जयपुर. राजस्थान में क्रॉस वोटिंग के जरिए बहुमत वाली पार्टी के प्रमुख नहीं बना पाने की एक परंपरा सी बन गई है. हाल ही बारां जिला प्रमुख चुनाव में ऐसा ही हुआ. इस पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि क्रॉस वोटिंग (cross voting in elections) की परंपरा गलत है. वे इसकी जांच करवाएंगे. बीजेपी को भी अपनी पार्टी में जांच करवानी चाहिए.
राजस्थान के बारां में हुए पंचायत चुनावों में कांग्रेस की उर्मिला जैन जिला प्रमुख (Baran Zila Pramukh election) बनी हैं. यहां 13 जिला परिषद के सदस्य भाजपा के जीतने और बहुमत होने के बावजूद भी भाजपा के ही किसी एक सदस्य ने क्रॉस वोटिंग की जिससे कांग्रेस पार्टी का जिला प्रमुख बन गया. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने भाजपा के जिला परिषद सदस्यों में सेंध लगाकर जयपुर जिला प्रमुख का अपना पुराना बदला पूरा कर लिया है.
डोटासरा ने इस परंपरा को गलत माना है. उनका कहना है कि चुनाव गुप्त मतदान से होता है और इसमें कोई भी किसी को मतदान कर सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि सदस्यों को मतदान केवल उसी पार्टी के पक्ष में करना चाहिए जिस पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीत कर आए हैं. डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बात की जांच करवा रही है कि जयपुर समेत जहां भी कांग्रेस के सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की है, वे कौन हैं. यही काम दूसरी पार्टी को भी करना चाहिए. सीधे तौर पर डोटासरा ने क्रॉस वोटिंग की परंपरा पर सवाल उठाए हैं. इसके साथ ही राजनीतिक दलों के तोड़फोड़ कर दूसरी पार्टी के सदस्यों को लालच या अन्य किसी प्रकार से अपने साथ जोड़ने की परंपरा को गलत बताया है.
'सतीश पूनिया को मजदूर मानती है भाजपा'
कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर रविवार से जयपुर के बाड़ा पदमपुरा में शुरू होने जा रहा है. कांग्रेस पार्टी के सलेक्टेड नेताओं को तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा. 26 से 28 दिसम्बर तक होने वाले प्रशिक्षण शिविर में डोटासरा 27 दिसंबर को रात में भी इस प्रशिक्षण शिविर में रुकेंगे. तो वहीं प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी एक दिन इस प्रशिक्षण शिविर में पहुंचेंगे.
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कांग्रेस के प्रशिक्षण शिविर पर भाजपा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रशिक्षण तो अजय माकन और केसी वेणुगोपाल जैसे नेताओं का होना चाहिए. इस पर डोटासरा ने कहा कि सतीश पूनिया को भाजपा नेता नहीं बल्कि मजदूर मानती है. यही कारण है कि उनके नेतृत्व में बीजेपी जैसी कैडर बेस और अनुशासित पार्टी में लगातार अनुशासनहीनता बढ़ रही है. बीजेपी को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि किसे प्रशिक्षण की जरूरत है.