक्ति, हाईकोर्ट ने जिम्मेदारों से मांगा जवाब - High Court on PIL in RAS Results 2018

आरपीएससी ने गत 24 दिसंबर को आरएएस भर्ती-2018 का अंतिम परिणाम जारी किया था. इसमें चार ओबीसी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें अपने वर्ग में ही रखा गया और सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति (OBC Woman candidates in RAS results 2018) नहीं दी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिम्मेदारों से जवाब मांगा है.

RAS Results 2018
आरएएस भर्ती-2018 का अंतिम परिणाम
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Published : Feb 14, 2022, 9:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2018 (High Court on PIL in RAS Results 2018) में ओबीसी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें सामान्य वर्ग के पद पर नियुक्ति नहीं देने पर कार्मिक सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव और आरपीएससी सहित अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश हनुमान राम की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने गत 24 दिसंबर को आरएएस भर्ती-2018 का अंतिम परिणाम जारी किया था. भर्ती में चार ओबीसी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें अपने वर्ग में ही रखा गया और सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति नहीं दी. जिसके चलते उनसे कम अंक हासिल करने वाली दूसरी ओबीसी महिला अभ्यर्थियों को ओबीसी जनरल में शामिल किया गया.

पढ़ें: RAS भर्ती-2018 विवाद को लेकर बेरोजगारों में गुस्सा, भर्तियों में इंटरव्यू की व्यवस्था खत्म करने की आवाज की बुलंद

यदि सामान्य से अधिक अंक लाने वाली ओबीसी महिला अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति दी जाती, तो उनसे कम अंक वाली ओबीसी महिलाओं को ओबीसी जनरल के बजाए ओबीसी महिला वर्ग में नियुक्ति दी जाती. इसके कारण याचिकाकर्ता के हित प्रभावित हो गए. यदि महिला अभ्यर्थियों को नियमानुसार नियुक्ति दी जाती तो याचिकाकर्ता को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सेवा के बजाए राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन होता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2018 (High Court on PIL in RAS Results 2018) में ओबीसी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें सामान्य वर्ग के पद पर नियुक्ति नहीं देने पर कार्मिक सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव और आरपीएससी सहित अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश हनुमान राम की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने गत 24 दिसंबर को आरएएस भर्ती-2018 का अंतिम परिणाम जारी किया था. भर्ती में चार ओबीसी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें अपने वर्ग में ही रखा गया और सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति नहीं दी. जिसके चलते उनसे कम अंक हासिल करने वाली दूसरी ओबीसी महिला अभ्यर्थियों को ओबीसी जनरल में शामिल किया गया.

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यदि सामान्य से अधिक अंक लाने वाली ओबीसी महिला अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति दी जाती, तो उनसे कम अंक वाली ओबीसी महिलाओं को ओबीसी जनरल के बजाए ओबीसी महिला वर्ग में नियुक्ति दी जाती. इसके कारण याचिकाकर्ता के हित प्रभावित हो गए. यदि महिला अभ्यर्थियों को नियमानुसार नियुक्ति दी जाती तो याचिकाकर्ता को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सेवा के बजाए राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन होता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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