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बम धमाकों के अभियुक्तों के डेथ रेफरेंस पर हुई सुनवाई

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Published : Jan 3, 2020, 7:09 PM IST

जयपुर में 11 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्तों को मिली फांसी की सजा को कंफर्म करने को लेकर हाईकोर्ट में निचली अदालत की ओर से भेजे गए डेथ रेफरेंस पर सुनवाई हुई. न्यायाधीशों की खंडपीठ ने रेफरेंस की कॉपी राज्य सरकार को देने के आदेश देते हुए अभियुक्तों की ओर से पेश होने वाली अपील के साथ प्रकरण की सुनवाई तय की है.

डेथ रेफरेंस पर सुनवाई , Hearing on death reference
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. शहर में 11 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्तों को मिली फांसी की सजा को कंफर्म करने को लेकर हाईकोर्ट में निचली अदालत की ओर से भेजे गए डेथ रेफरेंस पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने रेफरेंस की कॉपी राज्य सरकार को देने के आदेश देते हुए अभियुक्तों की ओर से पेश होने वाली अपील के साथ प्रकरण की सुनवाई तय की है.

बम धमाकों के अभियुक्तों के डेथ रेफरेंस पर हुई सुनवाई

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील शेर सिंह महला ने अदालत को कहा कि रेफरेंस की कॉपी मिलने के बाद सरकार उस पर अपना जवाब पेश करेगी. गौरतलब है कि गत 20 दिसंबर को बम विस्फोट मामलों की विशेष अदालत ने अभियुक्त मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान और सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं, अदालत ने एक अन्य आरोपी शहबाज हुसैन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था.

पढ़ें- भरतपुरः कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश रोडवेज की एक बस कुर्क

प्रावधानों के अनुसार ट्रायल कोर्ट की ओर से अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाने के बाद इस फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ से कंफर्म करना होता है. ऐसे में ट्रायल कोर्ट की ओर से प्रकरण को डेथ रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट में भेजा जाता है, जहां अदालत पक्षों को सुनकर फांसी की सजा पर अपना फैसला देती है.

प्रकरण के अनुसार शहर की चारदीवारी क्षेत्र में 13 मई 2008 को सिलसिलेवार 8 बम विस्फोट हुए थे, जबकि एक चांदपोल हनुमान मंदिर के पास एक बम जिंदा बरामद हुआ था. घटना में 72 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी, जबकि 186 लोग घायल हुए थे.

जयपुर. शहर में 11 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्तों को मिली फांसी की सजा को कंफर्म करने को लेकर हाईकोर्ट में निचली अदालत की ओर से भेजे गए डेथ रेफरेंस पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने रेफरेंस की कॉपी राज्य सरकार को देने के आदेश देते हुए अभियुक्तों की ओर से पेश होने वाली अपील के साथ प्रकरण की सुनवाई तय की है.

बम धमाकों के अभियुक्तों के डेथ रेफरेंस पर हुई सुनवाई

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील शेर सिंह महला ने अदालत को कहा कि रेफरेंस की कॉपी मिलने के बाद सरकार उस पर अपना जवाब पेश करेगी. गौरतलब है कि गत 20 दिसंबर को बम विस्फोट मामलों की विशेष अदालत ने अभियुक्त मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान और सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं, अदालत ने एक अन्य आरोपी शहबाज हुसैन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था.

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प्रावधानों के अनुसार ट्रायल कोर्ट की ओर से अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाने के बाद इस फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ से कंफर्म करना होता है. ऐसे में ट्रायल कोर्ट की ओर से प्रकरण को डेथ रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट में भेजा जाता है, जहां अदालत पक्षों को सुनकर फांसी की सजा पर अपना फैसला देती है.

प्रकरण के अनुसार शहर की चारदीवारी क्षेत्र में 13 मई 2008 को सिलसिलेवार 8 बम विस्फोट हुए थे, जबकि एक चांदपोल हनुमान मंदिर के पास एक बम जिंदा बरामद हुआ था. घटना में 72 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी, जबकि 186 लोग घायल हुए थे.

Intro:बाईट - सरकारी वकील शेरसिंह महला


जयपुर। शहर में 11 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्तों को मिली फांसी की सजा को कंफर्म करने को लेकर हाईकोर्ट में निचली अदालत की ओर से भेजे गए डेथ रेफरेंस पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह की खंडपीठ ने रेफरेंस की कॉपी राज्य सरकार को देने के आदेश देते हुए अभियुक्तों की ओर से पेश होने वाली अपील के साथ प्रकरण की सुनवाई तय की है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील शेरसिंह महला ने अदालत को कहा कि रेफरेंस की कॉपी मिलने के बाद सरकार उस पर अपना जवाब पेश करेगी।Body:गौरतलब है कि गत 20 दिसंबर को बम विस्फोट मामलों की विशेष अदालत ने अभियुक्त मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान और सलमान को फांसी की सजा सुनाई थी। वहीं अदालत ने एक अन्य आरोपी शहबाज हुसैन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। प्रावधानों के अनुसार ट्रायल कोर्ट की ओर से अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाने के बाद इस फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ से कंफर्म करना होता है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट की ओर से प्रकरण को डेथ रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट में भेजा जाता है। जहां अदालत पक्षों को सुनकर फांसी की सजा पर अपना फैसला देती है।
प्रकरण के अनुसार शहर की चारदीवारी क्षेत्र में 13 मई 2008 को सिलसिलेवार आठ बम विस्फोट हुए थे। जबकि एक चांदपोल हनुमान मंदिर के पास एक बम जिंदा बरामद हुआ था। घटना में 72 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी। जबकि 186 लोग घायल हुए थे।Conclusion:
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