जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले से जुड़े मामले में निचली अदालत के उस आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है, इसके तहत अदालत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह और केवल चंद डगलिया सहित अन्य के खिलाफ एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश केवल चंद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जांच एजेंसी की ओर से सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत अनुसंधान जारी रखने के संबंध में दोनों पक्षों के बीच कोई विवाद नहीं है, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने याचिकाकर्ता सहित अन्य पर कूट रचना का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार करने और उनकी संपत्ति जब्त करने की मांग की है. ऐसे में स्पष्ट आरोप होने के बाद भी उन्हें सुनवाई का अवसर दिए बिना निचली अदालत ने आदेश दिया है. जिसे विधि सम्मत नहीं कहा जा सकता.
पढ़ें- विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण: SOG ने केस डायरी पेश करने के साथ ही प्रकरण में पीछे खींचे अपने हाथ
याचिका में कहा गया कि एडीजे कोर्ट ने गत 21 जुलाई को शिकायतकर्ता गुमान सिंह लाबू सिंह की रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामले में एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. जबकि रिवीजन अर्जी के तथ्यों में याचिकाकर्ता का नाम होने के बावजूद उसका पक्ष नहीं सुना गया. निचली अदालत की ओर से प्रार्थना पत्र खारिज करने के बाद उसके खिलाफ दायर रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता को पक्षकार भी नहीं बनाया गया. ऐसे में एडीजे कोर्ट का आदेश अवैध है. इसलिए कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए.
गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने गत 13 जुलाई को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह मामले में परिवादी नहीं है. इसके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए एडीजे कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अग्रिम जांच के लिए एसओजी में भेज दिया था. प्रार्थना पत्र में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों की संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भूमिका बताई गई थी.