ETV Bharat / city

मंत्री जी मापदंड का हवाला देकर दबा रहे जनता की भावना, कानून बदल जाते हैं मापदंड क्यों नहीं : कांग्रेस विधायक - Proposal to open ADJ Court in Tonk

राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुरुवार को कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने टोंक के उनियारा में एडीजी कोर्ट खोलने की मांग उठाई. जिसे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने मापदंडों का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया.

विधायक हरीश मीणा, MLA Harish Meena
विधायक हरीश मीणा
author img

By

Published : Feb 13, 2020, 1:59 PM IST

जयपुर. विधानसभा के प्रश्नकाल में गुरुवार को टोंक के उनियारा में एडीजी कोर्ट खोलने की मांग कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने उठाई. लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने जब मापदंडों का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया तो जवाब से नाराज होकर विधायक ने यह भी कह डाला की मंत्री जी मापदंडों का हवाला देकर हजारों लाखों जनता की भावनाएं दबा रहे हैं.

मंत्री धारीवाल के जवाब से नाराज हुए विधायक हरीश मीणा

मीणा ने कहा इस विधानसभा में कानून तक बदल दिए जाते हैं, यह तो मापदंड है. विधायक मीणा ने मापदंडों को भी जनहित में बदलने की मांग की. हालांकि धारीवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार दो बार सर्वोच्च न्यायालय को मापदंड बदलने के लिए पत्र लिख चुकी है. लेकिन वहां से इस पत्र को खारिज कर दिया गया.

पढ़ें- राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का अंतिम दिन, मुख्यमंत्री सदन में देंगे जवाब

ऐसे में प्रदेश सरकार बिना अनुमति के कोई मापदंड नहीं बदल सकती. धारीवाल ने बताया कि उनियारा क्षेत्र में एडीजे कोर्ट की स्थापना के लिए अभिभाषक संघ ने भी मांग की गई थी और वर्तमान में उनियारा में जिलाधीश न्यायाधीश न्यायालय स्तर के सुनवाई योग्य करीब 402 प्रकरण लंबित है. जबकि 1000 से 1200 प्रकरण लंबित होने पर नवीन कोर्ट का प्रस्ताव बनाया जा सकता है.

धारीवाल ने बताएं यह मापदंड-

सदन में धारीवाल ने बताया कि नवीन एडीजे न्यायालय की स्थापना के लिए उच्च न्यायालय से परामर्श कर प्रस्ताव प्राप्त होने पर वित्तीय संसाधनों के अनुसार इसको खोला जाता है. लेकिन इसके लिए भी कई मापदंड है. धारीवाल ने बताया की 1000 से 1200 प्रकरण लंबित होने पर एडीजे कोर्ट की स्थापना का प्रस्ताव बनाया जा सकता है.

पढ़ें- अफसरों-कर्मचारियों की लेटलतीफी से परेशान सरकार, अब उठाने जा रही है ये सख्त कदम

वहीं, 1200 से 1500 प्रकरण लंबित होने पर सीजेएम कोर्ट का प्रस्ताव बनाया जा सकता है. वरिष्ठ न्यायधीश न्यायिक मजिस्ट्रेट वोट के लिए 1700 से 2000 तक लंबित प्रकरण होने पर प्रस्ताव बना कर दिया जाता है. लेकिन इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय से चर्चा और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता होने पर ही इस कोर्ट की स्थापना हो सकती है.

जयपुर. विधानसभा के प्रश्नकाल में गुरुवार को टोंक के उनियारा में एडीजी कोर्ट खोलने की मांग कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने उठाई. लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने जब मापदंडों का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया तो जवाब से नाराज होकर विधायक ने यह भी कह डाला की मंत्री जी मापदंडों का हवाला देकर हजारों लाखों जनता की भावनाएं दबा रहे हैं.

मंत्री धारीवाल के जवाब से नाराज हुए विधायक हरीश मीणा

मीणा ने कहा इस विधानसभा में कानून तक बदल दिए जाते हैं, यह तो मापदंड है. विधायक मीणा ने मापदंडों को भी जनहित में बदलने की मांग की. हालांकि धारीवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार दो बार सर्वोच्च न्यायालय को मापदंड बदलने के लिए पत्र लिख चुकी है. लेकिन वहां से इस पत्र को खारिज कर दिया गया.

पढ़ें- राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का अंतिम दिन, मुख्यमंत्री सदन में देंगे जवाब

ऐसे में प्रदेश सरकार बिना अनुमति के कोई मापदंड नहीं बदल सकती. धारीवाल ने बताया कि उनियारा क्षेत्र में एडीजे कोर्ट की स्थापना के लिए अभिभाषक संघ ने भी मांग की गई थी और वर्तमान में उनियारा में जिलाधीश न्यायाधीश न्यायालय स्तर के सुनवाई योग्य करीब 402 प्रकरण लंबित है. जबकि 1000 से 1200 प्रकरण लंबित होने पर नवीन कोर्ट का प्रस्ताव बनाया जा सकता है.

धारीवाल ने बताएं यह मापदंड-

सदन में धारीवाल ने बताया कि नवीन एडीजे न्यायालय की स्थापना के लिए उच्च न्यायालय से परामर्श कर प्रस्ताव प्राप्त होने पर वित्तीय संसाधनों के अनुसार इसको खोला जाता है. लेकिन इसके लिए भी कई मापदंड है. धारीवाल ने बताया की 1000 से 1200 प्रकरण लंबित होने पर एडीजे कोर्ट की स्थापना का प्रस्ताव बनाया जा सकता है.

पढ़ें- अफसरों-कर्मचारियों की लेटलतीफी से परेशान सरकार, अब उठाने जा रही है ये सख्त कदम

वहीं, 1200 से 1500 प्रकरण लंबित होने पर सीजेएम कोर्ट का प्रस्ताव बनाया जा सकता है. वरिष्ठ न्यायधीश न्यायिक मजिस्ट्रेट वोट के लिए 1700 से 2000 तक लंबित प्रकरण होने पर प्रस्ताव बना कर दिया जाता है. लेकिन इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय से चर्चा और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता होने पर ही इस कोर्ट की स्थापना हो सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.