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प्रदेश में किसानों को फिर जूझना पड़ेगा यूरिया किल्लत से, सरकार के पास नहीं पर्याप्त भंडारण - किसान

प्रदेश में किसानों को एक बार फिर यूरिया की किल्लत से दो चार होना पड़ सकता है. सूत्रों के अनुसार सरकार के पास यूरिया का पर्याप्त भंडारण नहीं है. प्रदेश में 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ेगी. लेकिन विभाग के पास 5.50 लाख मीट्रिक टन ही उपलब्ध है.

सरकार के पास नहीं पर्याप्त भंडारण
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Published : Jul 2, 2019, 4:45 PM IST

जयपुर. प्रदेश में प्री मानसून की बरसात के साथ ही किसान अपने खेतों में फसल की बुवाई करने में जुटा है. ऐसे में फसलों को खाद की भी जरूरत होगी. लेकिन किसानों को एक बार फिर यूरिया की किल्लत से जूझना पड़ सकता है. सूत्रों के अनुसार प्रदेश में किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया का भंडारण नहीं है. प्रदेश में 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ेगी. लेकिन विभाग के पास 5.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध है.

प्रदेश में किसानों को फिर जूझना पड़ेगा यूरिया किल्लत से, सरकार के पास नहीं पर्याप्त भंडारण

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि निश्चित दर और निश्चित समय पर यूरिया किसानों को मिलना चाहिए. वह सरकार किसानों को नहीं दे पा रही है. जाट ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ होने की बात कहती है लेकिन उसे कृषि और किसान की कोई चिंता नहीं है. इस बार तो किसान को सस्ता ऋण देने में भी विलंब कर दिया. जिसके कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

रामपाल जाट ने कहा कि हम बरसों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह यूरिया के कट्टे पर एमआरपी की जगह कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन लिखे. लेकिन सरकार उनकी बात नहीं मान रही है. उन्होंने कहा कि किसान को मालूम होना चाहिए कि एक यूरिया के कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन में कितना खर्चा आता है और सरकार कितना ले रही है. जब सरकार किसान हितैषी होने की बात कहती है तो उसे किसान को यूरिया की कीमत बताने में क्या दिक्कत आ रही है.

रामपाल जाट ने कहा कि राजनीति करने वाले लोगों, कृषि सामग्रियों का व्यापार करने वाले और अधिकारियों का गठजोड़ कृषि और किसानों को पीछे धकेल रहा है. रामपाल जाट ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम तो नहीं मिल रहा है. साथ ही खेती-बाड़ी के लिए सामग्री भी सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जाट ने कहा कि सरकारी ही व्यापारियों को किसानों का शोषण करने का मौका देती है और चुनाव में उन्हीं व्यापारियों से चंदा लेती है.

जयपुर. प्रदेश में प्री मानसून की बरसात के साथ ही किसान अपने खेतों में फसल की बुवाई करने में जुटा है. ऐसे में फसलों को खाद की भी जरूरत होगी. लेकिन किसानों को एक बार फिर यूरिया की किल्लत से जूझना पड़ सकता है. सूत्रों के अनुसार प्रदेश में किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया का भंडारण नहीं है. प्रदेश में 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ेगी. लेकिन विभाग के पास 5.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध है.

प्रदेश में किसानों को फिर जूझना पड़ेगा यूरिया किल्लत से, सरकार के पास नहीं पर्याप्त भंडारण

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि निश्चित दर और निश्चित समय पर यूरिया किसानों को मिलना चाहिए. वह सरकार किसानों को नहीं दे पा रही है. जाट ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ होने की बात कहती है लेकिन उसे कृषि और किसान की कोई चिंता नहीं है. इस बार तो किसान को सस्ता ऋण देने में भी विलंब कर दिया. जिसके कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

रामपाल जाट ने कहा कि हम बरसों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह यूरिया के कट्टे पर एमआरपी की जगह कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन लिखे. लेकिन सरकार उनकी बात नहीं मान रही है. उन्होंने कहा कि किसान को मालूम होना चाहिए कि एक यूरिया के कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन में कितना खर्चा आता है और सरकार कितना ले रही है. जब सरकार किसान हितैषी होने की बात कहती है तो उसे किसान को यूरिया की कीमत बताने में क्या दिक्कत आ रही है.

