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NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं खा रहे प्रदेश के सरकारी कर्मचारी, खाद्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश - Jaipur News

सरकारी कर्मचारी, अर्ध सरकारी कर्मचारी और संविदा पर लगे कर्मचारियों की ओर से NFSA के तहत मिलने वाले गेहूं का लाभ लेने की शिकायत के बाद खाद्य मंत्री ने कार्रवाई करते हुए कई कर्मचारियों को सस्पेंड किया है साथ ही विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं.

NFSA के तहत मिलने वाला गेहूं, Wheat found under NFSA
रमेश मीणा
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Published : Jan 10, 2020, 10:07 PM IST

जयपुर. NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी, अर्ध सरकारी कर्मचारी और संविदा पर लगे कर्मचारी उठा रहे थे. ऐसी शिकायत खाद्य मंत्री रमेश मीणा को जनसुनवाई के दौरान कई बार मिली. जिसे लेकर मंत्री ने जब अपने स्तर पर जांच कराई तो सामने आया कि अधिकारी और कर्मचारी गरीबों का गेहूं उठा रहे थे.

खाद्य मंत्री ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा मंत्री ने करौली में कई अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड भी कर दिया. साथ ही विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिख दिया.

NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं उठा रहे सरकारी कर्मचारी

इसके बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और कार्रवाई के डर से प्रदेश के करीब 70 हजार कर्मचारियों या उनके परिवारों ने अपने नाम कटवाने के लिए आवेदन भी कर दिए हैं. दरअसल, आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो गरीबों के लिए साल 2013 में शुरू हुई एनएफएसए योजना में या तो खुद जुड़ गए या उनके परिवार उस में जुड़े रहे.

पढ़ें- अलवर के रामगढ़ में दो नाबालिग बहनों के साथ युवक ने की अश्लील हरकत, पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज

जबकि नियम यह है कि इसके तहत फायदा लेने वाला कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवा, अर्ध सरकारी सेवा या फिर स्वायत्तशासी संस्थाओं में अधिकारी-कर्मचारी नहीं होना चाहिए. आयकर दाता नहीं होना चाहिए और चौपाया वाहन धारक नहीं होना चाहिए या फिर ऐसे परिवार जिनकी कुल भूमि लघु कृषक योजना की निर्धारित सीमा से ज्यादा हो. शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्ती के अलावा जिनके पास 1000 वर्ग गज के व्यवसाई है या आवासीय परिसर पूरे परिवार के नाम हो. ऐसे लोगों को NFSA का लाभ नहीं मिल सकता.

वहीं, इस बारे में जानकारी मिलने के बाद मंत्री रमेश मीणा ने इसकी जांच के लिए शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को कहा. जिसके बाद से ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारी डर के मारे अपना नाम खुद ही कटवा रहे हैं.

जयपुर. NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी, अर्ध सरकारी कर्मचारी और संविदा पर लगे कर्मचारी उठा रहे थे. ऐसी शिकायत खाद्य मंत्री रमेश मीणा को जनसुनवाई के दौरान कई बार मिली. जिसे लेकर मंत्री ने जब अपने स्तर पर जांच कराई तो सामने आया कि अधिकारी और कर्मचारी गरीबों का गेहूं उठा रहे थे.

खाद्य मंत्री ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा मंत्री ने करौली में कई अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड भी कर दिया. साथ ही विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिख दिया.

NFSA के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं उठा रहे सरकारी कर्मचारी

इसके बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और कार्रवाई के डर से प्रदेश के करीब 70 हजार कर्मचारियों या उनके परिवारों ने अपने नाम कटवाने के लिए आवेदन भी कर दिए हैं. दरअसल, आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो गरीबों के लिए साल 2013 में शुरू हुई एनएफएसए योजना में या तो खुद जुड़ गए या उनके परिवार उस में जुड़े रहे.

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जबकि नियम यह है कि इसके तहत फायदा लेने वाला कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवा, अर्ध सरकारी सेवा या फिर स्वायत्तशासी संस्थाओं में अधिकारी-कर्मचारी नहीं होना चाहिए. आयकर दाता नहीं होना चाहिए और चौपाया वाहन धारक नहीं होना चाहिए या फिर ऐसे परिवार जिनकी कुल भूमि लघु कृषक योजना की निर्धारित सीमा से ज्यादा हो. शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्ती के अलावा जिनके पास 1000 वर्ग गज के व्यवसाई है या आवासीय परिसर पूरे परिवार के नाम हो. ऐसे लोगों को NFSA का लाभ नहीं मिल सकता.

वहीं, इस बारे में जानकारी मिलने के बाद मंत्री रमेश मीणा ने इसकी जांच के लिए शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को कहा. जिसके बाद से ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारी डर के मारे अपना नाम खुद ही कटवा रहे हैं.

Intro:एनएफएसए के तहत गरीबों का गेहूं खा रहे थे प्रदेश के डेढ़ लाख सरकारी कर्मचारी अधिकारी जिलों में जनसुनवाई में आया मामला सामने तो खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने करवा दी जांच कहां पर हुई कार्रवाई तो करीब 70000 कर्मचारी अधिकारी या उनके परिवारों ने नाम कटवाने के लिए कर दिया आवेदन


Body:एनएफएसए के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी अप सरकारी कर्मचारी और संविदा पर लगे कर्मचारी उठा रहे थे रमेश मीणा जिलों में जनसुनवाई करने पहुंचे तो उन्हें इसकी शिकायत मिली जिसके बाद मंत्री ने पहले अपने स्तर पर जांच कराई तो सामने आया कि एनएफएसए के तहत सरकारी कर्मचारी अधिकारी को दिया उनके परिवार ही एनएफएसए के तहत गरीबों को मिलने वाला गेहूं उठा रहे थे इसके बाद खाद्य मंत्री रमेश मीणा सक्रिय हो गए और इसकी जांच के आदेश दे दिए रमेश मीणा ने करौली में तो कई अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड भी कर दिया और विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिख दिया इसके बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और कार्रवाई के डर से प्रदेश के करीब 70000 कर्मचारियों या उनके परिवारों ने अपने नाम कटवाने के लिए आवेदन भी कर दिए हैं दरअसल आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो गरीबों के लिए साल 2013 में शुरू हुई एनएफएसए योजना में या तो खुद जुड़ गए या उनके परिवार उस में जुड़े रहे जबकि नियम यह है कि इसके तहत फायदा लेने वाला कोई भी जो व्यक्ति नहीं हो सकता जिसका परिवार का सदस्य सरकारी सेवा अर्थ सरकारी सेवा या फिर स्वायत्तशासी संस्थाओं में अधिकारी-कर्मचारी है आयकर दाता है चौपाया वाहन धारक हो या फिर ऐसे परिवार जिनकी कुल भूमि लघु कृषक योजना की निर्धारित सीमा से ज्यादा हो वहीं शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्ती के अलावा जिनके पास 1000 वर्ग गज के व्यवसाई है या आवासीय परिसर पूरे परिवार के नाम इसके बारे में जानकारी मिलने के बाद मंत्री रमेश मीणा ने इसकी जांच के लिए शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को कहा जिसके बाद अब यह सरकारी कर्मचारी अधिकारी डर के मारे अपना नाम खुद ही कटवा रहे हैं
बाइट रमेश मीणा खाद्य मंत्री राजस्थान


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