जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम के निलंबित पार्षदों की ओर से अपने निलंबन के खिलाफ दायर याचिका में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए एक जुलाई का समय दिया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए.
दूसरी ओर नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 को चुनौती देते हुए अपने निलंबन को चुनौती देने वाली निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर न्यायाधीश पंकज भंडारी की खंडपीठ 28 जून को फैसला सुनाएगी. खंडपीठ ने गत 14 जून को याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था.
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पार्षदों की ओर से निलंबन आदेश पर रोक लगाने की गुहार की गई. वहीं महाधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज कराते हुए जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. इस पर अदालत ने जवाब के लिए समय देते हुए याचिकाओं पर सुनवाई एक जुलाई तक टाल दी. निलंबित पार्षदों ने अपनी याचिकाओं में निलंबन की कार्रवाई को गलत बताया है.
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याचिका में नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के प्रावधानों की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कहा गया है कि उनके निलंबन की प्रक्रिया अवैध है. इसलिए निलंबन आदेश को रद्द कर उन्हें बहाल किया जाए. इससे पूर्व निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की ओर से भी नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. इस पर खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
मामले के अनुसार निगम आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह से धक्का-मुक्की और अभद्रता करने के मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने स्थानीय निकाय की क्षेत्रीय उपनिदेशक से जांच करवाकर मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद अजय सिंह, पारस जैन और शंकर शर्मा को तत्काल निलंबित कर मामले को न्यायिक जांच के लिए भेज दिया था. वहीं यज्ञमित्र देव सिंह की एफआईआर में ज्योति नगर थाना पुलिस सौम्या गुर्जर सहित अन्य के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर चुकी है.