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'EVM का डेटा नष्ट न करें': सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को क्यों दिये ये निर्देश? - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि सत्यापन लंबित रहने तक ईवीएम से डेटा डिलीट या रीलोड न करें. क्या है पूरा मामला, पढ़िये.

EVM pending verifications
सांकेतिक तस्वीर. (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Feb 11, 2025, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग से कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से कोई भी डेटा डिलीट न करे. न ही सत्यापन लंबित रहने तक ईवीएम पर कोई डेटा फिर से लोड करे. यह बात उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गई जिसमें ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) के सत्यापन की अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट नेः भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता शामिल थे. पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से कहा, "कृपया डेटा मिटाएं नहीं और डेटा को फिर से लोड करें. किसी को बस जांच करने दें." एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा था. ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट के सत्यापन की अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

ADR के वकील की दलीलः सुनवाई के दौरान एडीआर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि ईसीआई एसओपी केवल ईवीएम के सत्यापन के लिए मॉक पोल आयोजित करता है, और इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल चाहते हैं कि किसी को ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि मशीन में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की आशंका है या नहीं. पीठ ने पूछा कि एक बार वोटों की गिनती हो जाने के बाद, क्या पर्चा ट्रेल मौजूद रहेगा या हटा दिया जाएगा? भूषण ने कहा कि पर्चा ट्रेल वहां होना चाहिए.

EC के वकील ने क्या कहाः वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पीठ के समक्ष ईसीआई का प्रतिनिधित्व किया. अप्रैल 2024 के फ़ैसले का हवाला देते हुए पीठ ने सिंह से कहा कि फ़ैसले में दिए गए निर्देशों का उद्देश्य ईवीएम में मतदान डेटा को मिटाना या फिर से लोड करना नहीं था. पीठ ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल मतदान के बाद ईवीएम का सत्यापन और जांच ईवीएम निर्माण कंपनी के इंजीनियर द्वारा किया जाना था. पीठ ने कहा कि ईवीएम डेटा को तुरंत नष्ट नहीं किया जाना चाहिए तथा इस बात पर जोर दिया कि उसके पहले के फैसले का यह आशय नहीं था.

ईवीएम के सत्यापन पर मांगा जवाबः सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम की जांच करने वाले इंजीनियर को यह प्रमाणित करने का पक्ष लिया कि किसी विशेष ईवीएम (माइक्रो कंट्रोलर, बर्न मेमोरी) से छेड़छाड़ नहीं की गई है. पीठ ने सुझाव दिया कि ऐसा तब हो सकता है जब कोई भी व्यक्ति, खासकर दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाला उम्मीदवार संदेह जताए. सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम के सत्यापन के अनुरोध की स्थिति में अपनाई गई प्रक्रिया पर भारत के निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा.

अगली सुनवाई कब होगीः पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को एक अन्य याचिकाकर्ता, जो हरियाणा चुनाव में हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवार हैं, की मांग पर भी जवाब देना चाहिए कि एक इंजीनियर को यह सत्यापित करना चाहिए कि माइक्रो-कंट्रोलर, बर्न मेमोरी के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है. पीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क पर भी चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा कि डेटा मिटा दिया गया था और फिर से लोड किया गया था. पीठ ने सुझाव दिया कि ईवीएम के सत्यापन की लागत को वर्तमान 40 हजार रुपये से कम किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि यह लागत बहुत अधिक है. सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च के तीसरे सप्ताह में चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.

EVM की बर्न्ट मेमोरी क्या होती है? बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है. इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. चुनाव आयोग के मुताबिक EVM में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) को वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्कड चिप (हार्डवेयर) में बर्न किया जाता है. इससे उस प्रोग्राम को पढ़ा नहीं जा सकता. इसके अलावा, प्रोग्राम को बदलकर दोबारा नहीं लिखा जा सकता. इस तरह EVM को किसी विशेष तरीके से दोबारा प्रोग्राम करने की कोई संभावना नहीं रहती.

