जयपुर. देशभर में कोरोना का कहर बना हुआ है. जिसके चलते सभी सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम भी बंद हो गए हैं. ऐसे में डेयरियों में बना हुआ घी भी पड़े-पड़े बर्बाद हो रहा है. करोड़ों रुपए के घी का स्टॉक कम दामों में खपाने की तैयारियां भी लगातार इस समय डेयरी प्रशासन में सुर्खियों में बनी हुई है.
स्थिति यह है कि समय रहते घी की बिक्री नहीं हुई, तो करीब 350 करोड़ रुपए से अधिक का घी भी खराब हो सकता है. हालांकि लगातार मीडिया में घी खराब होने की खबरें भी आ रही हैं, लेकिन डेयरी प्रशासन के अधिकारियों के कान पर जूं भी नहीं रेंग रही और अधिकारी घी को खपाने की तैयारी भी नहीं कर रहे. ऐसे में अब डेयरी प्रशासन को कहीं ना कहीं नुकसान होना तय है.
लॉकडाउन में नहीं हुए सामाजिक कर्यक्रम
दरअसल, दिसंबर-जनवरी महीने में अमूमन राज्य भर की जिला डेयरी घी का उत्पादन करती है. इस बार करोना का संकट खड़ा होने से लॉकडाउन लग गया और सामाजिक धार्मिक व्यवस्था, कार्यक्रम, होटल, रेस्टोरेंट सब बंद हो गए. जिसकी वजह से घी की बिक्री पर रोक लग गई. ऐसे में अब जिला संघों में घी का स्टॉक बढ़ गया है और अब घी खराब होने की कगार पर है.
बात करें आंकड़े की तो राज्य भर के जिला संघों में वर्तमान में 6 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा ही खराब होने की स्थिति में है. खासकर जयपुर डेयरी में अन्य के मुकाबले सर्वाधिक स्टॉक है.
अधिकारियों के फूले हाथ-पांव
वहीं दूसरी और राजस्थान को ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूले हुए हैं. सभी इसके निस्तारण को लेकर जुटे हुए हैं. इस मामले में RCDF और डेयरी प्रशासन दोनों एक दूसरे को कोसते भी नजर आ रहे हैं. डेयरी अधिकारियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि घी दिसंबर से जनवरी के बीच बना हुआ है, अगर जल्द बिक्री नहीं हुई तो खराब हो जाएगा. इसकी ठीक रहने की अवधि उत्पादन के 9 महीने तक रहती है और अक्टूबर के बाद यह घी खराब हो जाएगा.
कहां जमा, कितना स्टॉक
- जयपुर डेयरी -5000 मीट्रिक टन
- अजमेर डेयरी -1000 मीट्रिक टन
- भीलवाड़ा डेयरी- 600 मीट्रिक टन
- कोटा डेयरी- 300 मीट्रिक टन
- अलवर डेयरी- 300 मीट्रिक टन
- चित्तौड़गढ़ डेयरी- 400 मीट्रिक टन
- उदयपुर डेयरी -200 मीट्रिक टन
- श्रीगंगानगर डेयरी -150 मीट्रिक टन