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महंगी बिजली खरीद से घिरी गहलोत सरकार, अब बिजली खरीद के लिए फैला रही छोटे अनुबंध का दायरा - small contracts for power purchase

गहलोत सरकार महंगी बिजली खरीद के मामले में लगातार घिरती जा रही है. अब सरकार बिजली खरीद के लिए छोटे अनुबंध का दायरा फैलाए जाने की कवायद शुरू कर दी है. एनटीपीसी से 100 मेगावाट का अनुबंध किया गया है.

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Published : Mar 5, 2022, 9:05 AM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र (Rajasthan Assembly Budget Session) में लगातार महंगी बिजली खरीद के मामले में सरकार घिरती जा रही है. जिसके चलते अब बिजली खरीदने के लिए छोटे अनुबंध का दायरा फैलाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. ऊर्जा विकास निगम ने हाल ही में एनटीपीसी से 100 मेगावाट बिजली खरीदनी शुरू की है और अधिकारियों को अब इसी तर्ज पर आगे काम करने के निर्देश भी दिए हैं.

मौजूदा अनुबंध अधिकतम 1 साल तक का है, जिसके तहत 5 रुपये 34 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद हो रही है. फिलहाल बिजली की खरीद 20 मार्च तक होगी. हालांकि ऊर्जा विकास निगम ने भले ही लघु अवधि लिए अनुबंध किए हो लेकिन अब भी बिजली खरीद की दर अपेक्षाकृत सस्ती नहीं मानी जा सकती.

पढ़ें- सौर ऊर्जा में सिरमौर राजस्थान, लेकिन बिजली उपभोक्ताओं को रूफटॉप सोलर प्लांट पर भी नहीं मिल रही सब्सिडी

पूर्व में इस तरह खरीदी गई थी महंगी बिजली- कोयले की कमी के दौरान एक्सचेंज के जरिए बाजार से 3.85 करोड़ यूनिट बिजली खरीदी गई थी, जिसकी औसत खरीद दर करीब 17.87 रुपये प्रति यूनिट आई थी. इसके लिए 68 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया. बात की जाए अनुबंधित कंपनी से बिजली खरीद की तो कम बिजली लेने के बावजूद 8.99 रुपये प्रति यूनिट दर पर बिजली खरीद के लंबी अवधि के अनुबंध हुए थे, जो आज तक जनता पर भारी पड़ रहे हैं.

कोरोना कालखंड के दौरान तो स्थिति और भी विकट रही थी. अडानी पावर को 176 मिलियन यूनिट बिजली के लिए करीब 8 रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट देने पड़े थे. इसी तरह कालीसिंध पावर से 8 रुपये 99 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली की दर चुकानी पड़ी थी.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र (Rajasthan Assembly Budget Session) में लगातार महंगी बिजली खरीद के मामले में सरकार घिरती जा रही है. जिसके चलते अब बिजली खरीदने के लिए छोटे अनुबंध का दायरा फैलाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. ऊर्जा विकास निगम ने हाल ही में एनटीपीसी से 100 मेगावाट बिजली खरीदनी शुरू की है और अधिकारियों को अब इसी तर्ज पर आगे काम करने के निर्देश भी दिए हैं.

मौजूदा अनुबंध अधिकतम 1 साल तक का है, जिसके तहत 5 रुपये 34 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद हो रही है. फिलहाल बिजली की खरीद 20 मार्च तक होगी. हालांकि ऊर्जा विकास निगम ने भले ही लघु अवधि लिए अनुबंध किए हो लेकिन अब भी बिजली खरीद की दर अपेक्षाकृत सस्ती नहीं मानी जा सकती.

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पूर्व में इस तरह खरीदी गई थी महंगी बिजली- कोयले की कमी के दौरान एक्सचेंज के जरिए बाजार से 3.85 करोड़ यूनिट बिजली खरीदी गई थी, जिसकी औसत खरीद दर करीब 17.87 रुपये प्रति यूनिट आई थी. इसके लिए 68 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया. बात की जाए अनुबंधित कंपनी से बिजली खरीद की तो कम बिजली लेने के बावजूद 8.99 रुपये प्रति यूनिट दर पर बिजली खरीद के लंबी अवधि के अनुबंध हुए थे, जो आज तक जनता पर भारी पड़ रहे हैं.

कोरोना कालखंड के दौरान तो स्थिति और भी विकट रही थी. अडानी पावर को 176 मिलियन यूनिट बिजली के लिए करीब 8 रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट देने पड़े थे. इसी तरह कालीसिंध पावर से 8 रुपये 99 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली की दर चुकानी पड़ी थी.

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