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अक्षय ऊर्जा परियोजना के लिए बनेगा जियो मेंपिंग आधारित डेटा बैंक, चिन्हित होगी चंक ऑफ लैंड-एसीएस डॉ. अग्रवाल - Renewable energy capacity in Rajasthan

ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल का कहना है कि राज्य में अक्षय ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए जियो मेंपिंग आधारित डेटा बैंक (Geo Mapping data bank for renewable energy) तैयार किया जाएगा. इसके अंतर्गत सभी जिलों में उपलब्ध चंक ऑफ लैंड चिन्हित की जाएगी. इस संबंध में जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर विस्तार से कार्ययोजना भेजी गई है.

Geo Mapping data bank for renewable energy
Geo Mapping data bank for renewable energy
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Published : Feb 2, 2022, 7:19 PM IST

जयपुर. राज्य में अक्षय ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए जियो मेंपिंग आधारित डेटा बैंक तैयार किया जाएगा. इसके जरिए सभी जिलों में उपलब्ध चंक ऑफ लैंड चिन्हित की जाएगी. इस संबंध में जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर विस्तार से कार्ययोजना भेजी गई है. यह जानकारी ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल ने दी. उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश के सभी संभावित स्थानों पर समन्वित निवेश व रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे.

डॉ. अग्रवाल बुधवार को अक्षय ऊर्जा निगम में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ले रहे थे. उन्होंने बताया कि अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए सोलर प्लांटों व सोलर पार्कों की स्थापना के लिए राजस्थान सबसे पंसदीदा प्रदेश बन गया है. राज्य में 2024-25 तक 37.5 गीगावाट क्षमता के प्लांटों की स्थापना के लक्ष्य को और अधिक बढ़ाकर देश के राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा लक्ष्य 500 गीगावाट हासिल करने के लिए प्रदेश में और अधिक क्षमता विकसित करने की संभावनाओं पर कार्य किया जा रहा है. गौरतलब है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान सर्वाधिक संभावनाओं वाला प्रदेश है.

पढ़ें: राजस्थान में ग्रीन हाइड्रो एनर्जी को मिलेगा बढ़ावा, बनेगी हाइड्रो एनर्जी निवेशोन्मुखी नीति

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस समय प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 14.5 गीगावाट क्षमता विकसित हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास और कार्ययोजना 2024-25 के लक्ष्य को समयपूर्व हासिल करने की है. इसके साथ ही इस तरह की कार्ययोजना बनाई जा रही है कि प्रदेश में इससे कहीं अधिक अक्षय ऊर्जा क्षमता विकसित हो सके. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं व सोलर पार्क विकसित करने के लिए अड़ानी, ग्रीनको जैसे बड़े निवेशकों ने रुचि दिखाई है. भारत सरकार के उपक्रम भी राज्य सरकार के साथ मिलकर इस क्षेत्र में भागीदार बनने के इच्छुक हैं. प्रदेश में संभावित क्षेत्रों में समन्वित विकास की दृष्टि से सभी जिलों में भूमि उपलब्धता व संभावना को तलाशा जा रहा है.

पढ़ें: राजस्थान में अक्षय ऊर्जा की 40 गीगावाट परियोजना की संभावना: प्रो. एजी अय्यर

डॉ. अग्रवाल ने राज्य की बायोमॉस नीति (Biomass policy in Rajasthan) को समयानुकूल बनाने की आवश्यकता बताई. उन्होंने कहा कि बायोमॉस के क्षेत्र में भी संभावित निवेशकों को आगे लाने के प्रयास किए जाएं. राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के निदेशक पीएस सक्सेना ने बायोमॉस के संदर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी दी. बैठक में निदेशक तकनीकी एनएस निर्वाण, निदेशक वित्त ललित वर्मा, ओएसडी नवीन शर्मा, सीएस गजल आदि ने विस्तार से विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी.

जयपुर. राज्य में अक्षय ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए जियो मेंपिंग आधारित डेटा बैंक तैयार किया जाएगा. इसके जरिए सभी जिलों में उपलब्ध चंक ऑफ लैंड चिन्हित की जाएगी. इस संबंध में जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर विस्तार से कार्ययोजना भेजी गई है. यह जानकारी ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल ने दी. उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश के सभी संभावित स्थानों पर समन्वित निवेश व रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे.

डॉ. अग्रवाल बुधवार को अक्षय ऊर्जा निगम में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ले रहे थे. उन्होंने बताया कि अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए सोलर प्लांटों व सोलर पार्कों की स्थापना के लिए राजस्थान सबसे पंसदीदा प्रदेश बन गया है. राज्य में 2024-25 तक 37.5 गीगावाट क्षमता के प्लांटों की स्थापना के लक्ष्य को और अधिक बढ़ाकर देश के राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा लक्ष्य 500 गीगावाट हासिल करने के लिए प्रदेश में और अधिक क्षमता विकसित करने की संभावनाओं पर कार्य किया जा रहा है. गौरतलब है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान सर्वाधिक संभावनाओं वाला प्रदेश है.

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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस समय प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 14.5 गीगावाट क्षमता विकसित हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास और कार्ययोजना 2024-25 के लक्ष्य को समयपूर्व हासिल करने की है. इसके साथ ही इस तरह की कार्ययोजना बनाई जा रही है कि प्रदेश में इससे कहीं अधिक अक्षय ऊर्जा क्षमता विकसित हो सके. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं व सोलर पार्क विकसित करने के लिए अड़ानी, ग्रीनको जैसे बड़े निवेशकों ने रुचि दिखाई है. भारत सरकार के उपक्रम भी राज्य सरकार के साथ मिलकर इस क्षेत्र में भागीदार बनने के इच्छुक हैं. प्रदेश में संभावित क्षेत्रों में समन्वित विकास की दृष्टि से सभी जिलों में भूमि उपलब्धता व संभावना को तलाशा जा रहा है.

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डॉ. अग्रवाल ने राज्य की बायोमॉस नीति (Biomass policy in Rajasthan) को समयानुकूल बनाने की आवश्यकता बताई. उन्होंने कहा कि बायोमॉस के क्षेत्र में भी संभावित निवेशकों को आगे लाने के प्रयास किए जाएं. राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के निदेशक पीएस सक्सेना ने बायोमॉस के संदर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी दी. बैठक में निदेशक तकनीकी एनएस निर्वाण, निदेशक वित्त ललित वर्मा, ओएसडी नवीन शर्मा, सीएस गजल आदि ने विस्तार से विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी.

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