जयपुर. राजधानी के ब्रह्मपुरी थाना इलाके में एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां पर शंकर नगर स्थित सीवरेज प्लांट में देर रात क्लोरीन गैस रिसाव के कारण अफरा-तफरी का माहौल नजर आया. गैस रिसाव होने के चलते लोगों ने पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद पुलिस और नगर निगम के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लेते हुए इलाके को खाली करवाना शुरू कर दिया. फिलहाल सुबह 7 बजे तक रिसाव को ठीक कर दिया गया है और लोगों को वापस घरों में रवाना किया जा रहा है.
वहीं राजस्थान सरकार में मुख्य सचेतक और हवा महल विधानसभा के विधायक महेश जोशी भी पूरे घटनाक्रम की पल-पल की जानकारी दूरभाष पर आला अधिकारियों से लेते हुए नजर आए. रात को 3 बजे जैसे ही डीसीपी नार्थ परिस देशमुख को इस बारे में पता चला तो वह खुद मौके पर पहुंचे और उनके निर्देशन में एक अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत सहायक पुलिस आयुक्त सुमित गुप्ता के नेतृत्व में एसीपी आमेर सौरभ तिवाड़ी ने मोर्चा संभाला और यहां से लोगों को मकानों से बाहर निकाला गया और दूसरे स्थान पर ले जाया गया.
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वहीं ब्रह्मपुरी थाना और आसपास के इलाके के सहयोग से बड़ा हादसा होने से बच गया. अल सुबह इन तमाम लोगों को वापस इनके घरों में रवाना करवा दिया गया. ACP आमेर सौरभ तिवाड़ी ने बताया कि फिलहाल कोई घबराने की बात नहीं है. देर रात देशमुख साहब के निर्देशन में अभियान चलाया गया था.
कर्मचारी बेहोश
वहीं सुबह 3:00 बजे से रिसाव की वजह से जहां एक ओर लोगों में भय का माहौल नजर आया तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम के 2 कर्मचारी भी बेहोश हो गए. जिन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उनका इलाज जारी है.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर क्लोरीन गैस का क्या काम
किसी भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में सीवर और नालों के गंदे पानी को ट्रीट यानी साफ करने के लिए क्लोरीन गैस की सप्लाई की जाती है. जो पानी को स्वच्छ करने के बाद खत्म हो जाता है. ब्रह्मपुरी स्थिति सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर क्लोरीन गैस के कई सिलेंडर रखे हुए हैं.
क्यों होती है क्लोरीन गैस खतरनाक
क्लोरीन गैस का इस्तेमाल पानी को साफ करने, स्वीमिंग पूल में कीटाणु नाशक के रूप में और साधारण धुलाई में ब्लीचिंग के रूप में किया जाता है. डायरेक्ट ज्यादा देर तक इसके संपर्क में रहना इंसान के लिए खतरनाक हो सकता है. इसकी तेज गंध आंखों, स्किन और श्वसन तंत्र के लिए नुकसानदेह होती है. इससे गले में घाव, खांसी और आंखों व त्वचा में जलन की प्रॉब्लम हो सकती है. बहुत देर तक इसके संपर्क में रहने पर सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है.
प्लांट का नाम | ट्रीटमेंट प्रोसेस कैपेसिटी | सुपरवाइजिंग |
डेहलावास यूनिट 1 | एएसपी 62.5 एमएलडी | नगर निगम |
डेहलावास यूनिट 2 | एएसपी 62.5 एमएलडी | नगर निगम |
ब्रह्मपुरी | एसबीआर 8 एमएलडी | नगर निगम |
जयसिंहपुरा खोर | एएसपी 50 एमएलडी | नगर निगम |
गजधरपुरा | एएसपी 30 एमएलडी | जेडीए |
रलावता | एएसपी 30 एमएलडी | जेडीए |
बस्सी सीतारामपुरा | एसबीआर 20 एमएलडी | जेडीए |
देवरी | एसबीआर 15 एमएलडी | जेडीए |
सांगानेर | एसबीआर 100 एमएलडी | जेडीए |
बंबाला | एसबीआर 25 एमएलडी | जेडीए |
गोनेर | एसबीआर 10 एमएलडी | जेडीए |
विद्याधर नगर | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
जवाहर सर्किल | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
कीरों की ढाणी | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
रामनिवास बाग | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
सेंट्रल पार्क | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
पालडी मीणा | एमबीबीआर 3 एमएलडी | जेडीए |
स्वर्ण जयंती पार्क | एमबीबीआर 1 एमएलडी | जेडीए |
आपको बता दें कि वर्तमान में राजधानी में कुल 18 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित हैं. इनमें से चार नगर निगम प्रशासन जबकि 14 जयपुर विकास प्राधिकरण की निगरानी में संचालित हैं. शहर में जनरेट होने वाले करीब 225 एमएलडी अपशिष्ट की डेली प्रोसेसिंग, जयपुर शहर में बने इन एसटीपी प्लांट के जरिए की जाती है.