जयपुर. राजस्थान में एक ओर सर्दी सितम ढा रही है तो दूसरी ओर घना कोहरा लोगों की जिंदगियां लील रहा है. हर साल राष्ट्रीय राजमार्गों पर कभी घना कोहरा तो कभी चालक की लापरवाही के कारण हादसे होते हैं जिनमें कई की जान भी चली जाती है. कई इलाकों में कोहरा इतना घना होता है कि दृश्यता बिल्कुल शून्य हो जाती है और ऐसे में चालक भी वाहन नहीं चला पाते. पुलिस के लाख इंतजामों के बाद भी हर साल हादसों में सौ से अधिक लोग जान गंवा दे रहे हैं.
कोहरे के चलते होने वाले हादसों में कमी लाने के लिए राजस्थान पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर वाहन चालकों से कम स्पीड में वाहन चलाने, रिफ्लेक्टर का प्रयोग करने और अन्य सुरक्षा मापदंडों को अपनाने के लिए जागरूक भी करता है. इसके बावजूद वाहन चालकों की लापरवाही से हर साल काफी संख्या में हादसे होते हैं.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर जयपुर राहुल प्रकाश ने बताया कि सर्दी के समय राजस्थान में कुछ विशेष क्षेत्र हैं, जहां पर कोहरे का सितम ज्यादा देखने को मिलता है. राजस्थान में कोहरे के चलते सर्वाधिक हादसे पूर्वी राजस्थान में ही देखने को मिलते हैं. प्रदेश में धौलपुर, दौसा, भरतपुर, अलवर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़ आदि क्षेत्रों में भीषण धुंध के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहन चलाने में चालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
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घने कोहरे के चलते जब हाईवे पर वाहन आपस में टकराते हैं तो पीछे से आ रहे वाहन भी दृश्यता कम होने के चलते हादसे को नहीं भाप पाते और एक के पीछे एक कई वाहन टकरा जाते हैं. जयपुर दिल्ली नेशनल हाईवे और जयपुर आगरा नेशनल हाईवे पर इस तरह की कई दुर्घटनाएं पूर्व में घटित हो चुकी हैं.
कम दृश्यता में तेज गति से वाहन दौड़ाने पर घटित होते हैं हादसे
राष्ट्रीय राजमार्गों पर कोहरे के चलते कम दृश्यता होने के बावजूद भी वाहन चालक तेज गति में वाहनों को दौड़ाते हैं। जिसके चलते सड़क हादसे घटित होते हैं। इसके साथ ही वाहन चालकों की ओर से बैक लाइट का प्रयोग ना करने, रिफ्लेक्टर ना लगाने, डिवाइडर पर रिफ्लेक्टिव लाइट ना लगी होने आदि के चलते भी घने कोहरे में हादसे घटित होते हैं. ऐसे में घना कोहरा होने पर दृश्यता के आधार पर चालकों को अपने वाहन की गति धीमी रखनी चाहिए और यदि वाहन चलाने में परेशानी हो रही है तो ऐसे में वाहन को रोककर कोहरा कम होने या खत्म होने का इंतजार करना चाहिए.
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हाईवे किनारे खड़े वाहन बनते हैं हादसों का कारण
प्रायः देखने को आता है कि ट्रक, ट्रॉला या ट्रेलर चालक अपने भारी-भरकम वाहनों को हाईवे के किनारे ही खड़ा कर देते हैं जिसके चलते अनेक हादसे होते हैं. वहीं कोहरे के वक्त हाईवे के किनारे खड़े वाहन दृश्यता कम होने के चलते दिखाई नहीं देते हैं और हाईवे पर चल रहे अन्य वाहन उन से टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. ऐसे चालक जो अपने वाहनों को हाईवे किनारे खड़ा कर देते हैं, उनके खिलाफ पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर अभियान चलाता है. इसके बावजूद कई चालक अपने वाहनों को हाईवे किनारे खड़े करने से बाज नहीं आते और उससे टकराकर लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं.
फॉग लाइट, बैक लाइट और रिफ्लेक्टर का प्रयोग कर बचें हादसे से
राष्ट्रीय राजमार्गों पर घने कोहरे के चलते होने वाले सड़क हादसों से बचने के लिए चालक अपने वाहन को कम गति में चलाने के साथ ही फॉग लाइट का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें. इसके साथ ही वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर लगाने के साथ ही बैक लाइट का प्रयोग भी करें ताकि पीछे से आने वाले वाहन चालक सतर्क हो जाएं. इसके साथ ही ऐसे तमाम क्षेत्र जहां पर घना कोहरा छाया रहता है, वहां पर रोड अथॉरिटी को चेतावनी बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को घने कोहरे के चलते होने वाले सड़क हादसे को लेकर सतर्क करना चाहिए. डिवाइडर और बैरिकेड्स पर रिफ्लेक्टर और रिफ्लेक्टिव लाइट लगाकर वाहन चालकों को सतर्क करना चाहिए. डिवाइडर पर रिफ्लेक्टर लगाने का काम पुलिस की ओर से भी किया जा रहा है. इसके साथ ही गति सीमा को कम रखने के लिए भी पुलिस वाहन चालकों को जागरूक कर रही है.