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लोकसभा में बेनीवाल ने उठाया किसानों का मुद्दा...मोदी सरकार से की ये मांग

आज 9 फरवरी को लोकसभा में माननीय राष्ट्रपति महोदय के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई. जिसमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व नागौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी भाग लिया और सदन में अपने विचार रखे.

hanuman beniwal raised the issue of farmers in lok sabha
लोकसभा में बेनीवाल ने उठाया किसानों का मुद्दा
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Published : Feb 9, 2021, 10:31 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर. लोकसभा में चर्चा के दौरान बेनीवाल ने देश में चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में अन्नदाताओं की मांग व आवाज को उठाया और कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग को दोहराया.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-1

बेनीवाल ने कहा कि पक्ष-विपक्ष के कई जनप्रतिनिधि अपने-अपने इलाके के अंदर किसानों से वादा करके आते हैं, लेकिन यहां आकर बदल जाते हैं ये पूरा देश देख रहा है. जब 2024 में वोट मांगने जाएंगे तब पता लगेगा कि आंदोलन एक राज्य का नहीं है, बल्कि उन तमाम राज्यों का है जहां एनडीए और भाजपा को 120 से ज्यादा सीटें मिली थीं.

पढ़ें : कृषि कानूनों से देश का किसान अपनी जमीन और अपने ही खेत पर गुलाम बन जाएगा: पायलट

उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को कोई दबा नहीं सकता और आंदोलनकारी किसान थकने वाले नहीं हैं. भारत की सीमाएं आज भी इन्हीं किसानों के बेटों की बदौलत सुरक्षित हैं. इस दौरान पीएम को उनका वादा याद दिलाया, साथ ही कांग्रेस पर ये कहते हुए निशाना साधा कि कांग्रेस ने भी किसानों का कोई भला नहीं किया है.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-2

नागौर सांसद ने आगे कहा कि किसानों के मुद्दे पर एनडीए से अलग हो गया और जरूरत पड़ी तो लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दूंगा. बेनीवाल ने उत्तराखंड हादसे पर भी दुख जताया. वहीं, दिल्ली में लाल किला हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन बार-बार राहुल गांधी और उनके ट्वीट को लेकर किसान आंदोलन को कमजोर नहीं किया जा सकता. किसान कभी भी तिरंगे का आपमान नहीं कर सकता. केंद्र सरकार इस घटना की जांच कराए, किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश ना करे.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-3

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सदन में आज भी समर्थन मूल्य पर खरीद की बात चल रही थी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है. इसलिए मेरी सरकार से मांग है कि किसानों की जो प्रमुख मांगें हैं उन्हें लागू करे. देश में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जानी चाहिए. बेनीवाल ने कहा कि सरकार किसानों से बात करे और नए कृषि कानून को वापिस ले.

नई दिल्ली/जयपुर. लोकसभा में चर्चा के दौरान बेनीवाल ने देश में चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में अन्नदाताओं की मांग व आवाज को उठाया और कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग को दोहराया.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-1

बेनीवाल ने कहा कि पक्ष-विपक्ष के कई जनप्रतिनिधि अपने-अपने इलाके के अंदर किसानों से वादा करके आते हैं, लेकिन यहां आकर बदल जाते हैं ये पूरा देश देख रहा है. जब 2024 में वोट मांगने जाएंगे तब पता लगेगा कि आंदोलन एक राज्य का नहीं है, बल्कि उन तमाम राज्यों का है जहां एनडीए और भाजपा को 120 से ज्यादा सीटें मिली थीं.

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उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को कोई दबा नहीं सकता और आंदोलनकारी किसान थकने वाले नहीं हैं. भारत की सीमाएं आज भी इन्हीं किसानों के बेटों की बदौलत सुरक्षित हैं. इस दौरान पीएम को उनका वादा याद दिलाया, साथ ही कांग्रेस पर ये कहते हुए निशाना साधा कि कांग्रेस ने भी किसानों का कोई भला नहीं किया है.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-2

नागौर सांसद ने आगे कहा कि किसानों के मुद्दे पर एनडीए से अलग हो गया और जरूरत पड़ी तो लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दूंगा. बेनीवाल ने उत्तराखंड हादसे पर भी दुख जताया. वहीं, दिल्ली में लाल किला हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन बार-बार राहुल गांधी और उनके ट्वीट को लेकर किसान आंदोलन को कमजोर नहीं किया जा सकता. किसान कभी भी तिरंगे का आपमान नहीं कर सकता. केंद्र सरकार इस घटना की जांच कराए, किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश ना करे.

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल, पार्ट-3

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सदन में आज भी समर्थन मूल्य पर खरीद की बात चल रही थी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है. इसलिए मेरी सरकार से मांग है कि किसानों की जो प्रमुख मांगें हैं उन्हें लागू करे. देश में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जानी चाहिए. बेनीवाल ने कहा कि सरकार किसानों से बात करे और नए कृषि कानून को वापिस ले.

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