जयपुर. प्रदेश में प्री मानसून की बरसात के साथ ही किसान अपने खेतों में फसल की बुवाई करने में जुटा है. ऐसे में फसलों को खाद की भी जरूरत होगी. लेकिन किसानों को एक बार फिर यूरिया की किल्लत से जूझना पड़ सकता है. सूत्रों के अनुसार प्रदेश में किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया का भंडारण नहीं है. प्रदेश में 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ेगी. लेकिन विभाग के पास 5.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध है.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि निश्चित दर और निश्चित समय पर यूरिया किसानों को मिलना चाहिए. वह सरकार किसानों को नहीं दे पा रही है. जाट ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ होने की बात कहती है लेकिन उसे कृषि और किसान की कोई चिंता नहीं है. इस बार तो किसान को सस्ता ऋण देने में भी विलंब कर दिया. जिसके कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
रामपाल जाट ने कहा कि हम बरसों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह यूरिया के कट्टे पर एमआरपी की जगह कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन लिखे. लेकिन सरकार उनकी बात नहीं मान रही है. उन्होंने कहा कि किसान को मालूम होना चाहिए कि एक यूरिया के कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन में कितना खर्चा आता है और सरकार कितना ले रही है. जब सरकार किसान हितैषी होने की बात कहती है तो उसे किसान को यूरिया की कीमत बताने में क्या दिक्कत आ रही है.
रामपाल जाट ने कहा कि राजनीति करने वाले लोगों, कृषि सामग्रियों का व्यापार करने वाले और अधिकारियों का गठजोड़ कृषि और किसानों को पीछे धकेल रहा है. रामपाल जाट ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम तो नहीं मिल रहा है. साथ ही खेती-बाड़ी के लिए सामग्री भी सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जाट ने कहा कि सरकारी ही व्यापारियों को किसानों का शोषण करने का मौका देती है और चुनाव में उन्हीं व्यापारियों से चंदा लेती है.