जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने 2021-22 के बजट की तैयारियां शुरू कर दी है. फरवरी के दूसरे सप्ताह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बतौर वित्त मंत्री वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे. इस बजट में कोरोना काल को देखते हुए बहुत कुछ नया देखने को मिल सकता है.
बता दें, सरकार के 2021-22 बजट की तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बारी-बारी से सभी विभागों के साथ बीएफसी की बैठकें शुरू कर दी है. निरंजन आर्य वित्त विभाग का जिम्मा संभाल चुके हैं. ऐसे में उनके वित्त का एक अनुभव भी है. साथ ही राज्य के आर्थिक हालातों की जानकारी भी है. ऐसे में विभागों से सरकार की बजट घोषणाओं की क्रियान्विति की समीक्षा के साथ वर्ष 2021-22 के बजट पर भी विभागों से आय व्यय की सूचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
बजट विशेषज्ञों की मानें तो सरकार के सामने कोरोना काल में आर्थिक स्थिति सुधारने और आम जनता को आर्थिक राहत पर इस बजट में फोकस करना होगा. बजट तैयारियों को लेकर मैराथन मीटिंग हो रही है. विभागीय योजनाओं की समयबद्ध प्रगति सुनिश्चित करने के लिए विभाग वार रिपोर्ट मांगी गई है.
बजट एक्सपर्ट पंकज घीया बताते हैं कि कोरोना काल के इस दौर में सरकार को स्टेट का बजट पेश करते वक्त ना केवल प्रदेश की आर्थिक हालातों को ठीक करना होगा, बल्कि सभी वर्ग को ध्यान में रखते हुए बजट पेश करना होगा. खास तौर पर उन छोटे व्यापारियों पर सरकार को विशेष फोकस करना होगा. जिनका कोरोना काल में व्यापार ठप हो गय. उन्हीं को ध्यान में रखते हुए बजट घोषणा होनी चाहिए.
पंकज घीया ने बताया कि इस बजट में इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्किम, नई इंडस्ट्री और वर्तमान इंडस्ट्रीज को रियायत दी जा सकती है. ट्रेडिंग, सर्विस सेक्टर, स्पेशल स्किम पर ध्यान रखना होगा. उन्होंने बताया कि खास कर रियल स्टेट को लेकर कुछ बड़े निर्णय लेने होंगे. जिससे इन सेक्टरों को बूस्ट किया जा सके. रियल स्टेट से अलग-अलग तरह से लोगों का काम धंधा चलता है. रियलस्टेट में बूम आएगा तो बाजार की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
बजट एक्सपर्ट का कहना है कि छोटे मकानों को रेगुलराइज करना होगा, जिससे सरकार को आर्थिक लाभ मिलेगा. मकान में दुकान को अनुमति देनी होगी, जिससे लॉकडाउन की वजह से जिनके काम धंधों पर असर पड़ा है, वो अपने छोटे-छोटे व्यापार शुरू कर सके. इसके साथ ही बिजली की दर में चाहें वो घरेलू हो या वाणिज्यिक इनमें छूट दी जानी चाहिए.
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घीया ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकार के पास रेवेन्यू जनरेट करने का कोई ज्यादा स्कोप नहीं बचता है. लेकिन जो कुछ थोड़ा बहुत है, उनकी दरों में वृद्धि की जा सकती. हालांकि, उन सभी में राज्य सरकार पहले से ही अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में ज्यादा लिया जा रहा है. शराब की दरों में वृद्धि की जा सकती है.
माइनिंग लीज दरों में वृद्धि की जा सकती. वहीं, उन्होंने बताया कि सरकार को एकमुश्त जीएसटी जमा कराने वाले व्यापारियों को लिए प्रोत्साहन राशि स्किम लानी चाहिए, जिससे स्टेट का रेवन्यू बढ़ सके.