जयपुर. राजधानी में लो-फ्लोर बसों का संचालन करने वाले विभाग जेसीटीएसएल का चेयरमैन जयपुर के मेयर को बनाया जाता है. इसकी शुरुआत पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल के वक्त से हुई. उसके बाद निर्मल नाहटा, अशोक लाहोटी और विष्णु लाटा जेसीटीएसएल के चेयरमैन रहे, लेकिन अब जयपुर में दो नगर निगम हैं और दो मेयर हैं.
ऐसे में जेसीटीएसएल का चेयरमैन कौन होगा, इसे लेकर बीते एक साल से चर्चाएं चल रही हैं. फिलहाल, स्वायत्त शासन सचिव के पास चेयरमैन पद की जिम्मेदारी है. इस पर ग्रेटर निगम उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी अफसरों को सर्वेसर्वा बनाने की नीति के तहत प्रशासनिक अधिकारी को जेसीटीएसएल चैयरमेन का चार्ज दे रखा है. जिससे बसों के रखरखाव, खरीद, संचालन और प्रबंधन सहित सभी आवश्यक कार्य अटके पड़े हैं. इसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
कर्णावट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जेसीटीएसएल चैयरमेन के पद पर महापौर की नियुक्ति की जाती है, लेकिन जयपुर में दो नगर निगमों के गठन के बाद ग्रेटर में बीजेपी का बोर्ड है और हेरिटेज में कांग्रेस का. इसलिए सरकार की नीयत में खोट आ गई है. उन्होंने बताया कि लगभग 65 प्रतिशत जेसीटीएसएल बसों का संचालन नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में होता है. प्रमुख बस डिपो और मुख्य कार्यालय भी ग्रेटर क्षेत्र में ही स्थित हैं.
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ऐसे में जनहित को ध्यान में रखते हुए बसों के बेहतर संचालन और प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ग्रेटर महापौर को जेसीटीएसएल का स्थाई चेयरमैन नियुक्त करे. बहरहाल, शहर में दो मेयर होने के कारण सरकार मेयर को जेसीटीएसएल का चेयरमैन बनाने की परिपाटी बंद करती है या फिर कोई नया फार्मूला इजाद किया जाता है, ये देखने वाली बात होगी.