जयपुर. जेल सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने जेल विकास बोर्ड का गठन कर दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बोर्ड के चेयरमैन होंगे. वहीं, यह बोर्ड जिलों में औद्योगिक विकास करने कैदियों के रोजगार पर कार्यक्रमों के पुनर्वास कल्याण का काम करेगा.
बता दें कि सीएम गहलोत के साथ इस बोर्ड में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग के मुख्य सचिव, विधि विभाग के प्रमुख शासन सचिव, राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, पुलिस महानिदेशक कारागार, निदेशक अभियोजन, सेवानिवृत्त आईएएस एसएस बिस्सा, गीता बरवड़, उपदेशक उद्योग जेल और महानिरीक्षक कारागार इसके सदस्य होंगे. वहीं, यह बोर्ड जेलों के औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास करने पर काम करेग. इसके साथ ही कैदियों के रोजगार पर कार्यक्रमों पुनर्वास कल्याण का काम भी देखेगा.
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दरअसल राजस्थान में छोटी-बड़ी 127 जेल हैं. इनमें 14 सेंट्रल जेल, 24 जिला जेल, 60 सब जेल और 29 खुली जेल है. इन जिलों में 20 हजार से ज्यादा सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल के कैदी बंद हैं. इन जेलों में बंद कैदियों के मानव अधिकारों की रक्षा को लेकर पहले भी कई बार सवाल खड़े होते रहे और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी जेलों में बंद कैदियों के मानव अधिकारों की रक्षा को लेकर 3 पूर्व जजों की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. इसमें कहा गया था कि देश की 1382 जेलों में कैदियों की मानवीय स्थिति है. राजस्थान में भी जेल में बंद कैदियों के मानव अधिकारों को लेकर सामाजिक संगठनों ने भी इसको लेकर आंदोलन किया था. ऐसे में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जेल बोर्ड का गठन किया है.