जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को आरटी-पीसीआर जांच की कीमत लागत मूल्य से कम करने के खिलाफ दायर याचिका और हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे निलंबित आईपीएस मनीष अग्रवाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई 3 मई तक टाल दी है.
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एक दर्जन निजी लैब संचालकों की ओर से जांच की कीमत लागत मूल्य से कम तय करने के खिलाफ दायर याचिका में न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 3 मई टाल दी.
वहीं, न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की एकलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता निलंबित आईपीएस मनीष अग्रवाल की ओर से सुनवाई टालने की गुहार की गई. इस पर एकलपीठ ने मामले की सुनवाई 3 मई तक टाल दी. आरोपी की ओर से प्रकरण में आरोप पत्र पेश होने और प्रकरण से जुड़े दो निलंबित आरपीएस पिंकी मीणा और पुष्कर मित्तल को जमानत दिए जाने के आधार पर जमानत मांगी गई है.
मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर दखल की गुहार
दी बार एसोसिएशन की ओर से प्रदेश में मेडिकल, ऑक्सीजन सहित चिकित्सीय संसाधनों की कमी को लेकर मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर दखल की गुहार की गई है. एसोसिएशन के महासचिव सतीश शर्मा की ओर से भेजे पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से 19 अप्रैल से जन अनुशासन पखवाड़ा शुरू किया गया है. वहीं, आमजन को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है.