जयपुर. NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी, अर्ध सरकारी कर्मचारी और संविदा पर लगे कर्मचारी उठा रहे थे. ऐसी शिकायत खाद्य मंत्री रमेश मीणा को जनसुनवाई के दौरान कई बार मिली. जिसे लेकर मंत्री ने जब अपने स्तर पर जांच कराई तो सामने आया कि अधिकारी और कर्मचारी गरीबों का गेहूं उठा रहे थे.
खाद्य मंत्री ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा मंत्री ने करौली में कई अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड भी कर दिया. साथ ही विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिख दिया.
इसके बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और कार्रवाई के डर से प्रदेश के करीब 70 हजार कर्मचारियों या उनके परिवारों ने अपने नाम कटवाने के लिए आवेदन भी कर दिए हैं. दरअसल, आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो गरीबों के लिए साल 2013 में शुरू हुई एनएफएसए योजना में या तो खुद जुड़ गए या उनके परिवार उस में जुड़े रहे.
पढ़ें- अलवर के रामगढ़ में दो नाबालिग बहनों के साथ युवक ने की अश्लील हरकत, पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज
जबकि नियम यह है कि इसके तहत फायदा लेने वाला कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवा, अर्ध सरकारी सेवा या फिर स्वायत्तशासी संस्थाओं में अधिकारी-कर्मचारी नहीं होना चाहिए. आयकर दाता नहीं होना चाहिए और चौपाया वाहन धारक नहीं होना चाहिए या फिर ऐसे परिवार जिनकी कुल भूमि लघु कृषक योजना की निर्धारित सीमा से ज्यादा हो. शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्ती के अलावा जिनके पास 1000 वर्ग गज के व्यवसाई है या आवासीय परिसर पूरे परिवार के नाम हो. ऐसे लोगों को NFSA का लाभ नहीं मिल सकता.
वहीं, इस बारे में जानकारी मिलने के बाद मंत्री रमेश मीणा ने इसकी जांच के लिए शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को कहा. जिसके बाद से ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारी डर के मारे अपना नाम खुद ही कटवा रहे हैं.