जयपुर. राजस्थान की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर-13 का सरकारी बंगला हमेशा सुर्खियों में रहता है. इस सरकारी बंगले को खाली कराने की मांग को लेकर पूर्व भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने आंदोलन तक किया, फिर कांग्रेस में शामिल हो गए.
वहीं, कांग्रेस के बागी विधायक और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस बंगले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर मिलीभगत का आरोप लगाया. वरिष्ठ पत्रकार और समाज सेवी मिलाप चंद डांडिया ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, अब गहलोत सरकार ने ये बंगला खाली ना हो, इसके लिए रास्ता निकाल लिया है.
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गहलोत सरकार ने 1 अगस्त 2020 को दो अलग-अलग अधिसूचना जारी करके चार सरकारी बंगलों के आवंटन का अधिकार विधानसभा की आवास समिति को दे दिया है. अब तक ये बंगले राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन आते थे. साथ ही ये नियम बना दिया है कि ये चारों सरकारी आवास किसे आवंटित हो सकेंगे.
इनमें सिविल लाइंस स्थित 13 नंबर बंगले में वसुंधरा राजे रह रही हैं. वहीं, सी-स्कीम के भगत सिंह मार्ग स्थित बंगला नंबर-2 महेंद्र जीत मालवीय, गांधी नगर का बंगला नंबर 21 और 24 महादेव सिंह खंडेला और नरेंद्र बुडानिया को आवंटित किया गया हैं. नरेंद्र बुडानिया और महेंद्र जीत मालवीय कांग्रेस विधायक है. वहीं, महादेव सिंह खंडेला निर्दलीय विधायक हैं.
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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री से बंगला खाली कराने के मामले में हाईकोर्ट में मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई गई है, जिस पर जल्द ही फैसला आने वाला है. वहीं, फैसले से पहले ही गहलोत सरकार ने नए नियमों में कुछ संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राहत दी है. साथ ही गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास और सुविधाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइन जारी की थी.