जयपुर. कोविड-19 के चलते सरकार की आर्थिक सेहत और बिगड़ गई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले 6 महीने के दौरान सरकार की करो से होने वाली आय पिछले वर्ष के मुकाबले 11.87 प्रतिशत तक कम हो गई है.
![Finance Department released half yearly review, वित्त विभाग ने जारी की छमाही समीक्षा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10222606_tax.jpg)
वित्त विभाग की ओर से हर वर्ष सरकार की वित्तीय स्थिति की छमाही समीक्षा जारी की जाती है. इस बार की समीक्षा रिपोर्ट वित्त विभाग ने मंगलवार को जारी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी कोविड की वजह से सरकार की करों और करों के अलावा होने वाली आय इससे बुरी तरह प्रभावित हुई है, विशेषकर पेट्रोलियम और परिवहन क्षेत्र में होने वाली आय पर काफी असर पड़ा है.
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अप्रैल से सितम्बर 2020 के बीच सरकार का राजस्व घाटा 27958.60 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले पांच वर्ष में सबसे ज्यादा है. राज्य सरकार की ओर से लगाए जाने वाले करों से होने वाली आय में अप्रैल से सितम्बर के बीच 13.56 फीसदी की कमी आई है, जबकि गैर कर योग्य आय में पिछले वर्ष के मुकाबले 34 प्रतिशत की कमी आई है.
पिछले वित्तीय वर्ष अप्रैल से सितम्बर के बीच 44815 करोड़ की आय हुई थी, जो इस बार घटकर 39 497 करोड़ रह गई. वहीं, राज्य के जीएसटी में 25 फीसदी, भू राजस्व में 57 फीसदी और वाहनों से होने वाली आय में 38.91 प्रतिशत, लग्जरी और मनोरंजन कर से होने वाली आय में 63 फीसदी की कमी दर्ज की गई.
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उधर, अप्रैल से सितम्बर के बीच बजट अनुमान का 44 फीसदी खर्च किया जा चुका है. पिछले वित्तीय वर्ष में पेट्रोलियम से 1788 करोड़ की आय हुई थी, जो इस वर्ष घटकर 738 करोड़ रह गई है और इसमें 58.72 फीसदी की कमी आई.
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आबकारी का घाटा सबसे कम
सरकार को पेट्रोलियम, खनन, भू राजस्व सभी से होने वाली कर योग्य आय में घाटा हुआ है, लेकिन आबकारी या शराब से होने वाली बिक्री से मिलने वाली आय में सबसे कम सिर्फ 1.08 फीसदी का घाटा हुआ है. बता दें, जीएसटी लागू होने के साथ ही राज्य सरकारों के पास कर लगाने की सीमाएं भी खत्म हो गईं थी. राज्य सरकार के पास आबकारी, पेट्रोलियम, खनन और भू राजस्व ही एक मात्र श्रोत थे, जिसके जरिए राज्य की सरकारें अपना राजस्व अर्जित कर सकती है.
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दरअसल, कोरोना काल के दौरान गहलोत सरकार ने तीन बार शराब की कीमतों में वृद्धि की. इसके बाद राजस्थान देश में सबसे ज्यादा महंगी शराब बेचने वाला राज्य बन गया. इसके अलावा सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सेस में भी वृद्ध की. सरकार की ओर से पेट्रोल डीजल की कर की दरों में वृद्धि के साथ-साथ शराब दरों में भी वृद्धि की गई, बावजूद उसके राज्य सरकार को कोरोना काल में 11.87 फीसदी कम आय हुई.