जयपुर. प्रदेश में गुर्जर आंदोलन की आग तेज हो गई है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 1 नवंबर से आंदोलन की घोषणा कर दी है. आंदोलन की चेतावनी के साथ प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरीके से एक्शन मोड में आ गई है. सरकार ने जहां गुर्जर बाहुल्य जिलों इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है, वहीं अब सरकार इन जिलों में रासुका लगाने की तैयारी में है. जिला कलेक्टरों की सिफारिश पर गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया है. अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हरी झंडी मिलने के साथ ही संबंधित जिला कलेक्टरों को रासुका लगाने की पावर्स दे दी जाएगी.
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दरअसल गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के आंदोलन की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने सभी गुर्जर बाहुल्य जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं. ब्यूरोक्रेसी के 25 से अधिक अधिकारियों को इन जिलों में तैनात कर दिया है. पुलिस टीम को भी अलर्ट मोड़ रहने को कहा है. इस बीच सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश में गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में रासुका लगाने की तैयारी में भी है. भरतपुर जिला कलेक्टर सहित अन्य जिलों से आए रासुका के प्रस्ताव को गृह विभाग ने एग्जामिन करने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हरी झंडी मिलने के साथ ही संबंधित जिलों के जिला कलेक्टर को रासुका लगाने की पावर दे दी जाएगी.
क्या है रासुका
रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980. जैसा कि नाम से थोड़ा बहुत समझ में आ रहा होगा कि कानून में देश की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान किए गए हैं या केंद्र सरकार राज्य सरकार को पूर्ण शक्तियां प्राप्त है कि यदि देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की आशंका है या ऐसा कुछ भी किए जाने का पूर्ण विश्वास है, ऐसी स्थिति में देश-प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा में बाधा पड़ सकती है, देश सुचारू रूप से चलाने में बाधित हो सकता है. ऐसे में रासुका के तहत गिरफ्तार किए जाने का प्रावधान है. प्रदेश में डॉक्टर आंदोलन के दौरान भी रासुका कानून लागू किया जा चुका है.