जयपुर. दिवाली के अगले दिन यानी सोमवार को कार्तिक मास की शुक्ल को गोवर्धन पूजन किया जाता है. इस दिन गोवर्धन और गाय की विशेष पूजा की जाती है. जिसका अपना एक खास महत्व है. इसके साथ ही देवालयों में भगवान को भांति-भांति के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा. वहीं मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होगी. साथ ही बही खाता, चोपड़ा का पूजन कर सभी उन्नति और प्रगति की कामना की जाएगी.
पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि छोटी काशी जयपुर में दीपोत्सव के बाद अलसुबह से ही महिलाएं घर के द्वार पर गौमाता के गोबर का गोवर्धन बनाकर पूजा करती है. शास्त्रों के अनुसार गाय के गोबर से बने गोवर्धन के शिखर प्रयुक्त, वृक्ष शाखादि से युक्त और पुष्पदि से सुशोभित करने का विधान है.
हालांकि, जयपुर में कई जगह पर गोवर्धन को मनुष्य के आकार का बनाया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है. वहीं इस दिन को अन्नकूट पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में प्रसाद बना कर भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है. साथ ही व्यापारी अपनी दुकानों और बही खातों की भी पूजा करते हैं. जयपुर के अक्षरधाम मंदिर में भी श्रद्धालु बही खातों, चोपड़ा का पूजन कर सभी उन्नति और प्रगति की कामना के साथ प्रार्थना करेंगे.
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बता दें कि सुबह 8 बजे से 10 बजे तक सामूहिक बही खाता पूजन और लक्ष्मी पूजन किया जाएगा तो वहीं दोपहर 1 बजे गोवर्धन पूजा और अन्नकूट दर्शन होंगे. जिसमें राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, दक्षिण भारतीय सहित अन्य 801 व्यंजनों का भोग ठाकुरजी को लगाया जाएगा. उसके बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में इसे वितरित किया जाएगा.