रामपाल जाट ने कहा कि राजनीति करने वाले लोगों, कृषि सामग्रियों का व्यापार करने वाले और अधिकारियों का गठजोड़ कृषि और किसानों को पीछे धकेल रहा है. रामपाल जाट ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम तो नहीं मिल रहा है. साथ ही खेती-बाड़ी के लिए सामग्री भी सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जाट ने कहा कि सरकारी ही व्यापारियों को किसानों का शोषण करने का मौका देती है और चुनाव में उन्हीं व्यापारियों से चंदा लेती है.

Intro:जयपुर। प्रदेश के किसानों को एक बार फिर यूरिया की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया का भंडारण नहीं है। किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई भी शुरू कर दी है अब इसके लिए यूरिया की PPआ को 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ेगी लेकिन विभाग के पास 5.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध है। आपको बता दें कि पिछले साल भी किसानों को यूरिया की किल्लत से दो चार होना पड़ा था और उन्हें अधिक पैसे देLकर यूरिया लेना पड़ा था।


Body:इस मानसून के दौरान खरीफ की फसल में बाजरा, मूंग, उड़द, सोयाबीन, मक्का, ज्वार आदि की बुवाई शुरू हो चुकी है और इसके लिए यूरिया की जरूरत किसानों को होगी। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि निश्चित दर पर और निश्चित समय पर यूरिया किसानों को मिलना चाहिए। वह सरकार किसानों को नहीं दे पा रही है। जाट ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ होने की बात तो कहती है लेकिन वह कृषि व्यापार की चिंता में ही रत रहती है। उसे कृषि और किसान की कोई चिंता नहीं है अबकी बार तो किसान ने सस्ते ऋण देने में भी विलंब कर दिया जिसके कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रामपाल जाट ने कहा कि हम बरसों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह यूरिया के कट्टे पर एमआरपी की जगह कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन (cop) लिखे, लेकिन सरकार उनकी बात नहीं मान रही है उन्होंने कहा कि किसान को पता होना चाहिए कि एक यूरिया के कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन में कितना खर्चा आता है और सरकार हमसे कितना पैसा ले रही है। जब सरकार किसान हितेषी होने की बात कहती है तो उसे किसान को यह बताने में कहां दिक्कत है कि यूरिया की कीमत कितनी आ रही है।


Conclusion:किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि राजनीति करने वाले लोगो, कृषि सामग्रियों का व्यापार करने वाले और अधिकारियों का एक गठजोड़ है और यह गठजोड़ कृषि और किसानों को पीछे धकेल रहा है। रामपाल जाट ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम तो नहीं मिल रहा है साथ ही खेती-बाड़ी के लिए सामग्री भी सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
विधानसभा चुनाव के दौरान किसान सुबह से दोपहर तक किसान अपने परिवार के साथ लाइन में लगे रहते थे उसके बावजूद भी उन्हें एक कट्टा ही यूरिया का मिल पाता था कुछ ऐसे किसान भी थे जिन्हें घंटों लाइन में लगने के बाद भी यूरिया नहीं मिल पा रहा था।
रामपाल जाट ने कहा कि केंद्र सरकार का विज्ञापन भी चर्चा का विषय बना था इस विज्ञापन में कहा गया था कि किसानों को यूरिया के लिए डंडे नहीं खाने पड़ेंगे और उनको अपमानित नही होना पड़ेगा । इसके बावजूद भी किसानों को यूरिया के लिए डंडे खाने पड़े थे।
रामपाल जाट ने कहा कि किसान बुवाई से चूक जाता है तो वह 12 महीने की कमाई से वंचित हो जाता है इसलिए वह समय पर बुवाई करता है और यूरिया के लिए कहीं से भी पैसे की व्यवस्था करके यूरिया खरीदता है। जाट ने कहा कि सरकारी ही व्यापारियों को किसानों का शोषण करने का मौका देती है और जब चुनाव आते हैं तो उन व्यापारियों से चंदा लेती है।


बाईट किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट
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