जयपुर. आयुक्त के साथ हुए विवाद से ग्रेटर नगर निगम में जिस राजनीतिक घमासान की शुरुआत हुई, उसका नया अध्याय अब ग्रेटर निगम मेयर के चेहरे का होगा. फिलहाल, 6 महीने तक शील धाभाई बतौर कार्यवाहक मेयर सीट संभालने वाली हैं. ऐसे में अपनी आगामी पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए वो इन छह महीनों को पावर प्ले के रूप में देख रही हैं.
कार्यवाहक मेयर की कोशिश यही रहेगी कि अपने पुराने अनुभव और विधायकों का हाथ थाम सीट पर बनी रहें. यही वजह है कि उन्होंने आते ही पहले उस विवाद को खत्म करना बेहतर समझा, जो सौम्या गुर्जर के निलंबन की नींव बनी.
बीते सात महीने पहले शहरी सरकार की मुखिया बनने का जो सपना शील धाभाई ने देखा था, उस सपने के साथ धाभाई कम से कम 6 महीने तक जी सकेंगी. सौम्या गुर्जर को निलंबित करने के बाद सरकार ने वरिष्ठता को देखते हुए शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया और अब कोर्ट के डिसीजन के बाद शील धाभाई ही ग्रेटर नगर निगम की बागडोर संभालती नजर आएंगी.
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पार्टी में दो धड़े बनने जैसा तो कुछ अभी हुआ ही नहीं
महापौर के निलंबन के बाद फिलहाल 6 महीने तक कोई चुनाव नहीं होना है. शील धाभाई ने कहा, 6 महीने एक लंबा कार्यकाल होता है. ऐसे में अभी पार्टी के दो धड़े में बंटने की कोई बात ही नहीं है. उनकी नियुक्ति संवैधानिक प्रक्रिया से हुई, कोर्ट के आदेश भी कानूनी प्रक्रिया के तहत हैं.
विधायक मेरे साथ हैं
विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है और उन्हीं के अनुशंसा पर पार्षद बनते हैं. शील धाभाई ने कहा, ये एक कड़ी है, जिस क्षेत्र में भी वो जाती हैं विधायक साथ होते हैं. पार्षद भी उनकी राय के बिना कुछ नहीं करते. उन्होंने कहा, विधायक मेरे साथ हैं और न होने का मतलब ही नहीं है, जितने समय भी वो कार्यवाहक मेयर हैं जनता के हित में कार्य करेंगी.
कर्मचारियों का बढ़ा मनोबल
सीट पर बैठने के बाद सात दिन में व्यवस्थाओं को बेहतर करने का दावा करने वाली शील धाभाई ने कहा, आम जनता से मिले फीडबैक के अनुसार निगम क्षेत्र में पहले से कुछ सुधार हुआ है. कर्मचारी भी समय पर आ रहे हैं. सफाई कर्मचारियों के लिए भी ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है, जिससे कर्मचारियों का भी मनोबल बढ़ा है. अभी तक कोर्ट के फैसले का इंतजार था, जिससे अनिश्चितता की स्थिति थी. लेकिन अब विधिवत रूप से सारी कमेटियां काम करेंगी. जहां तक कमिश्नर की बात है, चेयरमैन उनके काम से संतुष्ट हैं. अपने पुराने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा, उस दौरान करीब 5 कमिश्नर बदले. लेकिन सभी से बेहतर तालमेल रहा.
पार्षदों और उपमहापौर का मिला साथ
शील धाभाई ने कहा, चाहे विद्याधर नगर का दौरा हो, चाहे मालवीय नगर का. उनके साथ सभी पार्षद लगातार मौजूद रहे. महज भ्रम फैलाने की कोशिश की गई, जो कामयाब नहीं हुई और ये भी प्रैक्टिकल बात है कि यदि क्षेत्र में महापौर जा रही है और पार्षद नहीं पहुंचेंगे, तो जनता के प्रति उन्हीं की जवाबदेही बनेगी.
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बीवीजी के भुगतान की पेंडेंसी नहीं रहेगी
बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, उसे खत्म करने की बात कहते हुए शील धाभाई ने कहा कि भुगतान की फाइल राज्य सरकार के पास जानी थी. सरकार से जो आदेश आए, उनकी पालना की गई और कंपनी को भुगतान भी हो गया. हालांकि, कंपनी को स्पष्ट किया गया है कि अब पेंडेंसी नहीं रहेगी. प्रत्येक महीने भुगतान हो जाएगा और ये भी सामान्य बात है कि जब पेमेंट नहीं होता तो परेशानी होती ही है.
महापौर पद की पूर्व अनुभव का मिलेगा फायदा
धाभाई साल 2001 में कार्यवाहक महापौर बनी थी. वहीं साल 1999 में बने दूसरे बोर्ड में निर्मल वर्मा के निधन के बाद उन्हें कार्यवाहक महापौर बनाया गया था और अगले चुनाव तक वही महापौर रही. धाभाई ने कहा, पिछले कार्यकाल में कुछ काम अधूरे रह गए थे. लेकिन अब वार्ड बढ़ गए हैं, क्षेत्र बंट गया है, और लोगों की उम्मीद बढ़ गई है. ऐसे में पार्टी ने जिस सेवा कार्य की उम्मीद के साथ उन्हें भेजा है, उस पर खरा उतरने की कोशिश रहेगी. इस कार्य में पिछले अनुभव का भी फायदा मिलेगा.