जयपुर. भारत-चीन की सीमा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव गहराता जा रहा है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात भारत और चीन की सेना में हिंसक झड़प के बाद से तो दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट चरम पर पहुंच गई है. हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए.
चीन से बढ़ते विवाद और इस तनावपूर्ण माहौल के बीच ETV Bharat की टीम पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर ताजा स्थिति का जायजा लेने पहुंची. पाक की सीमा से लगते गांवों में रहने वालों लोगों से भी बात की. इस दौरान हमारी टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि ये लोग इस माहौल को किस रूप में देखते हैं और इसके बारे में क्या सोचते हैं. आइए सिलसिलेवार जानते हैं सीमाओं के ताजा हालात...
जैसलमेर: 'पाक कर सकता है नापाक हरकत'
देश की पश्चिमी सीमा के निगेहबान जैसलमेर जिले के सीमावर्ती इलाकों में पहुंच ETV Bharat की टीम ने मौजूदा हालातों का जायजा लिया और ग्रामीणों से बातचीत की. हालांकि इस दौरान हमने भारत-पाक सीमा के ग्राउंड जीरो पर जाने का प्रयास भी किया लेकिन सुरक्षा कारणों की वजह से हम वहां तक नहीं पहुंच पाए.
सीमावर्ती गांव रणाऊ (रणोत्तर) और गिरदुवाला, जैसलमेर जिला मुख्यालय से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थिति है. वहां से 35-40 किमी दूर है अंतर्राष्ट्रीय भारत-पाक सीमा. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि फिलहाल पश्चिमी सीमा पर हालात सामान्य हैं. हालांकि ग्रामीणों ने यह जरूर कहा कि पाक मौजूदा हालात में कोई भी नापाक हरकत कर सकता है, ऐसे में भारतीय सेना और BSF के जवान पूरी तरह से सतर्क हैं.
युद्ध काल में ग्रामीणों ने ऊंटों के जरिए सेना तक पहुंचाया था पानी..
80 वर्षीय ग्रामीण भगवान सिंह ने बताया कि 1965 और 71 के युद्ध के दौरान हालात बुरे थे. तब परिवहन के साधन नहीं थे और पीने को पानी भी नहीं था. तब उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कुएं से पानी निकाल कर, ऊंटों के जरिये सेना तक पहुंचाया था. भगवान सिंह ने कहा कि यदि ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो वह उम्र के इस पड़ाव पर भी सेना का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगे.
बाड़मेर: BSF पूरी तरह सतर्क
बाड़मेर में भारत-पाक सीमा से सटा गांव है तामलोर. ईटीवी भारत की टीम ने गांव में पहुंचकर लोगों से बात और सीमा की ताजा स्थिति का जायजा भी लिया. इस समय सीमा पर सुरक्षा बल पूरी तरह से मुस्तैद नजर आ रहे हैं. बॉर्डर पर 50 डिग्री के तापमान में भी देश के जांबाज पूरी तरीके से सतर्क नजर आ रहे हैं.
सीमा पर रहने वाले शेर सिंह बताते हैं कि क्योंकि हम बॉर्डर के लोग हैं हमने 1965 और 1971 की लड़ाई के बारे में सुना है कि हमने पाकिस्तान को धूल चटाई थी. उसी तरीके से अब हम चाहते हैं कि चीन को भी हम इसी तरीके से सबक सिखाया जाए.
इसी गांव के मिश्री सिंह बताते हैं कि हम देश के प्रधानमंत्री से कहना चाहते हैं कि जिस तरह हमारी सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, उसी तरीके से चीन को भी करारा जवाब दिया जाए.
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श्रीगंगानगर: पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर
भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के जवान पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर बनाए हुए हैं. श्रीगंगानगर जिले से लगती 210 किमी. सीमा पर BSF पूरी ताकत के साथ मुस्तैद है. हिंदुमलकोट बॉर्डर यूं तो काफी शांत माना जाता है, लेकिन देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर जब दुश्मन की तरफ से किसी प्रकार की हरकत होती है तो सीमा पर रहने वाले लोगों का खून खौल उठता है.
हिंदुमलकोट बॉर्डर की ताजा स्थिति की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से किसी प्रकार की हरकत नजर नहीं आ रही है. पाकिस्तानी रेंजर्स कई बार पेट्रोलिंग करते हुए दिखाई देते हैं. वहीं भारतीय सीमा में बीएसएफ के जवान अपनी पोस्टों पर चौकस निगाहों के साथ पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर बनाए हुए हैं.
ईटीवी भारत ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि हिंदुमलकोट बॉर्डर काफी शांत माना जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वे दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने को तैयार हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि पाकिस्तान से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विशेषकर राजस्थान में बीएसएफ और सिविलियन दुश्मन को धूल चटाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. यही कारण है कि पाकिस्तान हमारे हौसलों को देखकर इस क्षेत्र में कभी किसी प्रकार की नापाक हरकत नहीं करता है.
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बीकानेर: बॉर्डर पर जाने को तैयार ग्रामीण
इसी सफर का आगे बढ़ाते हुए बीकानेर में पाकिस्तान से सटी भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे खाजूवाला गांव में ईटीवी की टीम पहुंची. यहां हालात सामान्य नजर आए. यहां लोग आम दिनों की भांति खेती-बाड़ी और सामान्य दिनचर्या के काम करते दिखाई दिए.
हालांकि सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए जीवन यापन का सहारा खेती और पशुपालन ही है. यहां रहने वाले लोगों के लिए कई तरह की पाबंदियां भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगाई गई हैं. लेकिन इन पाबंदियों के बावजूद भी यहां लोग पूरी तरह से खुश हैं.
सीमावर्ती गांव में रहने वाले नरेंद्र सरेलिया का कहना है कि पाकिस्तान से लगती हमारी सीमा पर कोई चिंता की बात नहीं है. हमें सेना की ओर से किसी भी तरह का कोई दिशा-निर्देश अभी तक नहीं मिले हैं. अगर शिफ्टिंग का निर्देश मिलता है तो उसकी पालना की जाएगी, साथ ही उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर देश के लिए बॉर्डर पर जाने को भी तैयार हैं.
इसी तरह सुरेंद्र नाम के ग्रामीण ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पड़ोसी देशों के साथ किसी भी तरह के तनाव के हालातों पर सेना की ओर से सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों को विपरीत परिस्थितियों में वहां से हटने के लिए कहा जाता है.