जयपुर. नगर निगम ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर और तीन भाजपा पार्षदों के निलंबन का मामला सियासी सुर्खियों में है क्योंकि राजस्थान के इतिहास में अब तक इस प्रकार की कार्रवाई किसी सरकार ने महापौर या पार्षदों के खिलाफ नहीं की. हालांकि, जयपुर शहर के पहले महापौर रहे मोहनलाल गुप्ता इसे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का फस्ट्रेशन करार दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान गुप्ता ने कहा कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के बीच इस प्रकार की नोकझोंक पहले भी हुई, लेकिन इस प्रकार के अलोकतांत्रिक कार्रवाई किसी ने भी नहीं की.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रथम महापौर मोहनलाल गुप्ता ने यह भी कहा कि जो कार्रवाई महापौर और पार्षदों के खिलाफ की गई है, वो पूरी तरह गैरकानूनी है. कोर्ट से इस मामले में भाजपा पार्षदों और महापौर को राहत जरूर मिलेगी.
मोहनलाल गुप्ता ने बताया कि जब वे महापौर थे, तब प्रदेश में भैरो सिंह शेखावत की सरकार थी और 1 साल अशोक गहलोत की भी सरकार रही. तब भी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ही थे. गुप्ता ने कहा कि महापौर निगम का प्रमुख होता है और निगम से जुड़े कार्यों की समीक्षा करना उसका दायित्व है. यदि उसमें कोई गड़बड़ है तो वह अधिकारियों से चर्चा कर उसमें सुधार भी करवा सकता है.
कई बार हो सकता है कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों में किसी बात को लेकर सहमति न बने और विवाद भी हो, लेकिन उस समय भी प्रदेश के यूडीएच मंत्री ही इन मामलों में दखल देकर समन्वय स्थापित कर आते थे. गुप्ता ने इस दौरान कुछ उदाहरण भी दिए, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आज भी प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार है और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल है फिर यह स्थिति क्यों बनी तब मोहन लाल गुप्ता ने कहा कि यह शायद मंत्री जी के फस्ट्रेशन के कारण हुआ हो क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. लेकिन जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भाजपा का बोर्ड और महापौर है. यही कारण है कि इस प्रकार का निर्णय लिया गया लेकिन यह निर्णय पूरी तरह अलोकतांत्रिक है.
इस तरह तो बदल जाएगी राजनीतिक परंपराएं
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जयपुर के पहले महापौर मोहनलाल गुप्ता ने इस घटनाक्रम को लेकर यह भी कहा कि राजस्थान में अपनी राजनीतिक परंपरा है और इन परंपराओं का निर्वहन सभी राजनीतिक दल और सरकारों की जिम्मेदारी है. लेकिन वर्तमान में अब यह राजनीतिक परंपरा है क्योंकि सरकार आती और जाती है, लेकिन यदि इस प्रकार परंपराएं टूटी तो आने वाली सरकारें भी इन्हीं परंपराओं को आगे बढ़ाएगी जो नहीं होना चाहिए. गुप्ता ने मौजूदा घटनाक्रम को राजस्थान की राजनीतिक परंपराओं के लिए घातक बताया.