इसे भी पढ़ेंः 'संसद और विधानमंडल में दोषी राजनेता कैसे वापस आ सकते हैं', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग से कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से कोई भी डेटा डिलीट न करे. न ही सत्यापन लंबित रहने तक ईवीएम पर कोई डेटा फिर से लोड करे. यह बात उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गई जिसमें ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) के सत्यापन की अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट नेः भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता शामिल थे. पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से कहा, "कृपया डेटा मिटाएं नहीं और डेटा को फिर से लोड करें. किसी को बस जांच करने दें." एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा था. ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट के सत्यापन की अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

ADR के वकील की दलीलः सुनवाई के दौरान एडीआर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि ईसीआई एसओपी केवल ईवीएम के सत्यापन के लिए मॉक पोल आयोजित करता है, और इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल चाहते हैं कि किसी को ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि मशीन में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की आशंका है या नहीं. पीठ ने पूछा कि एक बार वोटों की गिनती हो जाने के बाद, क्या पर्चा ट्रेल मौजूद रहेगा या हटा दिया जाएगा? भूषण ने कहा कि पर्चा ट्रेल वहां होना चाहिए.

EC के वकील ने क्या कहाः वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पीठ के समक्ष ईसीआई का प्रतिनिधित्व किया. अप्रैल 2024 के फ़ैसले का हवाला देते हुए पीठ ने सिंह से कहा कि फ़ैसले में दिए गए निर्देशों का उद्देश्य ईवीएम में मतदान डेटा को मिटाना या फिर से लोड करना नहीं था. पीठ ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल मतदान के बाद ईवीएम का सत्यापन और जांच ईवीएम निर्माण कंपनी के इंजीनियर द्वारा किया जाना था. पीठ ने कहा कि ईवीएम डेटा को तुरंत नष्ट नहीं किया जाना चाहिए तथा इस बात पर जोर दिया कि उसके पहले के फैसले का यह आशय नहीं था.

ईवीएम के सत्यापन पर मांगा जवाबः सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम की जांच करने वाले इंजीनियर को यह प्रमाणित करने का पक्ष लिया कि किसी विशेष ईवीएम (माइक्रो कंट्रोलर, बर्न मेमोरी) से छेड़छाड़ नहीं की गई है. पीठ ने सुझाव दिया कि ऐसा तब हो सकता है जब कोई भी व्यक्ति, खासकर दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाला उम्मीदवार संदेह जताए. सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम के सत्यापन के अनुरोध की स्थिति में अपनाई गई प्रक्रिया पर भारत के निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा.

अगली सुनवाई कब होगीः पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को एक अन्य याचिकाकर्ता, जो हरियाणा चुनाव में हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवार हैं, की मांग पर भी जवाब देना चाहिए कि एक इंजीनियर को यह सत्यापित करना चाहिए कि माइक्रो-कंट्रोलर, बर्न मेमोरी के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है. पीठ ने याचिकाकर्ता के इस तर्क पर भी चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा कि डेटा मिटा दिया गया था और फिर से लोड किया गया था. पीठ ने सुझाव दिया कि ईवीएम के सत्यापन की लागत को वर्तमान 40 हजार रुपये से कम किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि यह लागत बहुत अधिक है. सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च के तीसरे सप्ताह में चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.

EVM की बर्न्ट मेमोरी क्या होती है? बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है. इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. चुनाव आयोग के मुताबिक EVM में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) को वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्कड चिप (हार्डवेयर) में बर्न किया जाता है. इससे उस प्रोग्राम को पढ़ा नहीं जा सकता. इसके अलावा, प्रोग्राम को बदलकर दोबारा नहीं लिखा जा सकता. इस तरह EVM को किसी विशेष तरीके से दोबारा प्रोग्राम करने की कोई संभावना नहीं रहती.

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