जयपुर. मीणा और मीना सरनेम विवाद को खत्म करने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार केंद्र सरकार को पत्र लिखेगी. जिसमें गहलोत सरकार इस पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करेगी कि राजस्थान में मीणा और मीना विवाद नहीं है. यह दोनों जातियां एक है सिर्फ स्पेलिंग के अंतर होने की वजह से यह कंफ्यूजन क्रिएट हो रहा है.
-
राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा एक ही मान इस विवाद को खत्म करने के लिये फिर से पत्र लिखेगी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 21, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
5/
">राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा एक ही मान इस विवाद को खत्म करने के लिये फिर से पत्र लिखेगी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 21, 2020
5/राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा एक ही मान इस विवाद को खत्म करने के लिये फिर से पत्र लिखेगी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 21, 2020
5/
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसिक्यूटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. इसमें मीना जाति वाले अभ्यर्थियों को अनुसूचित जनजाति मानकर आरक्षण का लाभ के लिए योग्य माना गया है. जबकि मीणा करनेम वाले अभ्यर्थियों को योग्य नहीं माना गया है. राजस्थान में मीना और मीणा दोनों सरनेम वाले लोगों को अनुसूचित जन जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाते रहे. इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में भी कई रिट याचिकाएं डाली गई. जिस पर मुख्य सचिव राजस्थान सरकार ने शपथपत्र देकर स्पष्ट किया है कि मीणा और मीना दोनों की एक जाति है. इसमें केवल स्पेलिंग का अंतर है.
यह भी पढ़ें. पंजाब के बाद अब राजस्थान भी लाएगा केंद्र सरकार के किसान बिलों को प्रभावहीन करने के लिए विधेयक
सीएम ने कहा कि राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है. राज्य सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीणा और मीना एक ही मान कर विवाद खत्म करने के लिए फिर से केंद्र सरकार को पत्र लिखेगी. सीएम ने कहा कि मीणा और मीना विवाद को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के लिए 2018 में केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय को पत्र लिखा था. जिसका अभी तक केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.